जैसा की सब जानते हैं की रूस और यूक्रेन युद्ध के बीच भारत ने किसी भी पक्ष को नहीं चुना है और शांति की गुहार लगायी है इसी को लेकर कई कुछ देश नाराज़ है क्योंकि वो भारत को उनकी तरफ आने के लिए मना रहे थे। लेकिन भारत ने न्यूट्रल रहना चुना।
इसी को लेकर जब विदेश मंत्री से रूस-यूक्रेन युद्ध पर नई दिल्ली के रुख के बारे में
पूछा गया और क्या भारत एक उभरते हुए विश्व नेता के रूप में साइड चुनने के बजाय बाहर बैठने
का जोखिम उठा सकता है इस पर विदेश मंत्री एस जयशंकर ने गुरुवार को GLOBESEC में हिस्सा लेते हुए कहा कि भारत आपसे अगर सहमत नहीं होता है इसका मतलब ये नहीं है की उसकी नीति बंधी हुई है।
जब उनसे पूछा गया था कि क्या भारत चीन के साथ अपनी स्थिति में वैश्विक मदद की उम्मीद करता है इस पर जयशंकर ने कहा कि "यह जो विचार है कि मैं लेन-देन करूँ की अगर मैं एक कनफ्लिक्ट का साथ दूँ क्योंकि यह दुसरे कनफ्लिक्ट में मदद करेगा ऐसे दुनिया काम नहीं करती है। चीन में हमारी बहुत सारी समस्याओं का यूक्रेन, रूस से कोई लेना-देना नहीं है। वे पहले से ही हैं।"
विदेश मंत्री ने कहा की "ऐसे कई मुद्दे हैं जिन पर यूरोप ने बात नहीं की।" विदेश मंत्री ने करारा जवाब देते हुए आगे कहा, "यूरोप को इस मानसिकता से बाहर निकलना होगा कि यूरोप की समस्या दुनिया की समस्या है लेकिन दुनिया की समस्या यूरोप की समस्या नहीं है।"
उन्होंने कहा, "आज चीन और भारत के बीच संबंध बन रहे हैं और यूक्रेन में क्या हो रहा है। चीन और भारत के बीच का मसला यूक्रेन से बहुत पहले हुआ था।" जयशंकर ने ये भी कहा कि दुनिया के सामने सभी बड़ी चुनौतियों का समाधान भारत से आ रहा है।
यह पूछे जाने पर कि क्या भारत रूसी तेल खरीद रहा है क्या यह युद्ध के लिए धन देना नहीं हुआ? इस प्रश्न पर जयशंकर ने कहा की "देखो, मैं बहस नहीं करना चाहता लेकिन फिर उन्होंने आगे प्रश्न पूछते हुए जवाब दिया की रूसी गैस खरीदना युद्ध के लिए धन देना नहीं है? और ये कहना की यह केवल भारतीय धन और रूसी तेल ही युद्ध के लिए फंडिंग करना और यूरोप में आने वाली रूस की गैस युद्ध को फंडिंग नहीं?
जब एक पत्रकार ने सवाल किया की "भारत पर रूस-यूक्रेन युद्ध की अनदेखी करने के बारे में क्या कहेंगे? इस पर जयशंकर ने जवाब दिया कि "भारत ने बुचा में हुई हत्या की निंदा की और जांच की मांग की। यूक्रेन संघर्ष के साथ जो हो रहा है, उसके संदर्भ में हमारा रुख बहुत स्पष्ट है कि हम शत्रुता को तत्काल समाप्त करने के पक्ष में हैं। ऐसा नहीं है कि जब तक आप पुतिन और ज़ेलेंस्की को फोन नहीं करते हैं, तब तक हमने इसे अनदेखा कर दिया है।"