बागेश्वर धाम के प्रमुख पंडित धीरेंद्र कृष्ण शास्त्री वर्तमान में बागेश्वर धाम हनुमान मंदिर से श्रीराम राजा मंदिर, ओरछा तक की पदयात्रा पर हैं। इस यात्रा का उद्देश्य हिंदू धर्म के अनुयायियों में धर्म जागरण करना है। हाल ही में इस यात्रा के दौरान एक अप्रिय घटना घटी, जब किसी अज्ञात व्यक्ति ने फूलों की माला में लपेटकर एक मोबाइल फोन उन पर फेंका, जो सीधे उनके मुख पर लगा। इस घटना के बाद देशभर में उनके समर्थकों में चिंता की लहर दौड़ गई।
इंदौर में पंडित धीरेंद्र कृष्ण शास्त्री के अनुयायियों ने उनकी लंबी आयु और सुरक्षा के लिए हनुमान चालीसा का पाठ आयोजित किया। इस आयोजन का नेतृत्व पार्षद मनीष शर्मा ने किया, जिसमें बड़ी संख्या में भक्तों ने भाग लिया। पाठ के दौरान, हमलावर को सद्बुद्धि (wisdom) प्रदान करने की प्रार्थना भी की गई। यह घटना उनके अनुयायियों के बीच गहरी चिंता का विषय बनी हुई है।
पंडित धीरेंद्र कृष्ण शास्त्री की पदयात्रा का मार्ग मध्य प्रदेश और उत्तर प्रदेश के विभिन्न जिलों से होकर गुजर रहा है। यात्रा की सुरक्षा सुनिश्चित करने के लिए दोनों राज्यों की पुलिस सतर्क (alert) है। यात्रा 21 नवंबर से शुरू होकर 29 नवंबर को ओरछा में समाप्त होगी। इस दौरान विभिन्न धार्मिक स्थलों पर विश्राम (rest) और प्रवचन (sermons) का आयोजन किया जा रहा है। यात्रा में शामिल होने वाले संतों में मूलक पीठाधीश्वर राजेंद्र दास महाराज, जगद्गुरु रामभद्राचार्य महाराज, हनुमानगढ़ी के महंत राजूदास महाराज आदि प्रमुख हैं।
इस घटना के बाद, पंडित धीरेंद्र कृष्ण शास्त्री के समर्थकों ने सोशल मीडिया पर अपनी प्रतिक्रियाएं व्यक्त की हैं। कई लोगों ने इस कृत्य की निंदा (condemnation) करते हुए इसे 'जिहादी मानसिकता' (jihadi mentality) का परिणाम बताया है। वहीं, कुछ लोगों ने इसे सुरक्षा में चूक (lapse) के रूप में देखा है और प्रशासन से कड़ी कार्रवाई की मांग की है। इस घटना ने धार्मिक आयोजनों की सुरक्षा पर नए सिरे से चर्चा छेड़ दी है।
पंडित धीरेंद्र कृष्ण शास्त्री के प्रवचनों (discourses) में हजारों की संख्या में श्रद्धालु (devotees) शामिल होते हैं। उनके अनुयायी उन्हें एक दिव्य पुरुष (divine person) मानते हैं, जो लोगों की समस्याओं का समाधान (solution) करते हैं। उनकी लोकप्रियता (popularity) के कारण, उनके कार्यक्रमों में बड़ी भीड़ उमड़ती है, जिससे सुरक्षा व्यवस्था (security arrangements) की चुनौती बढ़ जाती है। इस घटना के बाद, उनके अनुयायियों ने प्रशासन से सुरक्षा बढ़ाने की अपील की है।
धीरेंद्र कृष्ण शास्त्री की पदयात्रा के दौरान विभिन्न स्थानों पर धार्मिक कार्यक्रमों का आयोजन किया जा रहा है। इन कार्यक्रमों में हनुमान चालीसा का पाठ, रामायण कथा और भजन संध्या (devotional evening) शामिल हैं। श्रद्धालुओं के लिए भोजन और ठहरने की व्यवस्था भी की गई है। यात्रा के मार्ग में आने वाले गांवों और शहरों के लोग भी इस यात्रा में बढ़-चढ़कर हिस्सा ले रहे हैं। यह यात्रा धार्मिक एकता (religious unity) और सद्भावना (harmony) का संदेश फैलाने का प्रयास कर रही है।
इस घटना के बाद, पंडित धीरेंद्र कृष्ण शास्त्री ने अपने अनुयायियों से शांति बनाए रखने की अपील की है। उन्होंने कहा कि इस तरह की घटनाएं उनके संकल्प (resolve) को कमजोर नहीं कर सकतीं। उन्होंने अपने समर्थकों से आग्रह किया कि वे धैर्य (patience) रखें और यात्रा के उद्देश्यों पर ध्यान केंद्रित करें। उनके इस संदेश ने अनुयायियों में नई ऊर्जा का संचार किया है।
धीरेंद्र कृष्ण शास्त्री की पदयात्रा का समापन 29 नवंबर को ओरछा में होगा, जहां विशेष पूजा-अर्चना (worship) और प्रवचन का आयोजन किया जाएगा। इस अवसर पर हजारों श्रद्धालुओं के शामिल होने की संभावना है। प्रशासन ने इस कार्यक्रम के लिए विशेष सुरक्षा व्यवस्था की है। धार्मिक आयोजनों की सुरक्षा सुनिश्चित करने के लिए प्रशासन और आयोजकों के बीच समन्वय (coordination) बढ़ाया गया है। यह घटना धार्मिक आयोजनों की सुरक्षा पर नए सिरे से विचार करने की आवश्यकता को रेखांकित (underline) करती है।
पंडित धीरेंद्र कृष्ण शास्त्री के अनुयायियों ने इस घटना के बाद सोशल मीडिया पर अपनी एकजुटता (solidarity) दिखाई है। उन्होंने अपने गुरुदेव की सुरक्षा के लिए प्रार्थनाएं की हैं और इस घटना की निंदा की है। कई लोगों ने प्रशासन से हमलावर के खिलाफ सख्त कार्रवाई की मांग की है। इस घटना ने धार्मिक आयोजनों की सुरक्षा पर नए सिरे से चर्चा छेड़ दी है। धार्मिक नेताओं और अनुयायियों ने प्रशासन से सुरक्षा व्यवस्था को और मजबूत करने की अपील की है।
धीरेंद्र कृष्ण शास्त्री की पदयात्रा के दौरान विभिन्न स्थानों पर धार्मिक कार्यक्रमों का आयोजन किया जा रहा है। इन कार्यक्रमों में हनुमान चालीसा का पाठ, रामायण कथा और भजन संध्या शामिल हैं। श्रद्धालुओं के लिए भोजन और ठहरने की व्यवस्था भी की गई है। यात्रा के मार्ग में आने वाले गांवों और शहरों के लोग भी इस यात्रा में बढ़-चढ़कर हिस्सा ले रहे हैं। यह यात्रा धार्मिक एकता और सद्भावना का संदेश फैलाने का प्रयास कर रही है।