भोपाल में एक बार फिर साइबर ठगी का मामला सामने आया है, जिसने पूरे शहर को चौंका दिया। इस बार ठगों ने खुद को सीबीआई अधिकारी बताते हुए एक बुजुर्ग डॉक्टर दंपत्ति को अपना निशाना बनाया। अवधपुरी के रिगल पैराडाइज कॉलोनी में रहने वाले 65 वर्षीय रागिनी मिश्रा और उनके पति महेश मिश्रा के साथ यह घटना हुई। यह दंपत्ति पहले कानपुर के प्रसूति शासकीय अस्पताल में कार्यरत थे और अब भोपाल में निवास कर रहे हैं। ठगों ने उन्हें 48 घंटे तक मानसिक दबाव में रखा और वॉशरूम जाने जैसी सामान्य जरूरतों के लिए भी अनुमति लेनी पड़ी।
यह घटना बुधवार सुबह शुरू हुई जब रागिनी मिश्रा अपने नियमित मॉर्निंग वॉक पर थीं। उन्हें एक फोन आया, जिसमें कॉलर ने खुद को सीबीआई का अधिकारी बताते हुए कहा कि उनके निजी बैंक खाते का मनी लॉन्ड्रिंग में उपयोग हुआ है। उसने बताया कि उनके खाते में 427 करोड़ रुपये अवैध तरीके से डाले गए हैं। यह सुनकर रागिनी घबरा गईं और कॉलर की बातों पर यकीन करने लगीं। कॉलर ने यह भी भरोसा दिलाया कि केस की जांच की जाएगी, लेकिन इस दौरान उन्हें जांच में सहयोग देना होगा। इसके बाद, ठगों ने रागिनी को घर में एक कमरे में बंद रहने और किसी से संपर्क न करने का निर्देश दिया। उन्होंने इसे "डिजिटल अरेस्ट" का नाम दिया।
जब रागिनी के पति महेश मिश्रा घर लौटे, तो उन्होंने रागिनी से पूरी घटना की जानकारी ली। महेश ने भी ठगों से बात की, लेकिन उन्हें भी धोखे में रखा गया। ठगों ने महेश को समझाया कि अगर वे जांच में सहयोग नहीं करेंगे तो उन्हें गंभीर परिणाम भुगतने पड़ सकते हैं। उन्होंने दंपत्ति को बार-बार यह धमकी दी कि उनके खिलाफ मनी लॉन्ड्रिंग का केस बनाकर उन्हें जेल भेज दिया जाएगा। इससे डरकर दंपत्ति ने ठगों की बातों पर अमल करना शुरू कर दिया।
गुरुवार को ठगों ने रागिनी से कहा कि जांच में सहयोग करने के लिए उन्हें एक "सिक्योरिटी डिपॉजिट" के रूप में 10.50 लाख रुपये ट्रांसफर करने होंगे। ठगों ने दावा किया कि यह रकम जांच पूरी होने के बाद वापस कर दी जाएगी। इस पर विश्वास करते हुए रागिनी गुरुवार को दोपहर के समय बैंक गईं और NEFT के माध्यम से ठगों के खाते में 10.50 लाख रुपये ट्रांसफर कर दिए।
हालांकि, शुक्रवार सुबह रागिनी को ठगों की बातों पर शक होने लगा। उन्हें याद आया कि उन्होंने डिजिटल अरेस्ट से जुड़े मामलों के बारे में खबरों में पढ़ा और सुना था। रागिनी ने स्थिति को समझने की कोशिश की और ठगों को बातों में उलझाना शुरू कर दिया। उन्होंने अपने पति को दूसरे कमरे में जाकर पुलिस से संपर्क करने को कहा। महेश ने पुलिस कमिश्नर को फोन किया और पूरे मामले की जानकारी दी। पुलिस ने तुरंत कार्रवाई करते हुए एसीपी दीपक नायक को निर्देश दिए, जिन्होंने दंपत्ति को रेस्क्यू किया।
पुलिस के पहुंचने के बाद भी ठगों ने वीडियो कॉल के माध्यम से दंपत्ति को धमकाना जारी रखा। जब पुलिस ने ठगों से बातचीत की कोशिश की, तो उन्होंने असली पुलिस को भी झूठी धमकियां दीं। ठगों ने कहा कि वे केंद्रीय एजेंसी से हैं और पुलिस उनके काम में दखल न दे। हालांकि, पुलिस ने ठगों को फटकारा और उनका कॉल काट दिया। इसके बाद ठगों ने दोबारा कॉल किया, लेकिन जब उन्होंने पुलिस की सख्ती देखी, तो उन्होंने कॉल डिस्कनेक्ट कर दिया और तब से उनका मोबाइल नंबर बंद हो गया।
इस घटना ने एक बार फिर यह साबित कर दिया कि साइबर ठग कितनी चतुराई से लोगों को अपना शिकार बनाते हैं। दंपत्ति की सतर्कता और पुलिस की त्वरित कार्रवाई ने उन्हें और बड़े नुकसान से बचा लिया। पुलिस अब ठगों तक पहुंचने के लिए उनके आईपी एड्रेस को ट्रेस कर रही है। जिन खातों में रकम ट्रांसफर की गई थी, उन्हें भी फ्रीज करने की प्रक्रिया शुरू कर दी गई है।
यह घटना भोपाल के लोगों के लिए एक सबक है कि साइबर ठगों के झांसे में आने से बचने के लिए सतर्कता और जागरूकता बेहद जरूरी है। किसी भी अनजान कॉल पर यकीन करने से पहले उसकी सत्यता जांचना आवश्यक है, खासकर जब बात वित्तीय मामलों की हो। इस घटना के बाद भोपाल पुलिस ने भी लोगों को आगाह किया है कि वे इस तरह की किसी भी घटना की तुरंत शिकायत करें। साइबर अपराधियों के खिलाफ सख्त कार्रवाई करना ही इस तरह की घटनाओं को रोकने का एकमात्र उपाय है।