लेकिन अब भारत में अधिवक्ताओं की एक जोड़ी ने धूम्रपान पर एक्शन लेने का अच्छा सोचा है, जो की सही भी है।उन्होंने खुली सिगरेट की बिक्री पर प्रतिबंध लगाने और धूम्रपान की उम्र को वर्तमान 18 से बढ़ाकर 21 करने की मांग करते हुए सुप्रीम कोर्ट का रुख किया है।
अधिवक्ताओं ने कहा है कि "भारत में पिछले दो दशकों में धूम्रपान करने वालों की संख्या में लगातार वृद्धि हुई है। दोनों ने इसे महामारी बताते हुए कहा कि 16-64 आयु वर्ग के लिए भारत अब धूम्रपान करने वालों की श्रेणी में दूसरे स्थान पर है। याचिका के अनुसार युवा लोग अब तंबाकू उत्पादों के आदी हो रहे हैं, क्योंकि उन्हें लगता है वे इससे कूल (फैशनेबल और आकर्षक) दिखते है।"
ये भी कहा गया है कि युवा "वयस्कों को धूम्रपान करते देखते हैं और यह एक संस्कार बन जाता है या अपने आप को परिपक्व (Mature) दिखाने के कारण धूम्रपान शुरू कर देते है।"
यह कहा जाता है कि अधिकांश "धूम्रपान करने वाले" कम उम्र में शुरू हो जाते हैं, जब उनके पास निर्णय लेने की क्षमता की कमी होती है, और वे साथियों के दबाव में धूम्रपान करना शुरू कर देते हैं, और अंत में निकोटीन के आदी हो जाते हैं।
धूम्रपान के लिए कानूनी उम्र को 18 साल से बढ़ाकर 21 साल करने की मांग करते हुए याचिका में खुली सिगरेट की बिक्री पर प्रतिबंध लगाने, सार्वजनिक भवनों, शैक्षणिक संस्थानों और पूजा स्थलों आदि के पास सिगरेट विक्रेताओं को हटाने की भी मांग की गई है।
आपने कभी न कभी छोटे उम्र के बच्चे सिगरेट पीते हुए देखें होंगे। ये शर्म की बात तो है ही पर ये सत्य भी है। उम्मीद करते है इस याचिका के बाद भारत में सिगरेट पीने को ही कूल बनना कहा जाता है वाली धारणा बंद होगी।
सिगरेट पीना कूल बनना नहीं होता है, ये बुरी आदत आपके और आपके आने वाले भविष्य और आपसे जुड़े लोगों के भविष्य को अंधकार में धकेल देता है।