आगजनी तोड़फोड़ और पत्थरबाजी यह है देश के वह युवा जो सेना में जाना चाहते हैं, ना जाने कैसी यह सोच है की एक तरफ देश की सेना में जाकर देश की सेवा भी करना चाहते हैं और दूसरी तरफ देश की ही संपत्ति का सत्यानाश करने में लगे हैं।
क्या-क्या, कहां-कहां, हर जगह अग्नीपथ के नाम पर जो बवाल काटा जा रहा है उसके दिमाग में सबसे पहले यही बात आता है कि क्या ऐसे उपद्रवियों को सेना में जगह मिलना चाहिए?
हमारे देश की सेना साहस का प्रतीक है और साहसी लोगों की भीड़ में ऐसे उपद्रवियों का क्या काम। जो युवा सेना को नौकरी का जरिया समझते हैं उन्हें हमारे पूर्व सीडीएस दिवंगत विपिन रावत जी का यह बयान जरूर सुनना चाहिए। और यह सुनकर भी अगर यह लोग अपना उपद्रव नहीं रोकते तो ऐसे लोगों को सेना में जाने का कोई अधिकार नहीं, अगर आप सरकार की नहीं सुन रहे तो कम से कम हमारे पूर्व सीडीएस की तो सुनिए ।
हालांकि ऐसा आरोप भी लगाया जा रहा है छात्र प्रदर्शन के नाम पर कई विपक्षी दल अपनी राजनीतिक रोटी सेकने में लगे हुए हैं, लेकिन रोटी कोई भी सेंके नाम तो छात्रों का ही खराब हो रहा है, हर जगह छात्रों को ही इसका जिम्मेदार ठहराया जा रहा है।