जैसा कि आप सभी जानते हैं कि हमारे प्रधानमंत्री श्री नरेंद्र मोदी अभी जर्मनी गए हुए हैं। मौका है G7 सम्मिट का हालांकि भारत G7 का सदस्य नहीं है। फिर भी जर्मनी ने भारत को आमंत्रित किया है। लेकिन समझ नहीं आ रहा है कि क्या बेजत्ती करने के लिए जर्मनी ने भारत को बुलाया था। आप सोच रहे होंगे कि आखिर ऐसा क्या हुआ कि प्रधानमंत्री मोदी की बेज़त्ती हुई।
आपको बता दें कि प्रधानमंत्री मोदी 2015 से अब तक लगभग 6 बार जर्मनी की यात्रा कर चुके हैं। आपको हर एक यात्रा का दृश्य दिखाते हैं। इससे बहुत सी बातें आपको स्पष्ट हो जाएंगे। आप ऊपर दी गई वीडियो में देख सकते हैं। इसमें 2015 का वीडियो आपने देखा होगा जिसमें पीएम मोदी का साधारण तरीके से स्वागत किया गया है, कोई तामझाम नहीं समझ सकते है क्योंकि वह 2014 में चुनाव जीत के आए थे, तब जर्मनी को भारत की ताकत का अंदाजा नहीं था।
बाद में जर्मनी को पता चला कि भारत और मोदी क्या दम रखते हैं तो उसके बाद 2017 को देखिए शानदार स्वागत किया। 2018 में भी और 2022 में भी शानदार स्वागत किया गया था। लेकिन अभी G7 सम्मिट की विजिट में देखिए, बिल्कुल साधारण। इसमें ज्यादातर इंडियन ऑफिशियल के द्वारा ही मोदी जी का स्वागत किया गया।
अभी कुछ महीने पहले ब्लूमबर्ग की एक रिपोर्ट आई थी जिसमें यह कहा गया था कि जर्मनी नहीं चाहता कि भारत G7 सम्मिट में आए। पीएम मोदी जी-सेवन सम्मिट में न होंगे इसके लिए इस रिपोर्ट में कई कारण दिए गए।
सबसे पहला कारण रूस-यूक्रेन युद्ध में भारत ने कभी भी रूस की निंदा नहीं की। जिस वजह से जर्मनी भारत से चिढ़ा हुआ है दूसरा पूरा यूरोप भारत पर रशिया के सपोर्ट का ब्लेम डालने में लगा था, लेकिन हमारे एस जयशंकर साहब ने कई बार यूरोप को एक्सपोज किया ।एक तरीके से भारत ने यूरोप को आइना दिखाना शुरू किया जिसे जर्मनी भारत से गुस्सा हो गया। उसके बाद जब यह रिपोर्ट वायरल हुआ तब जाकर जर्मनी ने यूएसए के प्रेशर के अंदर भारत को आमंत्रित किया।
लेकिन यह कैसा आमंत्रण जिसमें हमारे प्रधानमंत्री का ढंग से स्वागत नहीं किया गया। हमारे प्रधानमंत्री का अपमान यानी भारत का अपमान भारत के सौ सवा सौ करोड़ लोगों का अपमान जर्मनी को यह समझना होगा कि भारत दुनिया की सबसे बड़ी लोकतांत्रिक व्यवस्था है, लोकतांत्रिक शक्ति है और उस लोकतंत्र के चुने हुए प्रधानमंत्री को ऐसे नजरअंदाज करना जर्मनी के लिए ठीक नहीं।
मतलब यूरोप जो हमारे बारे में कहे वह हम सुन जाएं और कोई जवाब ना दे, तो ठीक और अगर भारत पोल खोलना शुरू कर दे तो मिर्ची लग जाती है। जर्मनी एक बात याद रखें पीएम मोदी एक प्रधानमंत्री नहीं वह सवा सौ करोड़ लोगों का गुरूर है भारत की सॉफ्ट पावर को चुनौती मत दो यही अच्छा होगा।