स्टैनफोर्ड यूनिवर्सिटी के शोधकर्ताओं की एक टीम ने दावा किया है कि बृहस्पति के चंद्रमाओं में से एक यूरोपा पर पानी की प्रचुरता हो सकती है, जिससे वहां जीवन की संभावना बढ़ गई है।
अब यूरोपा के बारे में कुछ बातें जान लेते हैं-
* यूरोपा पृथ्वी के चंद्रमा से थोड़ा छोटा है और इसका व्यास पृथ्वी के व्यास का लगभग एक चौथाई है।
- यूरोपा में ऑक्सीजन का वातावरण भले ही बहुत पतला है, फिर भी इसे सौर मंडल में सबसे अधिक आशाजनक स्थानों में से एक माना जाता है जहां का वर्तमान वातावरण पृथ्वी से परे जीवन के लिए उपयुक्त हैं।
-यह भी माना जाता है कि यूरोपा की बर्फीली सतह के नीचे पानी की मात्रा पृथ्वी की तुलना में दोगुनी है।
-वैज्ञानिकों का मानना है कि यूरोपा का बर्फ का परत 15-25 किमी मोटा है और एक महासागर पर तैर रहा है।
-दिलचस्प बात यह है, यूरोपा का व्यास पृथ्वी से कम है, और यहां पानी की संभावना पृथ्वी के सभी महासागरों से अधिक है।
-नासा द्वारा 2024 में अपना यूरोपा क्लिपर लॉन्च करने की उम्मीद जताई जा रही है।
- यह मॉड्यूल बृहस्पति की परिक्रमा करेगा और यूरोपा से जुड़े कई डाटा को एकत्रित करेगा।
अब बात यह आती है कि यहां नई खोज क्या है?
-यह पहले से ही ज्ञात है कि यूरोपा की सतह ज्यादातर ठोस पानी की बर्फ की है जिसके नीचे पानी है।
-शोधकर्ता अब दावा कर रहे हैं कि डबल लकीरें - संरचनाएं जो यूरोपा की सतह पर देखी गई हैं वह पृथ्वी की ग्रीनलैंड के बर्फ की चादर पर बनने वाली रेखाओं से मिलती है।
आखिर में यह जान लेते हैं कि हाल के निष्कर्षों का महत्व का महत्व क्या है?
अगर हम शोधकर्ताओं के डबल लकीर वाले संरचना की पुष्टि करने वाले रिसर्च की माने तो इससे यूरोपा में इंसानों के जीवन यापन की संभावना बढ़ जाती है। हालांकि, बर्फ का खोल, जो संभावित रूप से मीलों मोटा है, वैज्ञानिकों के लिए इसका नमूना लेना एक कठिन काम है। इन सभी बातों को अगर ध्यान में रखें तो इतना जरूर कहा जा सकता है कि अगर वैज्ञानिक सही ढंग से इस पर और शोध करें तो हो सकता है यूरोपा पर इंसानी बस्ती बनाने का सपना साकार हो सके।