क्या हर चीज़ किस्मत का खेल होता है? अगर हाँ तो मेहनत का क्या? अब कुछ बोलेंगे मेहनत जो करता है किस्मत भी उसी का साथ देती है। चलो अगर ऐसा है तो देखते है सरकार किसकी बनती है महाराष्ट्र में। जिसकी बनी उसने ही मेहनत की और किस्मत भी उसी के साथ थी।
और यहाँ सिर्फ पार्टी के किस्मत की बात नही है। बात तो मुख्यमंत्री की कुर्सी की है। अब देखना होगा की फडणवीस की किस्मत अच्छी है या उद्धव ठाकरे की।
या क्या पता शरद पवार ने कुछ अलग से मेहनत कर दी है। लेकिन एक बात तो है एनसीपी के बीजेपी को साथ देने से सबसे बड़ा नुकसान शिवसेना को है। क्योंकि न ही कुर्सी मिली ऊपर से विपक्ष में बैठना पड़ेगा। किस्मत ही खराब होगी क्योंकि मेहनत तो उनकी दिख रही है। सारी पार्टियों की मेहनत दिख रही है। सब लगे हुए है सरकार बनाने की होड़ में।
वैसे मुख्यमंत्री फडणवीस की भी किस्मत अच्छी चल रही है,अभी तक अच्छी चल रही है। क्योंकि शिवसेना से झगडे के बाद जो उन्होंने इस्तीफा दिया,उसके बाद लगा नहीं था वो मुख्यमंत्री दुबारा बन पाएंगे। पर किस्मत तो किस्मत है रातो-रात चमक जाती है।
अजीत पवार की भी किस्मत काफी अच्छी है क्योंकि फडणवीस ने कहा था की अजीत पवार को जेल भेजेंगे और बताओ उन्ही के साथ सरकार बना ली। खैर इतना जरूर है की यहाँ पक्ष-विपक्ष का किस्मत कनेक्शन हुआ है।पक्ष में रही पार्टी का विपक्ष में रही पार्टी के साथ मिलाव।
मुख्यमंत्री की कुर्सी तो शिवसेना के लिए ऐसा हो गया की हाथ को आया पर मुँह को नहीं लगा।
कांग्रेस की भी किस्मत चमक गयी थी की इस बार महाराष्ट्र में हम भी सरकार मे होंगे। पक्ष में बैठने का मौका मिलेगा। पर किस्मत को तो कुछ और ही मंजूर था।तभी उनके मुँह से निकल गया की अभी महाराष्ट्र में नाजायज़ सरकार है।
एक फिल्म का डायलाग है "किस्मत भी बड़ी" खैर आगे का तो आपको याद ही आ गया होगा,"कभी भी पलट जाती है".... लेकिन जिसके साथ होती है उसे रंक से राजा बना देती है।
अब आगे देखना होगा की कौन पक्ष में बैठेगा और कौन विपक्ष में किसकी किस्मत कितनी अच्छी है। खैर एक बात और कही जाती है की जिसकी किस्मत अच्छी होती है उसके साथ रहते है तो आपकी भी किस्मत अच्छी हो जाती है। पर है अगर उसकी खराब होती है तो उसका असर आप पर भी पड़ता जाता है। अब देखना होगा की किसकी किस्मत का फल किसे मिलेगा।