नवरात्रि के दूसरे दिन माता ब्रह्मचारिणी की पूजा की जाती है। माता ब्रह्मचारिणी सफेद कपड़े पहनती हैं, अपने दाहिने हाथ में जप माला रखती हैं और बाएं हाथ में कमंडल।
देवी ब्रह्मचारिणी कौन हैं?
माता ब्रह्मचारिणी का अर्थ तप की चारिणी यानी तप का आचरण करने वाली होता है । देवी का यह रूप पूर्ण ज्योतिर्मय और अत्यंत भव्य होता है।
पूर्वजन्म में माता ने हिमालय के घर पुत्री के रूप में जन्म लिया था और नारदजी के उपदेश से भगवान शंकर को पति रूप में प्राप्त करने के लिए घोर तपस्या की थी। इस कठिन तपस्या के कारण इन्हें तपश्चारिणी अर्थात् ब्रह्मचारिणी नाम से जाना गया। एक हजार वर्ष तक इन्होंने केवल फल-फूल खाकर बिताए और सौ वर्षों तक केवल जमीन पर रहकर शाक पर निर्वाह किया।
कुछ दिनों तक कठिन उपवास रखे और खुले आकाश के नीचे वर्षा और धूप के घोर कष्ट सहे। तीन हजार वर्षों तक टूटे हुए बिल्व पत्र खाए और भगवान शंकर की आराधना करती रहीं। इसके बाद तो उन्होंने सूखे बिल्व पत्र खाना भी छोड़ दिए। कई हजार वर्षों तक निर्जल और निराहार रह कर तपस्या करती रहीं। पत्तों को खाना छोड़ देने के कारण ही इनका नाम अपर्णा नाम पड़ गया।
नवरात्रि के दूसरे दिन, माँ ब्रह्मचारिणी की पूजा की जाती है। देवी ब्रह्मचारिणी का रूप प्रेम, निष्ठा और ज्ञान का प्रतीक है। मां ब्रह्मचारिणी का मुख सादगी का प्रतीक है। वह एक हाथ में एक माला और दूसरे में कमंडल रखती है। माँ ब्रह्मचारिणी, शब्द "ब्रह्म" का अर्थ है तप और उनके नाम का अर्थ है-जो तप करता है।
माँ ब्रह्मचारिणी के बारे में महत्वपूर्ण तथ्य
उत्पत्ति: शैलपुत्री रूप के बाद, देवी ने दक्ष प्रजापति के घर पर अपनी बेटी सती के रूप में जन्म लिया, जो शिव से शादी करने के लिए पैदा हुई थीं। देवी के इस अविवाहित रूप को ब्रह्मचारिणी के रूप में पूजा जाता है।
अर्थ: "ब्रह्म" शब्द का अर्थ है तप और उसके नाम का अर्थ है - वह व्यक्ति जो तप करता है।
पूजा तिथि: नवरात्रि का दूसरा दिन (द्वितीया तिथि)
ग्रह : मंगल ग्रह
पसंदीदा फूल: गुलदाउदी फूल
पसंदीदा रंग: सफेद
ब्रह्मचारिणी मंत्र: ओम देवी ब्रह्मचारिणीय नमः चार देवी ब्रह्मचारिण्यै नमः
अन्य नाम: तपस्चारिणी, अपर्णा और उमा