ऐसा
कहा जा रहा है कि मवेशियों की डकार से ग्रीनहाउस गैस का उत्सर्जन होता है,
जो पर्यावरण को नुकसान पहुंचाता है। इसके लिए न्यूजीलैंड के पर्यावरण
मंत्रालय ने एक ड्राफ्ट तैयार किया है,जिसमें बताया गया की ग्लोबल
वॉर्मिंग के लिए जिम्मेदार ग्रीनहाउस गैसों के उत्सर्जन पर लगाम लगाने के
लिए यह कदम उठाया गया है।
51 लाख की आबादी वाले न्यूजीलैंड में सभी
मवेशियों पर यह टेक्स लगाया जाएगा, इस योजना के लागू होने पर किसानों को
अपने मवेशियों की डकार पर टैक्स देना होगा।
ऐसा
माना जाता है कि न्यूजीलैंड में कुल जितना ग्रीनहाउस गैसों का उत्सर्जन
होता है, उसमें से लगभग आधा कृषि से होता है। कृषि से जिन ग्रीनहाउस गैसों
का उत्सर्जन होता है, उसमें मुख्य मीथेन गैस है।
यह योजना सरकार और
कृषि समुदायों के प्रतिनिधियों की ओर से पेश की गई है, इसके तहत किसानों को
2025 से अपने गैस उत्सर्जन के लिए टैक्स देना होगा।
प्राइमरी
सेक्टर पार्टनरशिप ही वाका एके नोआ के चेयरमैन माइखल एही ने कहा, हमारा
लक्ष्य भावी पीढ़ियों के लिए खाने और फाइबर के उत्पादन को बनाए रखना है,
इसके लिए हमें क्लाइमेट का खास ध्यान भी रखना होगा।
एन्ज बैंक के कृषि
अर्थशास्त्री सुजन किल्सबी का कहना है, यह प्रस्ताव 1980 के दशक के बाद से
कृषि क्षेत्र को होने वाला सबसे बड़ा नुकसान होगा, 1980 के दशक में देश में
कृषि क्षेत्र से सब्सिडी हटा दी गई थी।
न्यूजीलैंड के क्लाइमेट चेंज मंत्री जेम्स शॉ ने कहा, इसमें कोई शक नहीं है कि जो मीथेन गैस वायुमंडल में छोड़ी जा रही है, उस पर टैक्स लगेगा। इसके लिए कृषि पर एक प्रभावी एमिशन प्राइसिंग सिस्टम की अहम भूमिका होगी। सरकार के इस प्रस्ताव में उन किसानों के लिए इंसेंटिव भी हैं, जो ग्रीनहाउस गैस उत्सर्जन को कम करने में मदद करेंगे। इस योजना के जरिये वसूले गए टैक्स को किसानों के लिए रिसर्च, विकास और सलाहकार सेवाओं में लगाया जाएगा। हालांकि इस योजना पर अंतिम फैसला दिसंबर में हो सकता है।
तो देखा आपने की डकार मारना भी कितना महंगा पड़ सकता है, लेकिन सोचने वाली बात यह भी है कि आखिर इतने सारे मवेशियों के डकार मारने को लेकर के आखिर टैक्स कि यह योजना बनाई कैसे जाएगी। कैसे यह अनुमान लगाया जाएगा कि कौन सा मवेशी कब डकार मार रहा है। खैर आप लोग खुद को खुशकिस्मत समझिए कि आप भारत जैसे देश में है जहां कम से कम ऐसा कोई टैक्स सरकार नहीं लगाने जा रही। जितनी आजादी भारत में आपको मिल रही है उतना किसी देश में नहीं है तो इसलिए अपने देश का सम्मान कीजिए और इसी देश में रहकर इसी देश का खाकर इस की बुराई करने की कोशिश मत कीजिए।