देश में इंसानियत मर चुकी है :काश हर कोई Dr APJ Abdul Kalam साहब जैसा हो

Abhishek Jha
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आपको सोशल मीडिया पर ऐसे वीडियोस की बाढ़ मिल जाएगी जिसमें लोग एक दूसरे की मदद करते, खाना खिलाते, पानी पिलाते मिल जाएंगे। और मिले भी क्यों ना कैमरा जो ऑन है। कैमरे के सामने खूब संत बन के रहो और कैमरा जैसे ही बंद हो तो सब के असली चेहरे सामने,  फिर  कौन  सा गरीब है और कहां की इंसानियत। और समझे भी क्यों मतलब जो निकल गया।

आपको मेरे शब्द बहुत कठोर लग रहे होंगे लेकिन इन तस्वीरों को देखकर तो ऐसे मॉडर्न समाज पर गुस्सा आता है। समाज का असली चेहरा आज हम आपको दिखाएंगे। 2009 बैच के आईएएस ऑफिसर अवनीश शरण जी ने अपने ट्विटर हैंडल पर एक वीडियो शेयर किया है जिसमें देखिए कैसे एक महिला मेट्रो में जमीन पर अपने बच्चे के साथ बैठी है और बाकी सभी समाज के प्रतिष्ठित, पढ़े-लिखे  और सो कॉल्ड मॉडर्न  लोग ऊपर सीट पर बैठे हुए हैं,  मतलब इन लोगों में इतनी व्यवहारिकता नहीं है कि वह महिला एक छोटे बच्चे के साथ जमीन पर बैठी है उसे कोई अपनी सीट दे दे। हां, सीट मिल जाती अगर लोगों को पता होता कि कैमरा ऑन है। तब तो सभी अच्छे और व्यवहारिक होने का ढोंग कर लेते हैं… अरे भाई सोशल मीडिया का जमाना है वायरल होने के लिए इतना तो कर ही सकते हैं। मन भले ही कला हो पर तन गोरा होना चाहिए। वैसे किसी ने सही ही कहा है डिग्री तो कागज का टुकड़ा है बस, अगर वह आपके व्यवहार में ना दिखें।

 हमारा पूरा समाज एजुकेशन को सिर्फ और सिर्फ  आर्थिक स्थिति के सुधार का गोल लेकर ही  करता है। उसे कोई मतलब नहीं कि व्यवहारिकता है या नहीं बस पैसा होना चाहिए। लेकिन एक बात कह दूं, भले ही सीट पर बैठे लोगों के पास पैसा ज्यादा हो, समाज में स्टेटस बड़ा हो लेकिन यह तब भी जमीन पर अपने बच्चे के साथ बैठी उस महिला के सामने बहुत छोटे हैं।

 वह भले ही जमीन पर बैठी है लेकिन उस भीड़ में मौजूद हर एक शख्स से बड़ी है और बेहतर है,  वह नीचे बैठ कर के भी उन सबसे ऊपर है।

 ऐसा ही एक वाकया पहले भी हुआ था जो ऐसे ही समाज के सो कॉल्ड बड़े लोग कुर्सी पर बैठे थे और जो आज भी देश के लोगों केदिल में रहते हैं वह जमीन पर बैठे थे। हम बात कर रहे हैं देश के सबसे अच्छे और चहेते राष्ट्रपति डॉक्टर  एपीजे अब्दुल कलाम जी की,  आपने देखा होगा कि एक समारोह में कैसे देश के राष्ट्रपति बिना किसी संकोच के जमीन पर बैठ गए थे। ना कोई शर्म,  ना यह सोचना कि अरे हम बड़े हैं जमीन पर कैसे बैठे।  सही मायने में अगर देश के लोगों की सोच कलाम साहब जैसी हो जाए तो भारत स्वर्ग का दूसरा नाम होगा क्योंकि स्वर्ग ऐश्वर्य की चीजों से नहीं बल्कि हमारी अपनी सोच, व्यवहार और अपनेपन से बनता है,  देश में सब एक दूसरे की इज्जत करें और प्यार से रहे तो यही स्वर्ग है।


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