Ukraine - Russia : Ukraine Army Better Than Pakistan: कैसे यूक्रेन की सेना अमेरिकी हथियारों और प्रशिक्षण के साथ पाकिस्तान से बेहतर लड़ रही है?

Ashutosh Jha
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कभी आपके मन में ये सवाल आया है की कैसे यूक्रेनी सेना ने रूस की सेना को पिछले दो महीने से रोक के रखा है? अब आप कहेंगे की ये पश्चिमी देशों के द्वारा दिए हथियारों का नतीजा है, या फिर पश्चिमी देशों द्वारा दिए सैन्य प्रशिक्षण का नतीजा है। पर आप सोचिये की रूस की सेना को युद्ध का अनुभव है साथ के साथ रूस की सेना एक विशाल सेना है और रूस के हथियार काफी घातक भी है। तो आखिर इस युद्ध को 2 महीने हो चुके है और कोई नतीजा कैसे नहीं निकला? तो आइये इसी की चीज़ का विश्लेषण करते है। 

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अमेरिका द्वारा प्रशिक्षण और हथियार की बात करते है -  

1. अमेरिका ने पाकिस्तान की सेना को  दिया था सैन्य प्रशिक्षण - अगर आपको ज्ञात हो तो अमेरिका के रिश्ते पाकिस्तान के साथ काफी ज्यादा अच्छे थे। अमेरिका ने भारत के विरुद्ध एक ताकत को खड़ा करने का सोचा इसके लिए उसने पाकिस्तान की सेना को प्रशिक्षण के साथ कई घातक हथियार दिए।

  • 1971 में अमेरिका की पाकिस्तान को मदद- अमेरिका ने पाकिस्तान को ग़ाज़ी पनडुब्बी दी थी जो काफी खतरनाक पनडुब्बी थी और कहा जा रहा था की इसे कोई नहीं डूबा सकता। पाकिस्तान को अमेरिका ने उस अंतराल में भारत से युद्ध लड़ने के लिए और भी कई घातक हथियार दिए थे, और शायद आपको ये बात पता न हो अमेरिका के नेताओं पर पाकिस्तान को हथियार देने की वजह से जांच बैठ गयी थी क्योंकि दुनिया को पता लग गया था की पाकिस्तान किस तरह मासूमों की बांग्लादेश में हत्या कर रहा था।इन हत्याओं की वजह से अमेरिका को पाकिस्तान के ऊपर मिलिट्री सामान का बैन लगाना पड़ा था मतलब अमेरिका पाकिस्तान को मिलिट्री सामान मुहैया नहीं करा सकता था। एक रिपोर्ट के अनुसार पाकिस्तान ने लगभग 200,000 से अधिक बांग्लादेशी मार दिए थे और जो बचे थे वह भारत भाग कर आ गये थे और शरणार्थी का जीवन जी रहे थे। पाकिस्तान ने मुख्य रूप से पढ़े - लिखे समाज को मारना शुरू किया था जिसकी वजह से जब बांग्लादेश आजाद हुआ तब बांग्लादेश में पढ़े लिखे लोग न के बराबर थे। इन सब ट्रेनिंग व हथियारों के बावजूद गाज़ी डूबा और अमेरिकन हथियार और प्रशिक्षण पाकिस्तान को बचा न सके और पाकिस्तान 1971 के युद्ध में बुरी तरह हार गया।      
  • कारगिल युद्ध - 1971 के युद्ध के बाद कारगिल युद्ध का समय था। उस समय में भी अमेरिका की पाकिस्तान के साथ अच्छी दोस्ती थी। 1983 में पाकिस्तान को अमेरिका ने ऍफ़-16 फाइटर जेट मुहैया करना शुरू किया  था। और आज के समय में पाकिस्तान के पास 75 ऍफ़ 16 फाइटर जेट्स है। लेकिन अमेरिका को इस बात का डर था की  ऍफ़ -16 जैसा खतरनाक हथियार देने के कारण अमेरिका पर अस्थिरता फैलाने का आरोप लग  सकता है इसके लिए अमेरिका ने ये भी शर्त रखी थी की ये फाइटर जेट्स किसी देश पर हमला करने के लिए नहीं दिए गए हैं बल्कि ये फाइटर जेट्स तो आतंकवादियों को मारने के लिए दिए गए है। पाकिस्तान ने भारतीय चोटियों पर कब्ज़ा कर लिया था जो की शिमला एग्रीमेंट का भी उलंघन था। जब पाकिस्तान से  सवाल पूछा गया की आपने हिंदुस्तान की ज़मीन पर कब्ज़ा क्यों किया तो इसके जवाब में पाकिस्तान ने ये कहा की हमारी सेना ने कोई ज़मीन नहीं कब्जाई और ये हरकत आतंकवादियों की है। लेकिन युद्ध ख़तम होने के बाद भारत ने पाकिस्तानी सेना के जवानों को ज़िंदा पकड़ा और जो युद्ध में पाकिस्तान सेना के जवान मरे उनके पाकिस्तानी होने का सबूत भी दिया लेकिन फिर भी पाकिस्तान ने उन्हें पाकिस्तानी सेना का होने से इंकार कर दिया। पाकिस्तान और उसके सहयोगी देशों को ये पता था की पाकिस्तान ने जिन पहाड़ी क्षेत्रों को कब्जाया है इसको भारत वापिस नहीं ले सकता क्योंकि मृत्यु दर 1 : 27  था यानी अगर पाकिस्तान का एक सैनिक मरता तो भारत के 27 सैनिकों का शहीद होना निश्चित था। पाकिस्तानी सेना इतनी मजबूत स्थिति में थी की वह भारतीय सेना की आँख तक पर आराम से निशाना साध सकती थी। एक चोटी टाइगर हिल पर दुबारा कब्ज़ा करना बहुत अधिक मुश्किल था। जब नवाज शरीफ क्लिंटन से बात कर रहे थे तो टीवी पर भारत के टाइगर हिल पर दुबारा कब्जे की बात फ़्लैश हो रही थी। जब नवाज़ शरीफ ने ब्रेक के बाद मुशर्रफ को कॉल कर के पूछा क्या ये बात सही है तो मुशर्रफ़ ने इस बात का खंडन नहीं किया। 
अमेरिका में ट्रम्प सरकार के आने के बाद पाकिस्तान में सैन्य ट्रेनिंग की फंडिंग को रोका गया।  लेकिन अब बिडेन की  सरकार अमेरिका में आ चुकी है तो अमेरिका का पैसा वापिस से पाकिस्तान सेना की ट्रेनिंग में खर्च हो सकता है।  
 
