कोरोना वायरस के अब तक पूरे देश में 160 केस हैं।20 लोग ठीक होकर डिस्चार्ज कर दिए गए हैं और तीन लोगों की मौत हो गई है। महाराष्ट्र में कोरोना के सबसे अधिक कोरोना के केस हैं। लेकिन ये आश्चर्य की बात है की आबादी के लिहाज से देश के तीसरे सबसे बड़े राज्य बिहार से कोरोना का एक भी मामला सामने नहीं आया है।
18 मार्च को राज्य की सरकार द्वारा कोरोनावायरस को लेकर जानकारी दी गयी थी। प्रभात खबर में छपी रिपोर्ट मुताबिक़, 14 दिन में 113 लोगों को देखा गया है। इनमे से 72 संदिग्ध मरीज़ों के रिपोर्ट नकारात्मक आए हैं।अभी हॉस्पिटल में लगभग 354 यात्रियों को देखा जा रहा है। ट्रांजिट पॉइंट पर 2,12,630 यात्रियों की स्क्रीनिंग की जा चुकी है। सिर्फ भारत-नेपाल बॉर्डर पर 1 लाख 60 लोगों की स्क्रीनिंग की गई है। मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने कहा है कि राज्य में कोरोना वायरस रोगियों के इलाज का पूरा खर्च बिहार सरकार उठाएगी।
आपको बता दे की बिहार सरकार ने कोरोना वायरस को महामारी घोषित कर दिया है। 18 मार्च को मीडिया से बात करते हुए राज्य के स्वास्थ्य मंत्री मंगल पांडे ने कहा-
बिहार सरकार कोरोना वायरस को लेकर सतर्कता बरती हुई है। जागरूकता अभियान चलाया जा रहा है। राज्य में अभी तक एक भी कोरोना के केस नहीं मिले हैं।
चिकित्सको का क्या कहना है -
बिहार पर सवाल उठाया जा रहा है की इतनी बड़ी आबादी वाला राज्य और अभी तक कोई केस नहीं। बीबीसी ने इसको लेकर बिहार के डॉक्टर अरुण शाह से बातचीत की। उन्होंने कहा-
उन्होंने बताया की यहां के लोग उपेक्षा कर रहे हैं। लोगों में डर भी है लेकिन सिस्टम बेकार है। केवल स्कूल-कॉलेज बंद करना काफी नहीं है। जरूरी ये है कि इस वायरस को डिटेक्ट किया जाए। डायग्नोसिस की प्रक्रिया भी नहीं हो पा रही है।
BBC से बात करते हुए PMCH के सुपरिटेंडेंट बिमल कुमार बताते हैं-
हम सैंपल्स कलेक्ट कर सकते हैं। उसका टेस्ट नहीं कर सकते। सैंपल्स कोलकाता भेजे जाते हैं। इस प्रक्रिया में कम से 12 घंटे लग जाते हैं। हमारे यहां भेजे गए सभी सैंपल्स की रिपोर्ट नेगेटिव आई है।
डॉ अरुण बताते हैं-
कुछ सैंपल्स ऐसे हैं जिनका टेस्ट छह घंटे के अंदर नहीं किया गया तो रिज़ल्ट की क्वॉलिटी में फ़र्क आ सकता है। अगर सैंपल्स की क्वॉलिटी में फ़र्क आएगा तो स्वाभाविक है कि रिज़ल्ट नेगेटिव आएंगे।
बता दें कि कोरोना वायरस के टेस्ट के लिए स्वैब, नेजल एस्पिरेट, ट्रेशल एस्पिरेट, सप्टम और ब्लड के सैंपल लिए जाते हैं।
कोरोना की तैयारी का अंदाजा इस दो केस से समझिए
1. 15 मार्च को कोरोना वायरस का एक संदिग्ध मरीज़ बिहार के दरभंगा में दरभंगा मेडिकल कॉलेज और हॉस्पिटल से भाग गया था। उसे आइसोलेशन वार्ड में रखा गया था।
2. कोरोना वायरस के लिए बने आइसोलेशन वार्ड में छत का टुकड़ा दरभंगा में 17 मार्च को गिर गया। इसमें सिस्टर इंचार्ज सुधा सिंह जी को चोट पहुंची थी। इसके बाद उन्हें इमरजेंसी वार्ड में भर्ती करवाया गया। अभी उनकी हालत ठीक बताई जा रही है।
कहां-कहां कोरोना के टेस्ट और सैंपल बिहार में जमा किए जा रहे हैं ?
भारत सरकार के इंडियन काउंसिल ऑफ़ मेडिकल रिसर्च (ICMR) ने पटना के राजेंद्र मेमोरियल रिसर्च इंस्टिट्यूट ऑफ़ मेडिकल साइंसेज को टेस्टिंग साइट बताया है। यह भी जानकारी दी है कि DMCH में जल्द ही टेस्टिंग साइट फंक्शनल हो जाएगा। पटना मेडिकल कॉलेज – पटना, दरभंगा मेडिकल कॉलेज – दरभंगा और एस के मेडिकल कॉलेज – मुजफ्फरपुर लैब सेंटर में सैंपल जमा किए जा रहे हैं।
(सोर्स: द लल्लनटॉप, बीबीसी और प्रभात खबर)