ताजा मामला यह है कि गोवा में बॉम्बे के उच्च न्यायालय में एक जनहित याचिका दायर की गई है। इस याचिका में तर्क दिया है कि गोवा में 12 सदस्यीय कैबिनेट है, और कैबिनेट की स्थिति के परिणाम में कैबिनेट रैंक की संख्या बढ़कर 13 हो जाती है, जो संविधान द्वारा अनिवार्य सीमा से अधिक है। इस सीमा को 91वें संशोधन द्वारा अनिवार्य किया गया था, जिसका उद्देश्य जंबो कैबिनेट्स और इसके परिणामस्वरूप सरकारी खजाने पर होने वाली निकासी को रोकना था। संविधान (91वां संशोधन) अधिनियम, 2003 ने अनुच्छेद 164 में खंड 1ए को शामिल किया। इसमें कहा गया है कि किसी राज्य में मंत्रिपरिषद में मुख्यमंत्री सहित मंत्रियों की कुल संख्या उस राज्य की विधान सभा के सदस्यों की कुल संख्या के 15% से अधिक नहीं होनी चाहिए।
अब यह जान लेते हैं कि "कैबिनेट मंत्री के पद की आजीवन स्थिति" क्या है?
पूर्व मुख्यमंत्री और पूर्व अध्यक्ष (गोवा विधानसभा के) ने विधायक के रूप में 50 साल पूरे कर लिए थे। कैबिनेट द्वारा फैसला लिया गया कि भविष्य में भी 50 साल पूरे करने वाले और सीएम और स्पीकर जैसे पदों पर रहने वालों को उनकी सेवानिवृत्ति के बाद भी कैबिनेट मंत्री का दर्जा दिया जाएगा। अब यह मामला कोर्ट में है, देखते हैं इस पर क्या फैसला आता है।