टेरर फंडिंग केस | दिल्ली की एनआईए कोर्ट ने यासीन मलिक को उम्रकैद की सजा सुनाई है। अधिवक्ता उमेश शर्मा ने बताया की टेरर फंडिंग केस में यासीन मलिक को दो आजीवन कारावास, 10 अपराध में 10 वर्ष का कठोर कारावास व 10 लाख रुपए जुर्माना, सभी सजाएं साथ-साथ चलेंगी।
मलिक को गैरकानूनी गतिविधि रोकथाम अधिनियम और भारतीय दंड संहिता की धारा 120-बी (आपराधिक साजिश) और 124-ए (देशद्रोह) के तहत आरोपों का सामना करना पड़ा। मलिक ने 10 मई को सभी आरोपों के लिए दोषी ठहराया।
यासीन मलिक के खिलाफ मामला पाकिस्तान स्थित आतंकवादी संगठन लश्कर-ए-तैयबा के प्रमुख हाफिज सईद और अन्य अलगाववादी नेताओं की जम्मू-कश्मीर में अलगाववादी और आतंकवादी गतिविधियों के लिए घरेलू और विदेशों से धन जुटाने, प्राप्त करने और एकत्र करने की साजिश से संबंधित है।
मामले में शेष आरोपियों के खिलाफ मुकदमा जारी रहेगा क्योंकि उन्होंने दोषी नहीं होने का अनुरोध किया है।
विशेष न्यायाधीश प्रवीण सिंह ने पिछले हफ्ते कहा था कि मलिक को उनकी याचिका पर विचार करने के लिए पर्याप्त समय दिया गया था। मलिक को एक सूचित विकल्प बनाने के लिए कानूनी सलाह लेने का अवसर भी दिया गया था। अदालत ने मलिक से पूछा कि क्या वह अपनी याचिका पर फिर से विचार करना चाहते हैं। मलिक ने जवाब दिया कि उसने सोच-समझकर फैसला लिया है। यह नोट किया गया कि न्याय मित्र अखंड प्रताप सिंह ने जेल में मलिक से दो बार मुलाकात की और उसे अपने फैसले के परिणामों के बारे में बताया और फिर भी, अलगाववादी नेता दोषी ठहराए जाने के अपने फैसले पर कायम रहा।