 2. अमेरिका ने अफ़ग़ानिस्तान की सेना को दिया प्रशिक्षण व हथियार -  तालिबान से लड़ने के लिए अफगानिस्तान की सेना को अमेरिका ने सैन्य प्रशिक्षण दिया। इतना ही नहीं हथियार भी मुहैया कराये जो अब तालिबान के हो चुके है। अफ़ग़ानिस्तान की सेना युद्ध हार गयी और तालिबान का अफ़ग़ानिस्तान पर शासन हो गया। ये बात भी आपको पता होनी चाहिए की अफ़ग़ानिस्तानी सेना को भारत की सेना ने भी ट्रेनिंग दी थी। अफ़ग़ानिस्तान की महिला सेना विशेष रूप से भारत में प्रशिक्षण लेती थी और भारत ने हैलीकॉप्टर्स और कई हथियार भी अफ़ग़ानिस्तान को दिए थे फिर भी अफ़ग़ानिस्तान की सेना को हार का सामना करना पड़ा। 
 
तो ऐसा क्या अलग यूक्रेन में अमेरिका ने किया है जिससे रूस अभी तक यूक्रेन को जीत नहीं सका है?
ये बात सच है की यूक्रेन की सेना को अमेरिकी हथियार और पश्चिमी देशों के हथियारों के साथ-साथ पश्चिम के देशों द्वारा दी गयी ट्रेनिंग ने काफी मदद की है। लेकिन ये बात भी गौर करने वाली है की यूक्रेन के पास रूसी हथियार ही थे। युद्ध के प्रारम्भ में रूस को यूक्रेन के S-300 ने काफी तंग किया था जो की एक रूसी वायु रक्षा प्रणाली है। यूक्रेन ने युद्ध की शुरूआत से ही रूस को काफी ज्यादा परेशान कर रखा है जो ये साबित करता है की अमेरिका या अन्य पश्चिमी देशों के सिर्फ हथियारों का ही नतीजा नहीं है। अगर हम प्रशिक्षण की बात करें तो यूक्रेन को युद्ध का अनुभव उतना ही है जितना रूस को।
 
पाकिस्तान,अफ़ग़ानिस्तान और यूक्रेन के युद्ध से ये तो सिद्ध हो गया की हथियार या प्रशिक्षण ही एक मात्र कारक नहीं है जिसकी वजह से यूक्रेन ने  रूस को टक्कर दिया है । आइये अब उन कारकों को समझने की कोशिश करते है जिनकी वजह यूक्रेन ने रूस को टक्कर दे रखा है-
  • युद्ध रणनिति - अगर आप यूक्रेन युद्ध को देखें तो यहां पर युद्ध नीति का अच्छा होना सबसे बड़ा कारक है। और ये बात भारत के नेवी चीफ ने भी कुछ दिन पहले मानी थी। भारत के नेवी चीफ ने कहा था की यूक्रेन की वायु सेना ख़तम हो चुकी है लेकिन जिस तरह यूक्रेन की सेना अपने से विशाल और ताकतवर देश के सामने खड़ी है और उसे टक्कर भी दे रही है ये साबित करता है की यूक्रेन की युद्ध नीति सही काम कर रही है।
  • देश के लोगों का समर्थन - इसके साथ ही रूस को यूक्रेन के लोगों द्वारा समर्थन नहीं मिल पा रहा है जैसा की अफ़ग़ानिस्तान में तालिबान को मिला था और पाकिस्तान को तो समर्थन मिलना नामुमकिन सा ही था। 
  • हथियारों की सप्लाई - अगर आप ये गौर करें की यूक्रेन को युद्ध में हथियारों को प्राप्त करने में ज्यादा दिक्कत नहीं आ रही है।यूक्रेन को पश्चिमी देशों के हथियार ही नहीं अमेरिका के भी हथियार सही समय पर मिल जा रहें है जो एक महत्वपूर्ण कारण भी बन चूका है युद्ध के लम्बा चलने का और रूस के तंग होने का। 
  • मजबूत नेतृत्व : अगर आप देखें तो यूक्रेन के राष्ट्रपति ज़ेलेन्स्की देश छोड़ के कहीं नहीं भागे हैं।वो अपने देश के साथ अभी तक खड़े है। और बीच- बीच में अपने देश के लिए राजनितिक प्रयास कर रहे हैं।  

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