भारत में गरीबी बहुत ज्यादा है। अगर आप भारत में कहीं भी देखे तो कोई भी आपको भीख मांगता हुआ नज़र आ जायेगा। आजकल भीख माँगना कई लोगों का धंधा बन चुका है।बच्चों को भी इसमें शामिल कर लिया गया है। कई जगह तो ये खबरी के तौर पर भी काम करते है। कितने ऐसे होते है जिन्हे भीख मांग कर गुजरा करना ही सबसे सही काम लगता है। क्योंकि ये आसान है और इसमें काम नहीं करना पड़ता।
घूमने आये लोग इस चीज़ से परेशान भी बहुत होते है। और शहर की छवि भी ख़राब होती है। इन्ही चीज़ों को ध्यान में रखते हुए इंदौर कुछ करने जा रहा है। वैसे तो इंदौर अपनी सफाई के लिए जाना जाता है। पर यहाँ एक लक्ष्य निर्धारित करने का संकल्प किया गया है। इंदौर का लक्ष्य है की मार्च 2021 तक देश की पहली भिखारी मुक्त सिटी बन जाये।
आपको बता दे की इंदौर सफाई के मामले में बाकि सभी शहरों से बेहतर है। तो ये माना जा रहा है की अगले साल तक इंदौर में भिखारियों की संख्या शून्य तक पहुँच जाएगी।
इस पर कदम उठाने के लिए प्रशाशन ने प्लानिंग भी कर लिया है। इंदौर के कलेक्टर लोकेश कुमार बताते है की भीख माँगना एक अभिशाप की तरह है। ऐसे में शहर के नागरिकों को इसके बारे में जागरूक करना ही होगा।
भीख मांगने को बढ़ावा नहीं देना चाहिए। जितने भी लोग अभी भीख मांग रहे है उन्हें उनकी क्षमता के अनुसार रोजगार उपलब्ध कराया जाएगा। इसके अलावा सामाजिक संस्थाओं से सहायता भी ली जाएगी।
इस तरह काम करने पर भीखारी भीख मांगने के लिए मजबूर नहीं होंगे। ये भी देखा गया है की भीख मांगने के लिए शहर से बाहर से भी लोग आते है तो इस बात का विशेष ध्यान रखा जायेगा की कैसे ऐसा ना होने दिया जाए।
कुछ लोग गुट बनाकर बाल्टी लेकर , शनि की प्रतिमा और सरसों का तेल लेकर पैसे मांगते है। इस तरह की भी चीज़ पर प्लानिंग की जा रही है।लेकिन प्रशासन ने उम्मीद की है की जल्द ही इंदौर भिखारी मुक्त शहर बनेगा।