इलेक्ट्रॉनिक्स और सूचना प्रौद्योगिकी मंत्रालय (Ministry of Electronics and Information Technology- MeitY) ने वर्चुअल प्राइवेट नेटवर्क (VPN) कंपनियों को पांच साल या उससे अधिक समय के लिए उपयोगकर्ता का डेटा एकत्र करने और स्टोर करने का आदेश दिया है। अब आप सोच रहे होंगे कि आखिर किस तरह का डाटा store दिया जाएगा, तो आपको बता दें कि इसमें उपयोगकर्ता के घर का पता, IP एड्रेस और उपयोग पैटर्न को रिकॉर्ड करना होगा। तो अभी जितना वीपीएन ऑन कर के मजे लेते थे, संभल जाओ क्योंकि ऐसे में लंका लग सकती है। और इन सभी चीजों को सही तरीके से करने के लिए विभिन्न कंपनियों को सरकार ने 60 दिन का समय दिया है।
और ऐसा नहीं है कि आप सोचें की अगर हम वीपीएन कंपनी की सदस्यता रद्द कर दें तो हमारा डाटा भी डिलीट कर दिया जाएगा तो आप गलत है, सरकार बहुत चालाक है, इसने अपने नए आदेश में यह भी कहा है कि उपयोगकर्ता द्वारा अपना खाता निष्क्रिय करने या सदस्यता रद्द करने के बाद भी कंपनियां उपयोगकर्ता के रिकॉर्ड को अपने पास सुरक्षित रखेंगी। भारतीय कंप्यूटर इमरजेंसी रिस्पांस टीम (सीईआरटी-इन) ने भी डेटा केंद्रों और क्रिप्टो एक्सचेंजों को इस महीने की शुरुआत में ही नए आदेश का पालन करने के लिए कहा है।
यह नया कानून 27 जुलाई से लागू होगा और अगर कोई कंपनी नए कानूनों का पालन करने में विफल रहती है, तो संबंधित अधिकारियों को एक साल तक की जेल होगी।
अब आप सोच रहे होंगे कि आखिर इस कदम की जरूरत ही क्यों है तो आपको बता दें वीपीएन का इस्तेमाल ज्यादातर लोग अच्छी चीजों के लिए करते हैं, रिसर्च के लिए करते हैं। लेकिन ऐसे भी लोग हैं जो VPN का इस्तेमाल गलत तरीके से करते हैं, देश को तोड़ने की सोच लेकर करते हैं, आतंकवाद फैलाने को लेकर करते हैं, देश में तरह तरह के आंदोलनों को नियंत्रित करके हमारी व्यवस्था को चुनौती देते हैं, और भी बहुत तरीके से देश विरोधी और जनविरोधी हरकतों में संलग्न रहते हैं, इन्हीं सब चीजों पर लगाम लगाने के लिए सरकार द्वारा यह महत्वपूर्ण कदम उठाया गया है। डार्क-नेट गतिविधियों पर अंकुश लगाना भी इसका एक महत्वपूर्ण कारण है, उपयोगकर्ता इन दिनों डार्क और डीप वेब की ओर बढ़ रहे हैं, जिन्हें ट्रैक करना पुलिस के लिए बहुत कठिन हैं।
अब इतना देर से जिस वीपीएन का हम बात कर रहे हैं, जान लेते हैं कि आखिर ये वीपीएन क्या है?
जब आप इंटरनेट चलाते हैं तब यह पता रहता है कि आपका आईपी एड्रेस क्या है आप कहां से इंटरनेट चला रहे हैं, और बाकी तरह की जानकारियां आसानी से हासिल किया जाता सकता है। लेकिन आप वीपीएन का इस्तेमाल करते हैं तब यह जानकारियां छुप जाती हैं, यह इंटरनेट ट्रैफ़िक को एन्क्रिप्ट करता है और उपयोगकर्ता की ऑनलाइन पहचान को छुपाता है। इससे तृतीय पक्षों के लिए आपकी गतिविधियों को ऑनलाइन ट्रैक करना और डेटा चोरी करना अधिक कठिन हो जाता है।
जैसे मान लीजिए आप दिल्ली में बैठ कर के किसी साइट को एक्सेस करते हैं और अगर वीपीएन का यूज़ करते हैं तो उसमें आप की लोकेशन यूरोप दिखा सकता है, या फिर कुछ नहीं दिखा सकता है, आप की सही लोकेशन को इसके जरिए छुपाया जा सकता है,
कुछ कंपनियां फीस लेकर के अपने वीपीएन का इस्तेमाल करने देती हैं तो कुछ ऐसी भी हैं जिनका VPN आप मुफ्त में इस्तेमाल कर सकते हैं, हालांकि कुछ ब्राउज़र रहते हैं जिनका इस्तेमाल करके आप अपनी लोकेशन को पूरी तरह सुरक्षित रख सकते हैं क्योंकि ऐसे ब्राउज़र में ब्लॉकचेन टेक्नोलॉजी का यूज किया जाता है और ऐसे टेक्नोलॉजी में उपयोगकर्ता की जानकारी इकट्ठा करना एक तरीके से नामुमकिन होता है
लोग वीपीएन का उपयोग क्यों करते हैं?
