कोरोना : एक महामारी या जैविक हथियार ?

Ashutosh Jha
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कोरोना वायरस ने पूरी दुनिया को अपनी चपेट में ले लिया है। दुनिया भर में कोरोना वायरस से अब तक 59 हज़ार से ज़्यादा लोगों की जान जा चुकी है। इससे संक्रमित लोगों की संख्या भी लगातार बढ़ रही है। अभी दुनिया भर में कुल संक्रमित लोग 1,118,559  हैं। लेकिन एक ओर जहाँ कोरोना को लेकर दिलों में दहशत है और पूरी दुनिया में मौत का सन्नाटा पसरा है, वहीँ दूसरी ओर इस वायरस की उत्पत्ति को लेकर भी एक सवाल सभी के मन में उत्पन्न हो रहा है कि आखिर कोरोना की असली हकीकत क्या है? कहां से ये आया और कौन इसे लाया? क्या ये सचमुच एक महामारी है या फिर दुनिया में अपना वर्चस्व हासिल करने का एक “जैविक हथियार” है ? कोविड -19 नाम का यह वायरस अब तक 200 से ज़्यादा देशों में फैल चुका है।



कोरोना का कहर 


कोविड-19 वायरस का पहला मामला 2019 के आख़िर में चीन के वुहान शहर में पाया गया था। चीन के वुहान शहर से शुरू हुई ये महामारी पूरी दुनिया पर अपना कहर बरपा रही है। इटली और स्पेन जैसे देशों के बाद अमेरिका में भी तेजी से अपने पांव पसार रहा है। इटली में जहाँ अब तक 14,681 लोगों की जान जा चुकी है और अमेरिका में तो 277,522 केस सकारात्मक पाए गए है और उनमे से लगभग 7 हज़ार लोगो की जान जा चुकी है।  वहीँ भारत में भी कोरोना वायरस से अब तक 86 लोगों की मौत हो चुकी है और 29 हज़ार से ज़्यादा लोगों में संक्रमण की पुष्टि हुई है। इस संक्रमण पर काबू पाने के लिए ही भारत में 14 अप्रैल तक लॉकडाउन किया गया है । कोरोना के चलते सिर्फ भारत में ही नहीं वरन इटली चीन और अमेरिका जैसे देशों में लॉकडाउन के हालात हैं। सभी देशों की आर्थिक व्यवस्था लॉकडाउन के चलते पस्त होने लगी है।


कोरोना पर विवाद 


हालाँकि वैज्ञानिक अभी भी इस संक्रमण की उत्पत्ति का सही स्रोत और जानने की कोशिश कर रहे हैं। मगर अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर कोरोना को लेकर एक विवाद उत्पन्न होने लगा है । कुछ देश इसे चीन की देन बता रहे हैं तो कुछ इसे अमेरिका की साजिश बता रहे हैं । इतना ही नहीं चीन और अमेरिका खुद भी एक-दुसरे पर आरोप –प्रत्यारोप करते हुए नज़र आ रहे हैं । एक ओर अमरीकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने अपने ट्वीट में कोविड 19 वायरस को 'चीनी वायरस' कहा है , तो वहीं दूसरी ओर चीन के विदेश मंत्रालय के एक प्रवक्ता चाओ लिजियान ने अपने ट्वीट में कोरोना वायरस को लेकर अमरीकी सैनिकों पर आरोप लगाया है।


अमेरिका की थ्योरी 


अमेरिका की थ्योरी को मानें तो कोरोना वायरस अब चीन में उतनी तीव्र गति से नहीं फ़ैल रहा है जितना दुनिया के अन्य देशों में फैल रहा है। इससे पहले अमरीकी सीनेटर टॉम कॉटन ने आशंका जताते हुए कहा था, ''संभव है कि कोरोना वायरस चीन का जैविक हथियार हो और इसे वुहान लैब में विकसित किया जा रहा हो।'' कॉटन ने ये भी कहा था कि, ''हमारे पास इस बात के सबूत नहीं हैं कि ये बीमारी चीन में ही पनपी है। लेकिन शुरुआत से ही चीन का जो रवैया और छल की भावना है उसे देखते हुए हमें एक ही सवाल पूछने की ज़रूरत है कि सबूत क्या कहते हैं? और चीन फ़िलहाल उस सवाल पर कोई सबूत नहीं दे रहा।''


