चीन का इकनोमिक कॉरिडोर जो की हमेशा से अमेरिका के लिए सिर दर्द रहा है और सिर्फ अमेरिका नहीं भारत भी इससे चिंतित रहा है को टक्कर देने के लिए अमेरिका और जापान के साथ 11 अन्य देशों के साथ इकनोमिक फ्रेमवर्क लांच करने का निर्णय किया है।
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अमेरिका और जापान 11 अन्य देशों के साथ मिलकर इंडो-पैसिफिक इकोनॉमिक फ्रेमवर्क लॉन्च करेंगे। यह फ्रेमवर्क हमारे करीबी दोस्तों और भागीदारों के साथ क्षेत्र में काम करने और आर्थिक प्रतिस्पर्धा सुनिश्चित करने के लिए सबसे महत्वपूर्ण चुनौतियों के साथ काम करने की प्रतिबद्धता को दर्शाता है।
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चीन ने यूरोप को जोड़ने के लिए अपना कॉरिडोर बनाने का सोचा था जो की सिल्क रोड के तर्ज पर था। इसमें पाकिस्तान ने अपनी जमीन देकर चीन की मदद की थी। चीन ने पाकिस्तान में अपने इंजीनियर भी भेजे पर पाकिस्तान चीन के कर्ज के टेल दबता गया।
पाकिस्तान की चीनी कॉरिडोर से उम्मीद काम होने लगी। इधर भारत ने भी ईरान को चाबहार बंदरगाह के सहारे जोड़ने की कोशिश की और चीन को सन्देश दिया। ये बंदरगाह सिर्फ चीन ही नहीं पाकिस्तान के लिए भी सिर का दर्द था।
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इतना ही नहीं पाकिस्तान में चीन की पूरी एक कॉलोनी बन चुकी है और वहां चीन की भाषा का भी विस्तार हो रहा है। कई बार तो चीनी नागरिकों के द्वारा पाकिस्तान के लोगों को बेइज्जत भी होना पड़ा। कई बार पाकिस्तान में चीन के खिलाफ विरोध हुआ। पाकिस्तान पर चीन को जमीन बेचने तक का आरोप लगा।
अब चीन के इंजीनियरों पर आतंकवादी हमले शुरू हो गए है। चीन के लोग पाकिस्तान छोड़ के भागने लगे है।जिसके बाद चीन ने पाकिस्तान में मिलिट्री आउटपोस्ट बनाने की बात कह दी है।चीन का ये कॉरिडोर बनाने का सपना है और इसके लिए चीन हाथ-पैर मारता ही रहेगा।
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लेकिन अब जो जापान में इंडो पैसिफिक कॉरिडोर बनाने की बात हुई है ये जरूर चीन को चिंता में डाल देगा। इतना ही नहीं पाकिस्तान को भी भविष्य में इससे परेशानी हो सकती है क्योंकि पाकिस्तान ने बयान दिया है की चीन के हितों पर हमला अर्थात पाकिस्तान पर हमला है।
अमेरिकी राष्ट्रपति जो बिडेन ने जापान के टोक्यो में कहा की "21 वीं सदी में डिजिटल अर्थव्यवस्था में सुरक्षा और विश्वास में सुधार, श्रमिकों की रक्षा, आपूर्ति श्रृंखला को मजबूत करना और भ्रष्टाचार से निपटना जो राष्ट्रों को उनके नागरिकों की सेवा करने की क्षमता से वंचित करता है।