अमेरिकी राष्ट्रपति जो बाइडेन ने कहा की वो पूरी तरह कन्विंस है की पुतिन यूक्रेन पर हमला कर देंगे।बाइडेन ने कहा की हमला अगले हफ्ते या आने वाले दिनों में हो जाए।इतना ही नहीं उन्होंने ये भी कहा की यूक्रेन की राजधानी kyiv हमला झेलेगी।
आपको अगर ऐसा होता है तो लगभग28 लाख लोगों पर इसका असर पड़ेगा।पर पुतिन का कहना है की वो यूक्रेन पर हमला नहीं करेंगे पर अपनी शर्तों से पीछे नहीं हटने वाले।
आखिर अमेरिका को क्यों लगता है की रूस हमला करेगा ?
अमेरिका का कहना है की लगभग डेढ़ लाख रुसी सैनिक यूक्रेन बॉर्डर पर तैनात है और इसके अलावा रूस समर्थित अलगावादी भी हमला करने के लिए तैयार है।
अमेरिका का कहना है की रूस ने यूक्रेन को तीनों तरफ से घेर लिया है। बेलारूस में रुसी हेलीकाप्टर देखे जा रहे है औरवह पर भी युद्धाभ्यास चल रहा है।
एक्सपर्ट्स का कहना है की जिस तरह रूस की सेना यूक्रेन बॉर्डर पर खड़ी है उससे प्रतीत होता है की 40 % सेना अटैकिंग मोड में है।
सॅटॅलाइट इमेज से पता चलता है की रूस हमला करने के लिए तैयार बैठा है। इतना ही नहीं रूस ने अपनी रिज़र्व फाॅर्स को भी बॉर्डर पर बुला लिया है।
रूस का इन सब के बीच क्या कहना है ?
रूस ने ये साफ किया है की वो यूक्रेन पर हमला नहीं करेंगे लेकिन जब तक उनकी शर्ते नहीं मान ली जाती वो पीछे नहीं हटेंगे।
रूस ने यूक्रेनियन राष्ट्रपति पर युद्ध को बढ़ावा देने का इलज़ाम भी लगाया है।
अमेरिका और नाटो देशों की स्ट्रेटेजी
देखिए यह बात तो तय है कि युद्ध कोई भी नहीं चाहता, लेकिन अगर फिर भी रूस ने स्क् यूक्रेन पर हमला किया तो नाटो कंट्रीज अपने लोगों को रेस्क्यू करेगी।
यह बात तय है कि यूरोप को फिर से शरणार्थी की समस्या झेलनी पड़ेगी। अमेरिका के राष्ट्रपति जो बिडेन का कहना है कि अगर रूस ने हमला किया तो रूस पर इस बार वे कड़े प्रतिबंध लगाएगी। जब एक पत्रकार ने उनसे पूछा कि क्या यूरोपियन कंट्रीज भी उन पर प्रतिबंध लगाएगी? इसके जवाब में उन्होंने कहा कि बाकी कि नाटो देश शायद अमेरिका से ज्यादा प्रतिबंध लगाए। यह देखना दिलचस्प होगा कि रूस पर प्रतिबंध लगाने में अमेरिका कितना सफल हो पाता है? क्योंकि अगर देखा जाए तो अमेरिका की अलग-थलग करने की राजनीति उसी पर असर डाल रही हैं। अमेरिकी प्रेजिडेंट जो बाइडेन ने कहा है कि नाटो भी कड़ा प्रतिबंध लगाएगा लेकिन ऐसा कितना होता है यह देखना होगा। क्योंकि रूस एक बड़ा गैस सप्लायर है और रशिया पर प्रतिबंध आसान नहीं होगा अगर रूस की बात करें तो 2 बड़े देश चीन और भारत से प्रतिबंध का साथ दें वह बहुत मुश्किल है। चीन और अमेरिका की आपस में बिल्कुल नहीं बनती। चीन और अमेरिका के बीच रिश्ते बहुत ही ज्यादा खराब है। रही बात भारत की तो जब क्रीमिया पर रूस ने कब्जा किया था तो भारत ने रूस का साथ दिया था। भारत ने प्रतिबंधों के बावजूद रूस से हथियार खरीदे थे। अमेरिका ने भारत को S -400 डिफेंस सिस्टम खरीदने से मना किया था पर भारत ने सुरक्षा के दृष्टिकोण से उसे खरीदा।
एक्सपर्ट्स की क्या राय है
फिओना हिल जो की एक सीनियर इंटेलिजेंस ऑफिसर है और ट्रम्प के कार्यकाल में भी काम कर चुकी है ने एक इंटरव्यू में कहा कि पुतिन वह राष्ट्रपति बनना चाहते हैं जिन्होंने अपने कार्यकाल में यूक्रेन को फिर से अपना हिस्सा बनाया ताकि वह 2030 तक आराम से राष्ट्रपति बने रहे। जुलाई 2021 को एक essay (निबंध) भी लिखा जिसमें उन्होंने रशिया और यूक्रेन को एक ही कहा था और यह भी कहा कि क्यों यूक्रेन को रशिया से अलग नहीं होना चाहिए था। वह चाहते हैं कि रूस के पडोसी उनके मित्र देश ही हों।
कई एक्सपर्ट्स का ये भी कहना है की अमेरिका की इज्जत नाटो देशों में कम होने लगी थी। फ्रांस और जर्मनी जैसी कंट्रीज अमेरिका के खिलाफ बोलने लगे थे अमेरिका को नाटो को एकजुट करने के लिए कोई मुद्दा चाहिए था। अमेरिका अपने वजूद को वापस जिंदा करना चाहता है इसलिए इस मुद्दे को काफी ज्यादा उछल रहा है पर आगे देखना होगा कि सच क्या है और यह सच तो आने वाले समय में ही पता चल पाएगा।