देश में हर साल 1 मई को मजदूर दिवस (Labour Day) मनाया जाता है। साल का यह एक दिन ऐसा होता है जब हम सब सभी मजदूरों की स्थिति और उनके जीवन से जुड़े संघर्षों को जानना चाहते हैं। हमारी टीम ने भी कुछ मजदूरों से बात की और जानने की कोशिश की कि वह सरकार से क्या चाहते हैं और उनकी क्या परेशानियां है।
मजदूरों ने बताया वह सबसे ज्यादा दुखी उन्हें मिलने वाले पारिश्रमिक से हैं। हमें बताया गया कि बड़े शहरों में ₹400 प्रतिदिन की दिहाड़ी मिलती है, इसके अनुसार महीने का ₹12000 कमाते हैं। कुछ बिहार के मजदूरों ने बताया की बिहार में उन्हें ₹150 की दिहाड़ी मिला करती है जोकि बहुत कम है। अगर हम महीने का हिसाब लगाएं तो ₹150 के हिसाब से ₹4500 प्रति माह हुआ। मजदूरों को मिलने वाली यह मजदूरी सबसे बड़ा कारण है मजदूरों के दुखी होने का।
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इसके साथ ही मजदूरों ने बताया की टेलीकॉम कंपनियों का नया रिचार्ज प्लान उनके लिए बहुत महंगा पड़ रहा है। सिम को चलाने के लिए लिया जाने वाला अनिवार्य शुल्क उनके बजट के लिए ठीक नहीं है। कुछ मजदूरों ने इतना तक कह दिया अगर सरकार इसके लिए कुछ नहीं करती है तो वह फोन चलाना तक बंद कर देंगे। आप सोच कर देखिए कि हम जैसे डिजिटल इंडिया का सपना देख रहे हैं क्या वह समाज के इस वर्ग के बिना पूरा हो पाएगा।
हमें ऐसे मजदूर मिले जो साथ के साथ किसानी का भी काम करते हैं, हमें बताया गया कि बढ़ती महंगाई ने खेती करना बहुत मुश्किल कर दिया है।
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आखिरी में हम बस इतना ही कहेंगे कि समाज के इस वर्ग को भी ऊपर उठने का हक है और एक अच्छा जीवन जीने का अधिकार है। सरकार को जमीनी स्तर पर इनके लिए और अधिक योजनाएं चलाना चाहिए जिससे इन्हें मदद मिल सके। सरकार को साथ ही जागरूकता अभियान भी चलाना चाहिए जिससे इन मजदूरों को कोई बहका ना सके और इन्हें इनका हक मिल सके।