Shipra River Pollution: शिप्रा में जहर! क्या प्लान काम करेगा?

NCI


 उज्जैन में शिप्रा नदी का धार्मिक और सांस्कृतिक महत्व है, लेकिन वर्तमान में यह गंभीर प्रदूषण की समस्या से जूझ रही है। इसका मुख्य कारण इंदौर से बहकर आने वाली कान्ह नदी का दूषित जल है, जो शिप्रा में मिलकर उसकी स्वच्छता को प्रभावित कर रहा है। कान्ह नदी के माध्यम से औद्योगिक कचरा और सीवेज का पानी शिप्रा में प्रवेश कर रहा है, जिससे जल की गुणवत्ता में गिरावट आई है।


शिप्रा नदी के प्रदूषण को रोकने के लिए मध्य प्रदेश सरकार ने कई योजनाएं बनाई हैं। इनमें से एक प्रमुख योजना 'कान्ह डायवर्सन क्लोज डक्ट परियोजना' है, जिसकी लागत लगभग 598 करोड़ रुपये है। इस परियोजना के तहत 28.65 किलोमीटर लंबी भूमिगत सुरंग बनाई जाएगी, जिससे कान्ह नदी के दूषित जल को शिप्रा में मिलने से रोका जा सकेगा। 


इस परियोजना का उद्देश्य है कि कान्ह नदी का पानी शिप्रा में प्रवेश न करे, बल्कि उसे गंभीर नदी की डाउनस्ट्रीम में मोड़ा जाए। इससे शिप्रा नदी की स्वच्छता बनी रहेगी और धार्मिक आयोजनों के दौरान श्रद्धालुओं को स्वच्छ जल में स्नान का अवसर मिलेगा। परियोजना को 42 महीनों में पूरा करने का लक्ष्य रखा गया है, ताकि 2028 में होने वाले सिंहस्थ महाकुंभ से पहले शिप्रा की शुद्धता सुनिश्चित की जा सके। 


मकर संक्रांति जैसे महत्वपूर्ण पर्वों के दौरान शिप्रा में कान्ह नदी का दूषित जल न मिले, इसके लिए प्रशासन ने अस्थायी बांध भी बनाए हैं। साथ ही, नर्मदा का स्वच्छ जल शिप्रा में छोड़कर श्रद्धालुओं के लिए स्नान की व्यवस्था की जाती है। इसके अलावा, इंदौर में उन फैक्ट्रियों पर कार्रवाई की गई है, जो कान्ह नदी में केमिकल युक्त पानी छोड़ती थीं, जिससे शिप्रा का जल प्रदूषित होता था। 


शिप्रा नदी की स्वच्छता सुनिश्चित करने के लिए सरकार ने कई कदम उठाए हैं, लेकिन अभी भी चुनौतियां बनी हुई हैं। स्थानीय प्रशासन और जनता के सहयोग से ही शिप्रा की पवित्रता और स्वच्छता को बनाए रखा जा सकता है। इसके लिए आवश्यक है कि औद्योगिक कचरे और सीवेज के उचित निपटान की व्यवस्था की जाए, ताकि नदियों में प्रदूषण न फैले।


शिप्रा नदी की स्वच्छता न केवल धार्मिक दृष्टि से महत्वपूर्ण है, बल्कि यह पर्यावरण और जनस्वास्थ्य के लिए भी आवश्यक है। सरकार की योजनाओं के साथ-साथ जनजागरूकता और सामूहिक प्रयासों से ही शिप्रा की पवित्रता को पुनः स्थापित किया जा सकता है। आने वाले समय में इन प्रयासों के सकारात्मक परिणाम देखने को मिलेंगे, ऐसी उम्मीद की जा सकती है। 

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