जानी-मानी बिहेवियरल साइकोलॉजिस्ट और ह्यूमन कंप्यूटर के क्षेत्र में पारंगत मानी जाने वाली कैट्रिओना कैम्पबेल ने अपनी किताब “ एआई बाय डिजाइन: ए प्लान फॉर लिविंग विद आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस” मैं वर्चुअल बच्चे का एक खाका तैयार किया है। जी हां सही सुना आपने वर्चुअल बच्चा!
अगर कोई आपको कहे कि उसे एक बच्चा चाहिए जो पले भी बढे भी लेकिन इस महंगाई के दौर में उस पर आम बच्चे जितना खर्च ना करना पड़े । ना ही शादी करना पड़े, ना ही किसी तरह का गर्भधारण, ना किसी तरह का रीति रिवाज कुछ नहीं सिर्फ बच्चा हो जिसे प्यार कर सके । अगर कोई आपसे ऐसा कहे तो आप यही कहेंगे कि भाई दिन में सपने देखना बंद कर दे। लेकिन हो सकता है कि आने वाले वक्त में यह संभव हो जाए, ऐसा भी हो सकता है की एकमुश्त पैसा देकर या फिर किराए पर भी बच्चा लिया जाएं।
टेक्नोलॉजी के बढ़ते विकास को देखते हुए यह सब कुछ असंभव नहीं है । कैट्रिओना कैम्पबेल ने यह दावा किया है की मेटा का इस्तेमाल करके इस तरीके के बच्चे की कल्पना की जा सकती है। यह दिखने में वास्तविक जैसा ही होगा, भावनाएं जिसमें भी होंगी, यह हसेंगे भी और रोएगा भी, सब कुछ बिल्कुल वास्तविक बच्चे की तरह ही करेगा। इसे अन्य बच्चों के साथ रहने पर अंतर कर पाना बहुत मुश्किल होगा। कैट्रिओना कैम्पबेल ने अपनी किताब में इन सभी चीजों का खाका पेश किया है। उन्होंने बताया है कि आने वाले 50 साल में एआई की मदद से तमागोची किड्स लाए जाएंगे, जिन्हें जनसामान्य के द्वारा बहुत ही आसानी से स्वीकार भी किया जाएगा। यह बच्चे जिस माहौल में रहेंगे उसी हिसाब से आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस की मदद से खुद को ढाल लेंगे।3d फिलिंग की मदद से यह आम बच्चों की तरह आपके गले भी लगेंगे।
कैट्रिओना ने यह भी बताया कि यह बच्चे इतने उच्च कोटि के होंगे की लोगों द्वारा इन्हें आसानी से अपना लिया जाएगा। अगर यही की मदद से ऐसे बच्चे बनेंगे तो बेशक दुनिया भर में बढ़ती जनसंख्या की समस्या का समाधान बन सकते हैं लेकिन शायद ही यह बच्चे प्राकृतिक बच्चों की जगह लेने में कामयाब हो सके, आगे क्या होगा यह तो भविष्य पर निर्भर करता है।