यह घटना मध्य प्रदेश के जबलपुर की है, जहाँ एक प्रिंसिपल के साथ एक ऐसा मामला हुआ जिसने उन्हें और उनके परिवार को हिला कर रख दिया। एक दिन अचानक उनके पास एक फोन कॉल आया, जो पाकिस्तान से आया हुआ बताया गया। फोन उठाने पर दूसरी तरफ से एक व्यक्ति की आवाज सुनाई दी। उसने खुद को एक सरकारी अधिकारी बताया और प्रिंसिपल से धमकी भरे शब्दों में बात की। उस व्यक्ति ने कहा कि उनका बेटा पुलिस की हिरासत में है और उसे जल्द ही गिरफ्तार किया जाएगा।
प्रिंसिपल, जो इस पूरी स्थिति से अनजान थे, पहले तो इस बात पर यकीन नहीं कर सके। उनकी आँखों के सामने उनके बेटे का चेहरा घूम गया और उनका मन बेचैन हो उठा। कॉलर ने यह भी दावा किया कि उनके पास उनके बेटे की आवाज रिकॉर्ड है, जिसमें वह रोते हुए मदद की गुहार लगा रहा है। इस आवाज ने प्रिंसिपल को मानसिक रूप से और भी ज्यादा परेशान कर दिया। उन्होंने फोन पर ही उस व्यक्ति से पूछा कि आखिर उनके बेटे ने ऐसा क्या किया है जो उसे गिरफ्तार किया जा रहा है।
कॉलर ने उन्हें झूठी कहानियाँ सुनानी शुरू कर दीं। उसने कहा कि उनका बेटा एक गंभीर अपराध में शामिल है और अगर इस मामले को शांत करना है, तो उन्हें तुरंत पैसा देना होगा। कॉलर ने यह भी कहा कि अगर पैसे की मांग पूरी नहीं हुई, तो उनका बेटा हमेशा के लिए जेल में रहेगा। यह सुनकर प्रिंसिपल के होश उड़ गए। वह इस बात को लेकर असमंजस में थे कि वह क्या करें और कैसे अपने बेटे को इस मुसीबत से बचाएँ।
कॉलर ने समय-समय पर धमकियां देकर प्रिंसिपल पर दबाव बनाया। उसने यह भी कहा कि अगर उन्होंने पुलिस को इस बारे में जानकारी दी, तो उनके परिवार को और बड़ी परेशानी में डाल दिया जाएगा। कॉलर ने उन्हें डराने के लिए यह भी कहा कि उनके फोन कॉल्स ट्रेस (trace) किए जा रहे हैं और अगर उन्होंने किसी से इस बात का जिक्र किया तो इसका गंभीर परिणाम भुगतना पड़ेगा।
प्रिंसिपल ने पहले तो यह सोचा कि यह कोई मजाक हो सकता है। लेकिन जब उन्होंने फोन पर अपने बेटे की आवाज सुनी, तो उनकी सारी शंकाएँ खत्म हो गईं। उन्हें यकीन हो गया कि यह मामला गंभीर है। उन्होंने इस बारे में किसी से बात नहीं की और पूरे समय घबराए रहे।
इस दौरान प्रिंसिपल ने अपने बेटे से संपर्क करने की कोशिश की, लेकिन कॉलर ने उन्हें यह धमकी दी थी कि वे ऐसा न करें। इसके बावजूद प्रिंसिपल ने अपने दोस्तों और परिचितों से इस मामले में मदद मांगी। उन्होंने इस स्थिति से निपटने के लिए सलाह ली।
कॉलर ने लगातार उनसे पैसे की मांग की। उसने यह भी कहा कि पैसे को एक तय स्थान पर पहुंचाना होगा, जिसे उसने फोन पर बताया। इस सबके बीच प्रिंसिपल ने समझदारी से काम लिया। उन्होंने पुलिस को सूचना देने का निर्णय लिया।
पुलिस ने इस मामले को गंभीरता से लिया और जांच शुरू की। पुलिस ने कॉल ट्रेस किया और पाया कि यह कॉल पाकिस्तान से किया गया था। उन्होंने यह भी पता लगाया कि यह एक सुनियोजित धोखाधड़ी (fraud) का मामला था। कॉलर ने प्रिंसिपल की भावनाओं का फायदा उठाने की कोशिश की थी।
इस घटना ने यह साफ कर दिया कि साइबर अपराध (cybercrime) और धोखाधड़ी के मामलों में लोगों को सतर्क रहने की जरूरत है। भावनात्मक ब्लैकमेल (emotional blackmail) के जरिए अपराधी अक्सर लोगों को फंसा लेते हैं। इस मामले में पुलिस की सक्रियता और प्रिंसिपल की सूझबूझ से यह साजिश नाकाम रही।
घटना के बाद प्रिंसिपल और उनका परिवार काफी डरे हुए थे, लेकिन उन्होंने हिम्मत नहीं हारी। पुलिस ने उन्हें आश्वासन दिया कि अपराधियों को जल्द ही पकड़ लिया जाएगा। इस घटना से यह संदेश मिलता है कि किसी भी संदिग्ध कॉल पर तुरंत विश्वास न करें और जरूरत पड़ने पर पुलिस की मदद लें।
इस तरह की घटनाएँ यह भी बताती हैं कि तकनीकी (technology) का दुरुपयोग कैसे किया जा सकता है। यह जरूरी है कि लोग सतर्क रहें और इस तरह के मामलों में ठंडे दिमाग से काम लें। केवल जागरूकता ही ऐसे अपराधों को रोकने में मदद कर सकती है।