नई दिल्ली: उच्चतम न्यायालय ने बुधवार को स्पष्ट रूप से कहा कि वह केंद्र की सुनवाई के बिना नागरिकता संशोधन अधिनियम (सीएए) पर कोई रोक नहीं देगा और सभी उच्च न्यायालयों को सभी दलीलों पर फैसला करने पर संशोधित नागरिकता अधिनियम पर सुनवाई करने से रोक दिया। मुख्य न्यायाधीश एसए बोबडे की अध्यक्षता वाली पीठ ने याचिका पर सुनवाई करते हुए कहा कि यह इन याचिकाओं को एक बड़ी संविधान पीठ को संदर्भित कर सकती है।
केंद्र की ओर से पेश अटॉर्नी जनरल केके वेणुगोपाल ने सुप्रीम कोर्ट को बताया कि सरकार को 143 याचिकाओं में से लगभग 60 दलीलों की प्रतियां दी गई हैं। उन्होंने कहा कि यह उन दलीलों का जवाब देने का समय चाहता है जो इस पर नहीं दी गई हैं।
वरिष्ठ अधिवक्ता कपिल सिब्बल ने पीठ से सीएए के संचालन पर रोक लगाने और राष्ट्रीय जनसंख्या रजिस्टर (एनपीआर) के अभ्यास को फिलहाल स्थगित करने का आग्रह किया। अदालत ने कहा कि वह मामले पर केंद्र की सुनवाई किए बिना सीएए पर कोई स्टे नहीं देगी।
सीएए 31 दिसंबर, 2014 को या उससे पहले पाकिस्तान, बांग्लादेश, और अफगानिस्तान से देश में आए हिंदू, सिख, बौद्ध, ईसाई, जैन और पारसी समुदायों के प्रवासियों को नागरिकता देने का प्रयास करता है। नागरिकता (संशोधन) विधेयक, 2019 को 12 दिसंबर को एक अधिनियम में बदल दिया गया।