इतना ही नहीं अंतर्राष्ट्रीय मीडिया की कुछ रिपोर्ट्स ने भी कोरोना वायरस को चीन के जैविक हथियार बनाने की कोशिश के तौर पर जोड़ा है। द डेली मेल और द वॉशिंगटन टाइम्स ने रिपोर्ट छापी है कि कोरोना वायरस चीन के जैविक युद्ध प्रोग्राम (बायोवारफेयर प्रोग्राम) का हिस्सा था। स्टीफ़न केविन बैनन ने बीते महीने वॉशिंगटन टाइम्स के रिपोर्टर बिल गेर्ट्ज़ को एक रेडियो शो 'वॉर रूम: पैनडेमिक' में बतौर गेस्ट बुलाया था जिसमें उन्होंने इस बात के संकेत दिए थे कि चीन जैव युद्ध प्रोग्राम के तहत एक वायरस बना रहा था।


चीन की थ्योरी 


मगर चीन की थ्योरी इसके बिलकुल विपरीत है । चीन के विदेश मंत्रालय के एक प्रवक्ता ने कहा है कि,”यह अमरीकी बीमारी है जो शायद अक्टूबर में चीन के वुहान में आए अमरीकी सैनिकों से फैली है।” विशेषज्ञों का मानना है कि चीन ने दुनिया के बाज़ार पर अपना दबदबा कायम किया उससे पार पा पाना अमेरिका के लिए भी नामुमकिन सा हो गया था। और फिर अचानक कोरोना का कहर आया और बुलेट की रफ्तार में भागने वाला चीन थम गया। हर तरफ लोग कोरोना की चपेट में आने लगे और देखते ही देखते पूरा का पूरा देश लॉक डाउन हो गया। चीनी विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता गेंग शुआंग ने भी ट्रंप के ट्वीट को 'चीन पर दोषारोपण' करने वाला बताया है। उन्होंने कहा, "हम अमरीका से मांग करते हैं कि वो अपनी ग़लती को सुधारे और चीन के ख़िलाफ़ अपने आधारहीन आरोपों को रोके।"कोरोना वायरस को लेकर अप्रमाणिक रूप से कई बातें कही गई हैं।


कई यूनिवर्सिटी और वैज्ञानिकों का दावा 


हालांकि अभी तक कोई भी ऐसा सबूत नहीं मिला है जिससे ये साबित हो सके कि ये कोरोना वायरस किसी लैब में पैदा किया गया है। उल्टा दुनिया भर की यूनिवर्सिटी और वैज्ञानिक ये दावा कर रहे हैं कि ये वायरस लैब से नहीं बल्कि जानवरों से इंसान में पहुंचा है। वैज्ञानिकों ने संकेत दिए हैं कि यह वायरस चमगादड़ों में जन्मा है। बाद में किसी अन्य जीव के जरिये इंसानो तक पहुंचा है। क्योंकि कोविड-19 की जीनोमसीक्वेंसिंग चमगादड़ों में पाए जाने वाले वायरस से 96.2 फीसद मिलती जुलती है। ठीक इसी तरह 2003 में इस वायरस के पविार के एक वायरस की वजह से सार्स संक्रमण फैला था।


विश्व स्वास्थ्य संगठन (डब्ल्यूएचओ) ने क्या कहा? 


हालाँकि विश्व स्वास्थ्य संगठन (डब्ल्यूएचओ) ने चेतावनी दी है कि इस वायरस को किसी ख़ास समूह या क्षेत्र से जोड़ना ग़लत है। मगर ये भी पता चलना ज़रुरी है कि कौन है वो जिसकी वजह से सब कुछ होते हुए भी पूरी दुनिया अचानक बेबस और लाचार नज़र आ रही है। आखिर कौन है वो इंसानियत का दुश्मन जो लाशों के ढेर पर अपना साम्राज्य स्थापित करना चाहता है ? क्यों और किसकी वजह से आज मानवता शर्मसार हो रही है और आज लाखों लोग मौत के डर के साए में जी रहे हैं ?


 



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