वैसे तो कहने को आरजेडी खुद को सेकुलर पार्टी बताती है लेकिन जगदानंद सिंह जी को शायद सेकुलरिज्म का मतलब नहीं पता । शायद हिंदुओं को बदनाम करना इनका सेक्युलरिज्म है। अपनी घटिया राजनीति और एक समुदाय को खुश करने के लिए ऐसे नेता हिंदुओं को अपना आसान टारगेट समझते हैं। ऐसे में कैसे कहा जाए कि यह सेक्युलर हैं। जिस भाजपा को सांप्रदायिक होने का तमगा यह लोग लगाते हैं उस भाजपा के किसी प्रतिष्ठित नेता ने आज तक किसी धर्म विशेष के बारे में ऐसा नहीं कहा और खुद को सेकुलर समझने वाले सूरमा अक्सर हिंदुओं को टारगेट करने में लगे रहते हैं।
कभी कोई बोको हराम से हिंदुओं की तुलना करता है तो कभी हिंदुओं के देवी देवताओं का अपमान करता है। सेकुलर शब्द को मजाक बनाने का जो ठेका इन नेताओं ने ले रखा है वह भारत में रहने वाले बहुसंख्यक हिंदू समाज के लिए अपमान से ज्यादा और कुछ नहीं है।