कोरोनावायरस ने देश में हर किसी को प्रभावित किया है।किसी का रोजगार छीन गया तो किसी की जान चली गयी। कोरोना एक ऐसा अदृश्य खतरा है जो वैक्सीन बनने तक तो तंग करने ही वाला है। ऐसे में विध्यार्ती और उनके परिवार को सिर्फ एक ही चिंता सता रही है की कैसे कोरोना काल में परीक्षा आयोजित की जाएंगी जब ट्रांसपोर्ट की व्यवस्था अच्छी नहीं है।बस में जब लोगों को बैठने की जगह नहीं मिलती तो कैसे विद्यार्थी अपने घर से सेण्टर तक पहुंचेगा।
फाइनल ईयर और पोस्ट ग्रेजुएशन के विद्यार्थी की तो परेशानी सिर्फ इतनी ही नहीं है बल्कि उनकी तो परेशानियां ख़त्म होने का नाम नहीं ले रही है। यूजीसी ने कह तो दिया परीक्षाएं होंगी पर विद्यार्थियों को इससे बिलकुल खुशी नहीं है।
हमने परास्नातक और स्नातक परीक्षार्तियों से बात की और उन्होंने निम्नलिखित परेशानियां बतायी-
१. फाइनल ईयर के विद्यार्थियों को अब तक डिग्री मिल जानी चाहिए थी ताकि वो सब आगे की पढ़ाई या नौकरी के लिए आवेदन कर सके पर उनको इसमें डिग्री न मिलने के कारण परेशानियां झेलनी पड़ रही है।
२. पोस्ट ग्रेजुएट में जो प्रथम वर्ष के है उन्हें अभी तक अपने प्रोजेक्ट और थीसिस में काम करना होता था पर वो परीक्षाओं के अनिश्चिताओं में फसे है।
३. फाइनल ईयर और पीजी के विद्यार्थियों के मन में कोरोना से संक्रमित होने का डर तो है ही साथ के साथ इसका भी डर है की कहीं देरी की वजह से वो अवसरों को न खो दे।
४. कई सारे ऐसे विद्यार्थी है जो लॉकडाउन के बाद अपने राज्य चले गए थे उनको ये चिंता है की वो आएंगे कैसे वापिस और अगर आएं भी तो रहेंगे कैसे।
५. एक दिन में सारी परीक्षाएं कैसे दी जाएंगी और उस बीच कहाँ ठहराया जायेगा विद्यार्थियों को? क्या विद्यार्थी एक दिन में इतने परीक्षाएं वो भी मास्क पहन कर दे पायेगा।
६. जब प्रथम वर्ष को प्रमोट करा गया जिन्होंने एक भी परीक्षा नहीं दी थी। जब द्वितीय और तृतीय वर्ष को पास किया गया जिनमे कोर सिलेबस होता है तो फाइनल ईयर जिन्होंने सारी परीक्षाएं दी उनको क्यों नहीं पास किया जा रहा।
७. भविष्य के जरुरत की अगर बात की गयी तो सीबीएसई का तो परीक्षा लेना सबसे जरुरी था पर उन्होंने ने भी पिछले मार्क्स को देख कर पास किया। तो फाइनल ईयर और पीजी के विद्यार्थी को क्यों नहीं किया जा रहा ?
८. कई राज्यों को बाढ़ का सामना करना पड़ रहा है वो कैसे पढ़ाई कर पाएंगे।स्ट्रेस और परेशानियों के बीच कैसे पढ़ सकेंगे।
९. न ही उनके पास उनकी किताबें थी। न ही उनकी पढाई पूरी कराई गयी तो कैसे परीक्षा देंगे।और इसके साथ ही पैटर्न चेंज कर दिया गया अब MCQ परीक्षाओं में पूछे जायेंगे उसकी तैयारी विद्यार्थी कहाँ से और कैसे करेंगे? विद्यार्थीयों ने आगे बताया की उसने कभी MCQ पैटर्न में परीक्षा नहीं दी वो कैसे परीक्षाएं देगा। MCQ परीक्षा में गहराई से अध्ययन करना पड़ता है वो बिना किताबों के कैसे होगा?
१०. कितने विद्यार्थी कोरोना से संक्रमित है वो कैसे तैयारी करेंगे ? एक विद्यार्थी ने आगे कहा की हमें कोविद में नंबर १ नहीं बनना है हमें भारत को विज्ञान में नंबर १ बनाना है।
आपको बता दे की सुप्रीम कोर्ट एडवोकेट अलख आलोक श्रीवास्तव ने ट्विटर के माध्यम से जानकारी दी की सुप्रीम कोर्ट बुधवार को अपना फैसला सुना सकता है।