पटना: बिहार के
मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने बुधवार को सहयोगी नेताओं द्वारा बार-बार दिए गए
सुझाव को खारिज कर दिया। उन्होंने बताया की बिहार में धर्मांतरण विरोधी
कानून की कोई आवश्यकता नहीं है क्योंकि यहां पूर्ण सद्भाव है और विभिन्न
तरह के समुदाय शांति से रह रहे हैं।
नीतीश कुमार से जब एक
संवाददाता ने पूछा की हिंदुओं को कथित तौर पर अपना धर्म बदलने का लालच दिया
जा रहा है इस पर नितीश कुमार ने कहा, "राज्य में धर्मांतरण विरोधी कानून
की कोई आवश्यकता नहीं है, यहां सरकार सतर्क है और विभिन्न धार्मिक समुदायों
के सदस्य शांति से रहते है।
उन्होंने
आगे कहा "बिहार सरकार इस मुद्दे पर पूरी तरह से सतर्क है। यहां समुदायों
के बीच कोई विवाद नहीं है। अलग-अलग धर्म के लोग शांति से रह रहे हैं। उनके
लिए कोई समस्या नहीं है। हमने अपना काम कुशलता से किया है। इसलिए यहां इस
तरह के कदम की जरूरत नहीं है। हमारी सतर्कता ने सुनिश्चित किया है कि राज्य
में कोई सांप्रदायिक तनाव न हो।
मुख्यमंत्री द्वारा आयोजित
सर्वदलीय बैठक के दौरान बिहार में जाति आधारित जनगणना का समर्थन करने वाली
भाजपा ने बिहार में जनसंख्या नियंत्रण कानून लाने का विवादास्पद मुद्दा
उठाया है। भाजपा के मंत्री नीरज कुमार ने हाल ही में मांग की थी कि
सरकार जाति जनगणना पर तेजी से लाये जितनी तेजी से जनसंख्या नियंत्रण कानून
लाएगी। लेकिन जद (यू) ने मांग को ठुकरा दिया। पार्टी के प्रदेश अध्यक्ष
उमेश कुशवाहा ने मांग को सिरे से खारिज कर दिया, यह कहते हुए कि नीतीश
कुमार लड़कियों को शिक्षित करने की आवश्यकता पर जोर दे रहे हैं, जिससे
अंततः जनसंख्या पर नियंत्रण होगा।
जद (यू) ने आगामी विधान परिषद
चुनावों में भी भाजपा को अपनी एक सीट जद (यू) को देने के लिए राजी कर लिया
है। अब दोनों पार्टियां दो-दो सीटों पर चुनाव लड़ेंगी।