ग्वालियर जिले में पर्यावरण प्रदूषण को नियंत्रित करने के उद्देश्य से कलेक्टर एवं जिला दण्डाधिकारी रुचिका चौहान ने फसल अवशेष जलाने पर प्रतिबंधात्मक आदेश जारी किया है। इसके बावजूद, चीनौर, भितरवार और घाटीगाँव तहसीलों के विभिन्न ग्रामों में 17 किसानों ने पराली जलाई, जिसके परिणामस्वरूप प्रत्येक पर 2,500 रुपये का जुर्माना लगाया गया है।
राज्य शासन के पर्यावरण विभाग द्वारा प्रदत्त अधिकारों के तहत, कलेक्टर ने स्पष्ट किया है कि फसल अवशेष जलाने पर अर्थदण्ड (monetary penalty) लगाया जाएगा। इस आदेश का उल्लंघन करने वाले किसानों में चीनौर तहसील के ग्राम लदवाया की कुसुम, बडेराभारस के प्रीतम सिंह, चीनौर के राममोहन, घरसौंदी के मनीराम और पिपरौआ के मानसिंह शामिल हैं।
भितरवार तहसील के ग्राम मस्तुरा के नरेश, राकेश, नजर खाँ, चाँदनी, भरोसी, राजेश और बलराम पर भी पराली जलाने के लिए 2,500 रुपये का जुर्माना लगाया गया है। इसके अलावा, ग्राम बड़ागांव के गुरपाल सिंह और अनूप शर्मा, मोहना के मनोज राठौर, हुकुमगढ़ के कप्तान सिंह और आरोन के गजेन्द्र सिंह पर भी यही जुर्माना अधिरोपित किया गया है।
प्रतिबंधात्मक आदेश के अनुसार, दो एकड़ या उससे कम जमीन में फसल अवशेष जलाने पर 2,500 रुपये, दो से पाँच एकड़ जमीन पर 5,000 रुपये, और पाँच एकड़ से अधिक जमीन पर 15,000 रुपये प्रति घटना जुर्माना निर्धारित है। इस कार्रवाई का उद्देश्य किसानों को फसल अवशेष न जलाने के लिए जागरूक करना और पर्यावरण संरक्षण सुनिश्चित करना है।
पराली जलाने से वायु प्रदूषण में वृद्धि होती है, जो स्वास्थ्य के लिए हानिकारक है। सरकार द्वारा जारी इन आदेशों का पालन सुनिश्चित करने के लिए प्रशासनिक स्तर पर सख्त कदम उठाए जा रहे हैं। किसानों को चाहिए कि वे वैकल्पिक तरीकों का उपयोग करें ताकि पर्यावरण की रक्षा हो सके और उन्हें आर्थिक दण्ड का सामना न करना पड़े।