नई दिल्ली: भारत ने विदेश मंत्री जवाद ज़रीफ़ द्वारा 'भारतीय मुसलमानों के खिलाफ हिंसा' पर की गई टिप्पणियों के बाद ईरान को अपने आंतरिक मामलों से बाहर रहने के लिए कहा है। सूत्रों के अनुसार, भारत में ईरान के राजदूत अली चेगेनी को मंगलवार को विदेश मंत्रालय ने तलब किया था और ज़रीफ़ द्वारा की गई टिप्पणियों पर कड़ा विरोध दर्ज कराया गया था। ईरानी विदेश मंत्री जवाद ज़रीफ़ ने सोमवार को भारतीय अधिकारियों से सभी भारतीयों की भलाई सुनिश्चित करने और "संवेदनहीन" हिंसा को नहीं होने देने का आग्रह किया था।
ज़रीफ़ ने ट्वीट किया था "ईरान भारतीय मुसलमानों के खिलाफ संगठित हिंसा की लहर की निंदा करता है। सदियों से, ईरान भारत का दोस्त रहा है। हम भारतीय अधिकारियों से आग्रह करते हैं कि वे सभी भारतीयों की भलाई सुनिश्चित करें और मूर्खतापूर्ण ठगी को न होने दें।"
इससे पहले, भारत के विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता रवीश कुमार ने कहा था कि कानून प्रवर्तन एजेंसियां हिंसा को रोकने और विश्वास और सामान्य स्थिति की बहाली सुनिश्चित करने के लिए जमीन पर काम कर रही थीं। कुमार ने अंतरराष्ट्रीय निकायों से इस संवेदनशील समय पर गैर जिम्मेदाराना बयान नहीं देने का आग्रह किया है।
उन्होंने ये भी कहा, ''यह बताया गया कि दिल्ली की हाल की घटनाओं पर उनके चुनिंदा एवं पक्षपातपूर्ण बयान स्वीकार्य नहीं हैं। हम ईरान जैसे देश से ऐसे बयान की उम्मीद नहीं करते हैं।" पिछले कुछ सालों में भारत और ईरान के संबंध गहरे हुए हैं।
ईरान पर अमेरिका की पाबंदियों के बावजूद भारत उसके साथ अच्छे संबंध बनाए हुए है और वह इस खाड़ी देश में सामरिक रूप महत्वपूर्ण चाबहार बंदरगाह के विकास में सक्रियता से शामिल है। जरीफ अमेरिकी सैन्य हमले में शीर्ष ईरानी कमांडर कासिम सुलेमानी के मारे जाने को लेकर ट्रंप प्रशासन के साथ ईरान के बढ़ते तनाव के बीच जनवरी में भारत आए थे।
दिल्ली में संशोधित नागरिकता कानून पर सांप्रदायिक हिंसा ने कम से कम 47 लोगों की जान ले ली।