संयुक्त राज्य अमेरिका ने केंद्रीय तिब्बत प्रशासन को आमंत्रित किया है, यह 60 वर्षों में पहली बार हुआ है।चीन तिब्बत को अपना हिस्सा बताता है। और इससे चीन को बहुत बड़ा झटका लगने वाला है। अमेरिका तिब्बत की निर्वाचित सरकार को मान्यता दे सकता है। 60 साल के बाद तिब्बत के लिए यह ऐतिहासिक दिन आया है।
आपको बता दें कि भारत की सीमा चीन से कभी मिलती ही नहीं थी। चीन हमारा पड़ोसी था ही नहीं। भारत की सीमा तिब्बत से मिलती थी जिस पर चीन ने अपना कब्जा कर रखा है। चीन की यह कब्जा करने वाली नीति बहुत पुरानी है और वह आज भी इसी नीति को अपनाता है।इतना ही नहीं वह तो अपने मित्र देशों को भी नहीं छोड़ता। पाकिस्तान का एक आईलैंड जो कि सिंध प्रदेश के अंदर आता है उसको चीन कभी भी खरीद सकता चीन ने सिर्फ भारत से ही दुश्मनी नहीं ली है उसने जापान, वियतनाम, थाईलैंड आदि कई देशों से दुश्मनी ली है वह हर देश की जमीन पर अपना अधिकार बताता है।
जमीन ही नहीं सागरों पर भी अपना अधिकार बताता है। चीन का मानना है की कोरोना को छोड़कर हर चीज पर उसी का अधिकार है। चीन पर कोरोना बीमारी के बारे में भी छुपाने का आरोप लगा हुआ है। चीन वैश्विक रूप से घिर चुका है और अब जब तिब्बत को संयुक्त राज्य अमेरिका ने आमंत्रित कर ही दिया है तो यह चीन की रातों की नींद उड़ाने के लिए काफी है। यह माना जा रहा है कि अमेरिका तिब्बत को एक देश का दर्जा दे देगा। आपको बता दें कि चीन ने तिब्बत पर अवैध रूप से कब्जा कर लिया था और वहां के लोगों ने अपनी जान बचाने के लिए भारत में निवास स्थान ढूंढा भारत ने भी दिल खोलकर तिब्बत के लोगों की मदद की।