आगजनी तोड़फोड़ पत्थरबाजी यह है देश के युवा जो सेना में जाना चाहते हैं ना जाने कैसी सोच है, यह कि एक तरफ देश की सेना में जाने, देश की सेवा भी करना चाहते हैं और दूसरी तरफ देश की संपत्ति का सत्यानाश करने में लगे हैं। हर जगह अग्निपथ के नाम पर जो बवाल काटा जा रहा है, उसके दिमाग में सबसे पहले यही बात आती है कि क्या ऐसे उपद्रवियों को सेना में जगह मिलनी चाहिए?
हमारे देश की सेना साहस का प्रतीक है और साहसी लोगों की भीड़ में ऐसे उपद्रवियों का क्या काम? जो युवा सेना को नौकरी का जरिया समझते हैं उन्हे हमारे पूर्व सीडीएस दिवगंत विपिन का यह बयान जरूर सुनना चाहिए। और यह सुनकर भी अपना उपद्रव नहीं रोकते तो आपको सेना में जाने का कोई अधिकार नहीं।
पूर्व दिवगंत सीडीएस विपिन रावत ने अपना बयान दिया है आप ऊपर के वीडियो में वो बयान सुन सकते हैं।
इसी बीच कई नेता भी अपने बयान दे रहे है इसी में बीजेपी नेता और पूर्व भारतीय सेना प्रमुख जनरल वी के सिंह ने प्रदर्शनकारियों को फटकार लगाया उन्होंने अपने बयान में कहा जिसको सेना में आना है वो आओ जिसको स्कीम नहीं पसंद मत आओ आपको बोल कौन रहा है आने के लिए, हमारे यहां अनिवार्यता नहीं है। आप बसे जला रहे हो, ट्रेन जला रहे हो, आपको किसी ने बोला हम आपको फ़ौज में लेंगे। पहले आप हमारे मापदडों पर खड़े उतरेंगे तब हम आपको फ़ौज में लेंगे।
सिंह
आगे कहते है "कोरोना महामारी के चलते भर्ती दो साल तक नहीं हो सकी थी।
सरकार ने कहा है की साढ़े 17 से 21 वर्ष की आयु के युवाओं के लिए ये योजना
है जिसे हम अब 23 वर्ष की आयु कर रहे है जिसका मतलब है ये है अगर कोई
व्यक्ति जिसके यदि पिछले दो वर्ष छूट गए वो अब आ सकता है वो अब भी इसमें
भाग लेने के योग्य है।"
उन्होंने आगे कहा "यह एक स्वैच्छिक योजना है। भारतीय सेना एक स्वैच्छिक सेना है। हम सैनिकों की भर्ती नहीं करते हैं।"