सुरक्षित एन्क्रिप्शन: एक वीपीएन कनेक्शन आपके डेटा ट्रैफ़िक को ऑनलाइन छुपाता है और इसे बाहरी एक्सेस से बचाता है। अनएन्क्रिप्टेड डेटा कोई भी व्यक्ति देख सकता है जिसके पास नेटवर्क एक्सेस है और वह इसे देखना चाहता है। एक वीपीएन के साथ, हैकर्स और साइबर अपराधी इस डेटा को नहीं समझ सकते हैं।
ठिकाने छिपाना: वीपीएन सर्वर अनिवार्य रूप से इंटरनेट पर आपके प्रॉक्सी के रूप में कार्य करते हैं। चूंकि जनसांख्यिकीय स्थान डेटा किसी अन्य देश के सर्वर से आता है, इसलिए आपका वास्तविक स्थान निर्धारित नहीं किया जा सकता है।
डेटा गोपनीयता : अधिकांश वीपीएन सेवाएं आपकी गतिविधियों के लॉग को संग्रहीत नहीं करती हैं। दूसरी ओर, कुछ प्रदाता आपके व्यवहार को रिकॉर्ड करते हैं, लेकिन इस जानकारी को तीसरे पक्ष को नहीं देते हैं। इसका मतलब है कि आपके उपयोगकर्ता व्यवहार का कोई भी संभावित रिकॉर्ड स्थायी रूप से छिपा रहता है।
क्षेत्रीय सामग्री तक पहुंच: क्षेत्रीय वेब सामग्री हमेशा हर जगह से उपलब्ध नहीं होती है। सेवाओं और वेबसाइटों में अक्सर ऐसी सामग्री होती है जिसे केवल दुनिया के कुछ हिस्सों से ही एक्सेस किया जा सकता है। आप जैसे कोई वेबसाइट भारत में प्रतिबंधित है, तो आप उसे भारत में रहकर नहीं चला सकते लेकिन अगर आप वीपीएन का यूज़ करते हैं तो आप उस वेबसाइट पर आसानी से चला सकते हैं।
सुरक्षित डेटा ट्रांसफर: यदि आप दूर से काम करते हैं, तो आपको अपनी कंपनी के नेटवर्क पर महत्वपूर्ण फाइलों तक पहुंचने की आवश्यकता हो सकती है। सुरक्षा कारणों से, इस प्रकार की जानकारी के लिए एक सुरक्षित कनेक्शन की आवश्यकता होती है। तो ऐसे में भी VPN का इस्तेमाल किया जाता है।
क्या इसका मतलब वीपीएन बेकार हो जाएगा?
भारत सरकार ने अभी तक वीपीएन पर प्रतिबंध नहीं लगाया है, इसलिए उनका उपयोग अभी भी उस क्षेत्र में अवरुद्ध सामग्री तक पहुंचने के लिए किया जा सकता है, जो इन सेवाओं का सबसे आम उपयोग है।
हालांकि, पत्रकार, कार्यकर्ता और अन्य जो अपने इंटरनेट जानकारी को छिपाने के लिए ऐसी सेवाओं का उपयोग करते हैं, उन्हें उनके बारे में दो बार सोचना होगा।
अब जाते-जाते इंडियन कंप्यूटर इमरजेंसी रिस्पांस टीम (CERT-IN) के बारे में भी जान लेते हैं, CERT-IN इलेक्ट्रॉनिक्स और सूचना प्रौद्योगिकी मंत्रालय के अंतर्गत एक कार्यालय है। यह हैकिंग और फ़िशिंग जैसे साइबर सुरक्षा खतरों से निपटने के लिए नोडल एजेंसी है। यह भारतीय इंटरनेट डोमेन की सुरक्षा से संबंधित रक्षा को मजबूत करता है। इसका गठन 2004 में भारत सरकार द्वारा संचार और सूचना प्रौद्योगिकी मंत्रालय के तहत सूचना प्रौद्योगिकी अधिनियम, 2000 धारा (70B) के तहत किया गया था।
हालांकि यह बात बिल्कुल सही है कि हम क्या कर रहे हैं यह हमारा प्राइवेट मैटर है और सरकार को इसमें हस्तक्षेप करने का कोई अधिकार नहीं है, हमारा संविधान भी हमारी प्राइवेसी को सुरक्षित रखने के लिए हमें अधिकार देता है, लेकिन इस बात से भी नकारा नहीं जा सकता है की VPN का दुरुपयोग भी हो रहा है, प्राइवेसी को हथियार बनाकर के देश विरोधी गतिविधियों को बढ़ावा दिया जा रहा है, जिससे हमारी सुरक्षा एजेंसी और सिक्योरिटी फोर्स को एक बहुत बड़ा चैलेंज मिल रहा है, एक बात याद रखिए अगर देश सुरक्षित तो संविधान सुरक्षित, हमारी संस्कृति सुरक्षित, हम सुरक्षित, इसीलिए सरकार का यह फैसला स्वागत योग्य है