इस बार संयुक्त राष्ट्र में भारत ने पाकिस्तान की बहुत ज्यादा धुलाई कर दी और धुलाई तो की ही पर दुखती रग में भी मुक्का मार दिया। बात ये है की संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद में जम्मू-कश्मीर के मुद्दे को उठाने के लिए पाकिस्तान को फटकार लगाते हुए, भारत ने कहा कि उसका पड़ोसी देश इस बात का जीवंत उदाहरण है कि कैसे एक देश, बांग्लादेश में नरसंहार और जातीय सफाई के गंभीर अपराधों के लिए जवाबदेही से बच रहा है।
संयुक्त
राष्ट्र में भारत के स्थायी मिशन में कानूनी सलाहकार और काउंसलर काजल भट
ने संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद के प्रतिनिधि द्वारा "अंतर्राष्ट्रीय
कानून के गंभीर उल्लंघन के लिए जवाबदेही और न्याय को मजबूत करने" पर खुली
बहस के लिए की गई टिप्पणियों का जवाब दिया।
भट ने जवाब देते हुए कहा
कि वह पाकिस्तान के प्रतिनिधि द्वारा फैलाए गए कुछ झूठों और
दुर्भावनापूर्ण प्रोपेगंडा का जवाब देने के लिए विवश हैं क्योंकि वे
"ब्रोकन रिकॉर्ड"(यहां ब्रोकन रिकॉर्ड का मतलब है एक ऐसा व्यक्ति(देश) जो एक ही तरह की नासमझों वाली गलत बातें बार-बार बोलता रहता है।) के आदी है।
भट
यहीं नहीं रुकी उन्होंने पाकिस्तान का असली चेहरा दुनिया को दिखाते हुए
कहा "विडंबना शायद पाकिस्तान के प्रतिनिधि पर खो गई है, 50 साल पहले पूर्वी
पाकिस्तान में नरसंहार करने के उनके शर्मनाक इतिहास को देखते हुए, जो अब
अलग राष्ट्र बांग्लादेश बन गया है, जिसके लिए एक स्वीकृति भी नहीं है, माफी
या जवाबदेही भी नहीं है।"
भट
ने आगे कहा कि उन्हें इस (बांग्लादेश में नरसंहार) पर विचार करने के लिए
कहना शायद बहुत अधिक मांग करना लग रहा होगा, लेकिन कम से कम वे इस परिषद की
गरिमा का अपमान तो करने से अपने आपको रोक सकते है। ऑपरेशन सर्चलाइट के दौरान निर्दोष महिलाओं, बच्चों, शिक्षाविदों और बुद्धिजीवियों को युद्ध के हथियार के रूप में माना जाता था।"
उन्होंने
आगे ये भी कहा कि उस समय में पूर्वी पाकिस्तान की आबादी पर पाकिस्तान
द्वारा किए गए आतंक के शासन के परिणामस्वरूप हजारों लोगों को बेरहमी से मार
दिया गया था और कई हजारों महिलाओं के साथ बलात्कार किया गया था ।
विदेश राज्य मंत्री डॉ राजकुमार रंजन सिंह ने एक दिन पहले परिषद में बोलते हुए
कहा था कि "जवाबदेही और न्याय को राजनीतिक लाभ से नहीं जोड़ा जा सकता है।
पाकिस्तान का प्रतिनिधि सुरक्षा परिषद के सामने एक जीवंत उदाहरण प्रस्तुत
करता है कि कैसे एक राज्य नरसंहार और जातीय सफाई के गंभीर अपराधों के लिए
जवाबदेही से बचना जारी रखता है। उन्हें इस पर विचार करने के लिए कहना शायद
बहुत अधिक मांग है, लेकिन कम से कम वे इस परिषद की गरिमा का सम्मान तो कर
सकते हैं।"