महाराष्ट्र विधानसभा चुनाव 2024 के परिणामों ने राजनीतिक गलियारों में हलचल मचा दी है। कांग्रेस के वरिष्ठ नेता और मध्य प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री दिग्विजय सिंह ने इन नतीजों पर गंभीर सवाल उठाए हैं। उन्होंने भारतीय जनता पार्टी (BJP) पर आरोप लगाया है कि पार्टी ने इलेक्ट्रॉनिक वोटिंग मशीनों (EVM) में हेरफेर (manipulation) करके चुनावी जीत हासिल की है। दिग्विजय सिंह का यह बयान विपक्षी दलों के बीच चर्चा का विषय बन गया है।
दिग्विजय सिंह ने अपने सोशल मीडिया हैंडल 'X' (पूर्व में ट्विटर) पर लिखा, "भारतीय जनता पार्टी जो चाहती थी, महाराष्ट्र में वही चुनावी परिणाम सामने आए हैं।" उन्होंने यह भी कहा कि बीजेपी ने महाराष्ट्र में 148 उम्मीदवारों को मैदान में उतारा था, जिनमें से 132 उम्मीदवार चुनाव जीत गए हैं। इससे यह स्पष्ट होता है कि बीजेपी अजित पवार और शिवसेना (शिंदे गुट) के बिना भी सरकार बना सकती है।
दिग्विजय सिंह ने EVM की विश्वसनीयता (credibility) पर सवाल उठाते हुए कहा कि इन मशीनों को मैनिपुलेट करके चुनाव जीता गया है। उन्होंने विपक्षी दलों से आग्रह किया कि वे निर्वाचन आयोग की कार्यप्रणाली (functioning) पर विचार-विमर्श करें। यह पहली बार नहीं है जब दिग्विजय सिंह ने EVM पर सवाल उठाए हैं; इससे पहले भी वे इन मशीनों की पारदर्शिता (transparency) पर संदेह व्यक्त कर चुके हैं।
झारखंड में बीजेपी की हार के संदर्भ में दिग्विजय सिंह ने कहा, "क्या झारखंड से ज्यादा महाराष्ट्र के चुनाव बीजेपी के लिए महत्वपूर्ण नहीं थे?" उनका यह बयान संकेत देता है कि वे मानते हैं कि बीजेपी ने महाराष्ट्र में EVM के माध्यम से चुनावी परिणामों को प्रभावित किया है, जबकि झारखंड में ऐसा नहीं हो सका।
दिग्विजय सिंह के इन आरोपों के बाद राजनीतिक माहौल गरमा गया है। विपक्षी दलों ने भी EVM की विश्वसनीयता पर सवाल उठाना शुरू कर दिया है। कई नेताओं का मानना है कि चुनाव आयोग को इन आरोपों की निष्पक्ष जांच करनी चाहिए ताकि जनता का विश्वास चुनावी प्रक्रिया में बना रहे।
दूसरी ओर, बीजेपी ने दिग्विजय सिंह के आरोपों को सिरे से खारिज किया है। पार्टी के प्रवक्ताओं का कहना है कि यह कांग्रेस की हताशा (desperation) को दर्शाता है। उन्होंने कहा कि चुनाव आयोग एक स्वतंत्र और निष्पक्ष संस्था है, और EVM की सुरक्षा और विश्वसनीयता पर सवाल उठाना लोकतांत्रिक प्रक्रिया का अपमान है।
चुनाव आयोग ने भी EVM की सुरक्षा और विश्वसनीयता पर अपना पक्ष स्पष्ट किया है। आयोग के अनुसार, EVM में हेरफेर की संभावना नहीं है, और यह मशीनें पूरी तरह से सुरक्षित हैं। आयोग ने यह भी कहा कि EVM की कार्यप्रणाली को समझने के लिए सभी राजनीतिक दलों को आमंत्रित किया गया है, ताकि वे इसकी पारदर्शिता को समझ सकें।
EVM पर उठ रहे सवालों के बीच, विशेषज्ञों का मानना है कि इन मशीनों की कार्यप्रणाली को और अधिक पारदर्शी बनाने की आवश्यकता है। कुछ विशेषज्ञों का सुझाव है कि VVPAT (Voter Verifiable Paper Audit Trail) की पर्चियों की गिनती को अनिवार्य किया जाना चाहिए, ताकि चुनावी प्रक्रिया में पारदर्शिता बढ़े और जनता का विश्वास बना रहे।
दिग्विजय सिंह के आरोपों के बाद, विपक्षी दलों ने चुनाव आयोग से मुलाकात करने की योजना बनाई है। उनका उद्देश्य EVM की कार्यप्रणाली पर चर्चा करना और चुनावी प्रक्रिया में सुधार के सुझाव देना है। विपक्षी दलों का मानना है कि चुनाव आयोग को इन मुद्दों पर गंभीरता से विचार करना चाहिए और आवश्यक कदम उठाने चाहिए।
चुनावी प्रक्रिया की पारदर्शिता और विश्वसनीयता लोकतंत्र की नींव होती है। ऐसे में, EVM पर उठ रहे सवालों का समाधान करना आवश्यक है, ताकि जनता का विश्वास चुनावी प्रक्रिया में बना रहे। चुनाव आयोग को इन आरोपों की निष्पक्ष जांच करनी चाहिए और यदि आवश्यक हो, तो सुधारात्मक कदम उठाने चाहिए।
दिग्विजय सिंह के आरोपों ने राजनीतिक माहौल को गर्मा दिया है। अब यह देखना होगा कि चुनाव आयोग और राजनीतिक दल इन मुद्दों का समाधान कैसे करते हैं। जनता को भी उम्मीद है कि चुनावी प्रक्रिया में पारदर्शिता और विश्वसनीयता बनी रहेगी, ताकि लोकतंत्र की जड़ें और मजबूत हों।