CCG कि चिट्ठी में लिखा गया था कि पिछले कुछ सालों में भाजपा शासित राज्य में अल्पसंख्यक समुदायों और मुसलमानों को निशाना बनाया गया है, जो सही नहीं है। संविधान को ताक पर रखकर जिस तरह चीजें हो रही हैं, उनसे हम परेशान हैं। इस चिट्ठी में यह भी कहा गया था कि इतने बड़े सामाजिक खतरे के सामने पीएम की चुप्पी ठीक नहीं है। सबका साथ सबका विकास और सबका विश्वास क्या आप के वादे को दोहराते हुए हम आपसे अपील करते हैं कि आप अपनी चुप्पी को तोड़िये।
ऐसा माना जा रहा है कि इसी पत्र के जवाब में अब 197 माननीयों अपना समर्थन वाला पत्र पीएम को लिखा है।
इन माननीयों ने अपने पत्र में लिखा की CCG की चिट्ठी सिर्फ हताशा का परिणाम है जो हाल ही के विधानसभा चुनावों में पीएम मोदी और उनकी पार्टी की जीत से सामने आया है । उनका कहना है ऐसे लोग खुद को दिखाते हैं कि वह समाज के हित का काम कर रहे हैं, जबकि असल मायने में वह मोदी सरकार के विरोधी हैं और जनता को सरकार के खिलाफ करना चाहते हैं।
पत्र में यह कहा गया है यह सब कुछ वह अपनी असफलता को छुपाने के लिए कर रहे हैं। इसमें पश्चिम बंगाल में चुनाव के बाद होने वाली हिंसा पर CCG की चुप्पी पर भी सवाल उठाया गया है। यह उनके अनैतिक और निंदक दृष्टि को उजागर करता है।