अभी हाल ही में चल रहे किसान आन्दोलन में, मैंने एक किसान भाई को ये कहते हुए सुना कि “यदि सरकार ने वक्त पर वक्त की नज़ाकत को न समझा तो बहुत देर हो जाएगी”। उनकी इस बात को कहने के सन्दर्भ पर तो मैं नहीं गयी लेकिन उनके बोले शब्द “वक्त पर वक्त की नज़ाकत” मेरे दिमाग में घूमते रहे। आखिर क्या है ‘वक्त या वक्त की नज़ाकत’। इसे हम इस तरह समझते हैं कि मान लो आप कहीं बहुत ही महत्वपूर्ण मीटिंग के लिए जा रहे हैं । मगर जैसे ही आप घर से निकलते हैं तो देखते हैं कि आपकी गाडी का एक टायर पंक्चर है। तो अब आप क्या करेंगे? पहले अपनी गाडी का टायर ठीक करेंगे या कोई ऑटो या टैक्सी लेकर अपनी मीटिंग में पहुंचेंगे। जाहिर है कि वक्त की नज़ाकत को देखते हुए आप पहले मीटिंग में जायेंगे । क्यूंकि आप जानते कि मीटिंग में अगर आप नहीं पहुंचे तो आपका बहुत बड़ा नुकसान हो सकता है। हम सभी बचपन से ही “वक्त या समय’ की महिमा को सुनते आ रहे हैं। कहते हैं कि यदि चली गई कोई वस्तु किसी भी मूल्य पर और किसी भी उपाय से वापिस या दुबारा नहीं पाई जा सकती तो उसका नाम है – गया वक्त। यदि धन समाप्त या नष्ट हो जाए, उसे दुबारा कमाया या प्राप्त जा सकता है । किसी कारणवश मान-सम्मान भी जाता रहे तो प्रयत्न करके, अच्छे कार्य करके उसे दुबारा प्राप्त किया जा सकता है। लेकिन बीता हुआ वक्त कभी लौटकर नहीं आता है। शायद यही वज़ह है कि वक्त या समय को ‘अमूल्य धन’ कहा गया है क्यूंकि वह एक बार जाकर वापिस नहीं आया करता। समय या वक्त का पहिया निरंतर घूमता रहता है इसे रोक पाना मुश्किल ही नहीं असंभव है इसीलिए हम सभी को वक्त या समय का सदुपयोग करना चाहिए। समय के सदुपयोग से हम धन कमा सकते हैं। सम्मान तथा समृद्धि भी उन्हीं लोगों की नियति बनती है जो समय का महत्व समझते हैं। वही व्यक्ति जीवन में सफल हुआ है, जिसने आज के काम को आज ही खत्म कर दिया। दुनिया में जितने भी लोगों ने अतुलनीय प्रसिद्धि पाई, सभी ने समय की कीमत को जाना है, जिसने अपने वक्त को जितना महत्वपूर्ण समझा उतनी अधिक मेहनत की, जिसने जितनी अधिक मेहनत की उतना सौभाग्य पाया। जो समय के साथ-साथ खुद को जितना ज्यादा तराशता है, उतना ही निखरता जाता है। समय के महत्त्व को और उसे नियोजित करने की कला ही ‘समय प्रबंधन’ कहलाती है। अगर हम थोड़ा सा समय यह सोचने – विचारने में लगाएँ कि किस प्रकार हमें जीवन में अपना लक्ष्य प्राप्त करना है, अपनी प्राथमिकता निर्धारित करनी है और दिन के 24 घंटों को किस प्रकार नियोजित करना है, तो वह समय दूर नहीं जब सफलता हमारे कदम चूमेगी। उदहारण के लिए महान विद्वान दार्शनिक ईश्वरचन्द्र विद्यासागर समय के बङे पाबंद थे। जब वे कॉलेज जाते तो रास्ते के दुकानदार अपनी घङियाँ उन्हे देखकर ठीक करते थे। गैलेलियो, एक मान वैज्ञानिक, दवा बेचने का काम करते थे और अपने उसी समय में से थोङा-थोङा समय निकाल कर विज्ञान के अनेक आविष्कार करते थे। समाज में ऐसे बहुत से उदहारण हमें देखने को मिल जायेंगे जिन्होंने अपने समय का सदुपयोग करके बहुत ही महान कार्य किये। ये सभी महान या अमीर लोग अपनी कुशलता का प्रदर्शन कर पाने में संभव हुए क्यूंकि उन्होंने अपने समय का सदुपयोग किया। इन सभी मानुभावों के पास भी दिन के चौबीस घंटे ही थे। प्रकृति ने किसी को भी अमीर गरीब नही बनाया उसने अपनी बहुमुल्य संपदा यानि चौबीस घंटे सभी को बराबर बांटे हैं। मगर इन लोगों ने अपने उन चौबीस घंटों को सही तरीके से नियोजित करना सीख लिया था। हर व्यक्ति को समय प्रबंधन की कला सीखना आवश्यक है। समय प्रबंधन से हमारा मानसिक तनाव कम होता है और हम अपने काम पर फोकस कर पाते हैं। हम जितना समय अपने काम पर फोकस करेंगे, हमारा काम उतना ही अच्छा होगा। इससे हमारी सफलता का ग्राफ ऊपर जाएगा और हमारी जिंदगी के अन्य पहलू भी इससे प्रभावित होंगे। वो लोग जिन्हें टाइम मैनेजमेंट नहीं आता उनके लिए दिन के 24 घंटे भी कम पड़ जाते हैं, जबकि टाइम मैनेजमेंट जानने वाले अपने काम को कम समय में पूरा कर लेते है। समय प्रबंधन ना करने वाले व्यक्ति ज्यादा प्रयासों में, थोड़ा काम कर पाते हैं, जबकि टाइम मैनेजमेंट करने वाले व्यक्ति कम प्रयासों में, ज्यादा काम कर लेते हैं। हाल ही में लेखिका एवं पत्रकार रिंकल शर्मा एवं अमित शर्मा द्वारा लिखित एवं डायमंड पब्लिकेशन द्वारा प्रकाशित पुस्तक “टाइम मैनेजमेंट इज लाइफ मैनेजमेंट” में, समय प्रबंधन की कुछ ऐसी पद्धतियों को उजागर किया गया है जिनसे कोई भी व्यक्ति अपने, कुछ छोटे-छोटे प्रयासों द्वारा अपने समय को नियोजित कर सकता है और अपने जीवन को सफलता की ओर अग्रसर कर सकता है। समय का सही प्रबधन ही जीवन का सही प्रबंधन कहलाता है। मनुष्य कितना ही परिश्रमी क्यों न हो परन्तु समय पर कार्य न करने से उसका श्रम व्यर्थ चला जाता है। वक्त पर न काटी गई फसल नष्ट हो जाती है। असमय बोया बीज बेकार चला जाता है। मशहूर गीतकार और संगीतकार रविन्द्रजैन ने क्या ख़ूब कहा है कि ‘हर बात का वक़्त मुक़र्रर है, हर काम कि सात होती है, गर वक़्त गया तो बात गयी, बस वक़्त कि कीमत होती है देर न हो जाए.....कहीं देर न हो जाये”।
लेखिका : रिंकल शर्मा