अभी अमेरिका में स्कूल पर हमले का दर्द भरा भी नहीं था की अमेरिका में हिंसा और भी ज्यादा बढ़ गयी है।इस बार की घटना भी भयावह है। अमेरिका के फिलाडेल्फिया में कई लोगों ने हिंसा में अपनी जान गवां दी और काफी ज्यादा लोग घायल हुए हैं। अमेरिका में लोगों ने इतनी हिंसा की वजह से अन्य देशों का पासपोर्ट लेना शुरू कर दिया है। आपके मन में ये सवाल जरूर होगा की अमेरिका में नस्लभेद तो है पर अमेरिका हिंसक देश कब से होने लगा? तो आपको बता दे की अमेरिका में आये दिन हिंसा होती है और कई निर्दोष लोग अपनी जान गवां देते है। अमेरिका में मासूमों की हत्या दर में वृद्धि हो रही है और ये सिर्फ सड़कों पर पुरुषों और महिलाओं तक सीमित नहीं है बल्कि छोटे बच्चे भी इसका शिकार हो रहे है।
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अभी कुछ दिन पहले ही कुछ मासूम बच्चों को बेहरहमी से मार दिया गया था। इसके बाद कई छुटपुट घटनाएं हिंसा की हुई और अब ये फिलाडेल्फिया की भयानक घटना। ये सारी घटनाएं साबित कर रही है की अमेरिका अब सुरक्षित देश नहीं है।सिर्फ अल्पसंख्यक ही नहीं, कई मासूम और शरीफ लोगों को अमेरिका में डर लग रहा है।
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भारत ने भी बार-बार अमेरिका में हो रहे भारतीय लोगों पर हमले पर अमेरिका से सख्त कार्रवाई की मांग की है। कई मीडिया रिपोर्ट्स में एशिया के लोगों पर हमले की बात बताई गयी थी और कोरोना काल में ये हिंसा बढ़ गयी थी।
फिलाडेल्फिया की भयानक घटना
अमेरिका के फिलाडेल्फिया में आधी रात को कई बंदूकधारियों की गोलीबारी में तीन लोगों की मौत हो गई और लगभग एक दर्जन लोग घायल हो गए। पीड़ितों में से दो की पहचान 25 वर्षीय महिला और 22 वर्षीय पुरुष के रूप में हुई है। रिपोर्ट्स के मुताबिक, यह घटना शनिवार आधी रात से कुछ समय पहले की है, जब गश्त कर रही पुलिस ने साउथ स्ट्रीट से कई गोलियां चलने की आवाज सुनी।
लोग पूरे शहर में फिलाडेल्फिया के गौरव समारोह की 50वीं वर्षगांठ का आनंद ले रहे थे तभी अचानक से बहुत सारी गोलीबारी हुई। न्यूयॉर्क पोस्ट की रिपोर्ट के अनुसार, इंस्पेक्टर डीएफ पेस ने कहा "गश्त कर रहे अधिकारियों ने भीड़ में "कई सक्रिय निशानेबाजों" को गोलीबारी करते देखा।"
आपको बता दें की इस शूटिंग से पहले शुक्रवार रात से शनिवार के बीच शहर में नौ अलग-अलग फायरिंग हुई थी। सीबीएस फिलाडेल्फिया की रिपोर्ट के अनुसार, इनमें से किसी भी घटना में कोई गिरफ्तारी नहीं हुई है। एक चश्मदीद ने एक ट्वीट में कहा कि उसने देखा कि "बहुत से छोटे बच्चे अजीब हरकत कर रहे थे, वह सब सड़क पर और कारों पर कूद रहे थे और फिर एक हुडी(कपड़े में लगी हुई टोपी) में एक आदमी ने एक बंदूक निकाल ली।"
एक अन्य गवाह स्मिथ ने फिलाडेल्फिया इन्क्वायरर न्यूज आउटलेट को बताया की "एक बार यह शुरू हो गया। मुझे नहीं लगा कि यह रुकने वाला है। मैंने सिर्फ चीखें सुनीं।' उन्होंने अखबार को बताया कि गोलियों की आवाज सुनकर उनका दिमाग हाल ही में बफेलो और उवाल्डे में हुई सामूहिक गोलीबारी पर चला गया।
ये पता चला है की पुलिस ने घटनास्थल से दो सेमी-ऑटोमैटिक पिस्तौलें बरामद की हैं। इस भयावह शूटिंग के बाद सोशल मीडिया में सामने आए वीडियो में बड़ी संख्या में लोगों को पुलिस वाहनों के आसपास सायरन बजाते हुए दिखाया गया है।
फिलाडेल्फिया पुलिस विभाग के एक ट्वीट में यह निर्दिष्ट नहीं किया गया कि
कितने लोगों को गोली मारी गई है, लेकिन संदेश में कहा गया है कि, "कई लोग
घायल हुए हैं।" पुलिस ने लोगों को इस इलाके से बचने की सलाह दे दी है। जो ये बताता है साउथ स्ट्रीट के इलाके में कई सारे निर्दोष और मासूम लोगों को गोली मारी गई।
अमेरिका में बढ़ रही हिंसा पर रोक लगना आवश्यक है। अमेरिका जो की एक लोकतान्त्रिक देश है हिंसा के दौर से गुजर रहा है और हिंसा को रोकने के लिए अमेरिकी राष्ट्रपति जो बिडेन ने बन्दूक को खरीदने की उम्र बढाकर 21 साल कर दी है जो पहले 18 साल थी, लेकिन फिर भी हिंसा रुकने का नाम नहीं ले रही।