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इस परीक्षण की जरुरत संयुक्त राज्य अमेरिका को काफी समय से थी क्योंकि इन दोनों ही देशों के पास हाइपरसोनिक मिसाइल थी और इनके सेना में शामिल भी शामिल हो चुकी थी। वायु सेना के अनुसार, एआरआरडब्ल्यू को लॉकहीड मार्टिन द्वारा युद्ध की स्थितियों में तेजी से और सवेंदनशील लक्ष्यों को नष्ट करने के लिए विकसित किया गया है। अमेरिकी वायु सेना ने पहले भी हाइपरसोनिक मिसाइल का परिक्षण किया था, लेकिन मिसाइल विफल हो गयी थी। असफल परीक्षणों के बाद अब जा कर परिक्षण सफल हो पाया है। हाइपरसोनिक हथियारों पर काम करने वाला अमेरिका अकेला देश नहीं है।
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अमेरिकी सैन्य अधिकारियों के अनुसार, रूस ने यूक्रेन में हाइपरसोनिक मिसाइलें दागी हैं और चीन ने हाइपरसोनिक हथियारों का परीक्षण किया है।जनवरी में उत्तर कोरिया ने दो हाइपरसोनिक मिसाइल परीक्षण करने का दावा किया था।संयुक्त राज्य अमेरिका, यूनाइटेड किंगडम और ऑस्ट्रेलिया यह घोषणा कर चुके हैं की वे हाइपरसोनिक मिसाइल हमले और रक्षा क्षमताओं पर एक साथ काम करना शुरू करेंगे।
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भारत ने भी हाइपरसोनिक मिसाइल की टेक्नोलॉजी में काफी तरक्की की है और हो सकता है की कुछ समय बाद भारत भी हाइपरसोनिक मिसाइल रखने वाला देश बन जाएगा।
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