नई दिल्ली। विश्व स्वस्थ्य संगठन जो पहले ही कोरोना पर विफल हो गया है। उसने अब ऐसी हरकत की है जो भारत को बिलकुल अच्छी नहीं लगेगी। चीन के हितैषी कहे जा रहे WHO ने भारत के लदाख को चीन का हिस्सा दिखा दिया। जी हाँ WHO की वेबसाइट पर जो नक्शा आया है उसमे सीमा गलत दिखाई गयी है। लदाख का वो हिस्सा जिस पर चीन का कब्ज़ा है उसे WHO ने चीन का ही दिखा दिया। सिर्फ लदाख ही नहीं जम्मू कश्मीर को भी अलग रंग से दिखा दिया है। जम्मू कश्मीर के कुछ हिस्से को POK के रूप में दिखाया है।यूनाइटेड नेशंस (यूएन) के कई मैप्स में जम्मू कश्मीर को विवादित हिस्से के तौर पर दिखाया जाता है।
चीन में भारत के पूर्व राजदूत के तौर पर नियुक्त रहे गौतम बंबावाले ने इकोनॉमिक टाइम्स के साथ बातचीत में कहा, 'डब्लूएचओ ने भारत का जो नक्शा प्रदर्शित किया है उसमें जम्मू कश्मीर को भारत के हिस्से के तौर पर नहीं दिखाया गया है और यह अपने आप में यूएन के मानकों के विपरीत है।' उन्होंने आगे कहा की डब्लूएचओ का नक्शा काफी हैरान करने वाला तो है ही साथ के साथ के साथ गलत और आश्चर्यजनक है। पाकिस्तान ने साल 1960 में पीओके का कुछ हिस्सा चीन को बेच दिया था। चीन ने लद्दाख के करीब 37,000 स्क्वॉयर फीट हिस्से पर कब्जा करके रखा है। लद्दाख की सीमा चीन के शिनजियांग प्रांत से सटी हुई है। इतना ही नहीं इस माह की शुरुआत में चीन ने अरुणाचल प्रदेश को अपनी सीमा में दिखाया था। अरुणाचल प्रदेश जो भारत के नॉर्थ ईस्ट में है तिब्बत से सटा है। तिब्बत साल 1913-15 तक ब्रिटिश शासन के अधीन था। फिर जब सन् 1938 में मैकमोहन रेखा निर्धारित हुई तो भारत और तिब्बत अलग हो गए। चीन ने सन् 1951 में तिब्बत पर कब्जा कर लिया था। वह आज भी अरुणाचल प्रदेश को तिब्बत का हिस्सा मानता है।
पिछले साल अगस्त में भारत ने जम्मू-कश्मीर से आर्टिकल 370 हटाया था और जम्मू कश्मीर, लद्दाख को दो हिस्सों में केंद्र शासित राज्यों के रूप में बाँट दिया था। चीन को तब से ही भारत के इस फैसले से आग लगी हुई है। उस समय केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने कहा था कि पीओके और अक्साई चिन ये भारत के ही हिस्से में हैं। अमित शाह ने संसद में कहा था, 'जब भी मैं जम्मू-कश्मीर की बात करता हूं तो पीओके और अक्साई चिन भी इसी के अंदर आतें है।' आपको बता दे की अक्साई चिन, जम्मू-कश्मीर का 15 % हिस्सा है। यह एक विशाल रेगिस्तान के रूप में है।