पड़ोसियों के मुताबिक, संजय लखीमपुर खीरी का मूल निवासी था। दंपति किसी काम से बाहर गए थे और रोजगार की तलाश में नोएडा आया था। “निशा के बहनोई इंद्रजीत पहले दंपति के बेटे पवन को लगभग एक महीने पहले नोएडा ले आए और उन्हें नौकरी दिलाने में मदद की। इसके बाद, इंद्रजीत ने संजय और निशा को शहर बुलाया और पिछले 15 दिनों से उनके साथ रह रहा था“।
एडिशनल डीसीपी (नोएडा) रणविजय सिंह ने बताया की ऐसा लगता है कि संजय की बहस हुई अपनी पत्नी से उसके बाद उसने खुद को और अपनी पत्नी को गुस्से में मार डाला। जब इंद्रजीत ने आकर कमरे को खोलने की कोशिश की तो उनका कमरा अंदर से बंद था। जब उन्हें कोई जवाब नहीं मिला, तो उन्होंने खिड़की से कमरे के अंदर हाथ डालकर दरवाजा खोला। उन्हें कमरे के अंदर उनके शव मिले।
सिंह ने कहा कि पवन ने उन्हें बताया कि उनके माता-पिता के बीच व्यक्तिगत विवाद था और वे आम तौर पर एक-दूसरे से लड़ते थे। डीसीपी ने कहा, "दंपत्ति के अपने बेटे के साथ अच्छे रिश्ते नहीं थे, जो उसी इमारत में एक अन्य किराए के आवास में रहता था," यह कहते हुए कि इस जोड़ी की वित्तीय स्थिति भी घटना के पीछे एक कारण हो सकती है।
हालांकि, पड़ोसियों ने कहा कि उन्होंने दम्पति की लड़ाई कभी नहीं सुनी है।