प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने रविवार को कहा कि भारत की पहचान उसकी सामूहिक परंपरा और संस्कृति से बनी है और उसके शासकों द्वारा परिभाषित नहीं है।
उन्होंने कहा “भारत एक राष्ट्र के रूप में कभी भी परिभाषित नहीं किया गया था कि कौन जीता और कौन हारा। यहाँ राष्ट्र की अवधारणा सत्ताधारी सत्ता से नहीं बल्कि लोगों की संस्कृति और परंपराओं से बनती है, यह (राष्ट्र की अवधारणा) लोगों के उद्यम द्वारा बनाई गई है”।
प्रधानमंत्री वाराणसी में जंगमवाड़ी मठ में जगद्गुरु विश्वराद्य गुरुकुल के शताब्दी समारोह को संबोधित कर रहे थे।