Worship Act 1991 है क्या?

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आखिर वरशिप एक्ट 1991 है क्या?

पूजा स्थल अधिनियम या वरशिप एक्ट, 1991, का मतलब है की किसी भी पूजा स्थल के रूपांतरण (बदलने) करने को प्रतिबंधित करता है। इस कानून के मुताबिक 15 अगस्त 1947 से पहले अस्तित्व में आए किसी भी धर्म के पूजा स्थल को किसी दूसरे धर्म के पूजा स्थल में नहीं बदला जा सकता। अगर कोई ऐसा करने की कोशिश करता है तो उसे एक से तीन साल तक की जेल और जुर्माना हो सकता है।  इसके अधिनियम को पी.वी. नरसिम्हा राव की सरकार द्वारा राम मंदिर आंदोलन के दौरान लाया गया था।


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हालाँकि, अधिनियम में एक अपवाद है, वह है बाबरी मस्जिद विवाद। पूजा स्थल अधिनियम, 1991 की धारा 3 के अनुसार, पूजा स्थलों के रूपांतरण पर प्रतिबंध है। अधिनियम में कहा गया है, "कोई भी व्यक्ति किसी भी धार्मिक संप्रदाय या उसके किसी भी वर्ग के पूजा स्थल को एक ही धार्मिक संप्रदाय या एक अलग धार्मिक संप्रदाय या उसके किसी भी वर्ग के एक अलग वर्ग के पूजा स्थल में परिवर्तित नहीं करेगा।" 

ये कानून क्यों बनाया गया?
1990 के दौरान राम मंदिर आंदोलन काफी चर्चा में था और राम मंदिर आंदोलन के बढ़ते प्रभाव के कारण और भी मंदिर-मस्जिद विवाद उठने लगे थे तो इन विवादों पर विराम लगाने के लिए ही उस समय की नरसिम्हा राव सरकार ये कानून लेकर आई थी। 

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पहले भी हुआ विरोध

ये बात भी आपको बता दे की ऐसा पहली बार नहीं जब इसका विरोध हुआ है इससे पहले भी जब क़ानून को बनाया जा रहा था तब भी संसद में भाजपा ने इसका विरोध किया था। उस समय राज्यसभा में अरुण जेटली और लोकसभा में उमा भारती ने इस मामले को संयुक्त संसदीय समिति (JPC) के पास भेजने की मांग की थी।

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