दुनिया कोरोनावायरस से परेशान है और लॉकडाउन की स्तिथि उत्पन्न हो गयी है। जिसके कारण कच्चे तेल के दामों में काफी ऐतिहासिक गिरावट आई है।अभी कुछ दिन पहले ही रूस और सऊदी के बीच मीटिंग हुई थी। तब सबको लगा था तेल के दामों में उछाल आ सकता है।
लेकिन आपको बता दे की सुपरपावर अमेरिका में तो कच्चे तेल की कीमत बोतलबंद पानी से भी कम मतलब की लगभग 77 पैसे प्रति लीटर तक हो चुकी है।
अंतरराष्ट्रीय बजार में अमेरिकी वेस्ट टेक्सास इंटरमीडिएट कच्चे तेल का भाव गिरते-गिरते लगभग शून्य तक पहुंच चुका है ऐसी भी खबरे आयी जिसमे ये कहा गया की यह शून्य से भी नीचे गिर गया, परन्तु इसका मतलब ये नहीं होता कि भारत में पेट्रोल मुफ्त में मिलने लगेगा या फिर कम पैसो में मिलने लगेगा।
इससे समझने के लिए तथ्यों पर नज़र डालिये जैसे की साल की शुरुआत में कच्चा तेल 67 डॉलर प्रति बैरल मतलब 30.08 रुपए प्रति लीटर का था। और 12 मार्च को जब भारत में कोरोना के मामले की शुरुआत हुई तो कच्चे तेल की कीमत 38 डॉलर प्रति बैरल मतलब 17.79 रुपए प्रति लीटर हो गई थी। और इसके बाद 1 अप्रैल को कच्चे तेल की कीमत गिरकर 23 डॉलर प्रति बैरल यानी प्रति लीटर 11 रुपए तक आ गयी।
इसके बावजूद दिल्ली में 1 अप्रैल को पेट्रोल का बेस प्राइस 27 रुपए 96 पैसे तय किया गया. इसमें 22 रुपए 98 पैसे की एक्साइज ड्यूटी लगाई गई. 3 रुपए 55 पैसा डीलर का कमीशन जुड़ गया और फिर 14 रुपए 79 पैसे का वैट भी जोड़ दिया गया. अब एक लीटर पेट्रोल की कीमत 69 रुपए 28 पैसे हो गई. यही वजह है कि अंतरराष्ट्रीय बाजार में कच्चा तेल भले ही सस्ता हो जाए, लेकिन आपको पेट्रोल की कीमत ज्यादा ही चुकानी पड़ती है।
आखिर गिरावट आई क्यों ?
बात ऐसी है की मई के महीने में तेल का बाजार गिर गया यानी की खरीदारों ने तेल लेने से इनकार कर दिया। खरीदारों ने कहा की तेल की जरुरत नहीं अभी अपने पास रखो बाद में ले लेंगे। परन्तु तेल का स्टॉक बोहत ज्यादा था। काफी ज्यादा तेल को स्टोर करने की वजह से जगह ही नहीं बची है और ये सब कोरोनावायरस के कारण हुआ।
इस लॉकडाउन के बीच गाड़ियों के चलने पर लगभग पाबंदी है। कामकाज और कारोबार ठप पड़े जिसके कारण तेल की खपत और उसकी मांगें भी काम हो गयी है। आपको ये जानकर आश्चर्य होगा की एक देश है कनाडा जहां तेल के कुछ उत्पादों की कीमत नेगेटिव में चली गई है।जब सोमवार को बाजार खुल गया तो अमेरिकी वेस्ट टेक्सास इंटरमीडिएट कच्चे तेल का भाव 10.34 डॉलर प्रति बैरल पर आ गया जो 1986 के बाद से सबसे निचला स्तर था।
फिर दोपहर तक ये 2 डॉलर प्रति बैरल के न्यूनतम स्तर पर आया और आगे गिरते-गिरते 0.01 डॉलर प्रति बैरल तक जा पहुंचा। ये आपको जरूर बता दे की अमेरिका में कच्चे तेल की कीमत भले ही बोतलबंद पानी से भी कम हो गई हो लेकिन तब भी हिन्दुस्तान में आपको पेट्रोल या डीजल मुफ्त या सस्ते दामों में नहीं मिलेगा।
इसलिए घर पर ही रहे और सुरक्षित रहें और सरकारी निर्देशों का पालन करें।
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