सनातन हिंदू एकता पदयात्रा, जिसे पंडित धीरेंद्र कृष्ण शास्त्री द्वारा संचालित किया गया, एक अद्वितीय धार्मिक और सांस्कृतिक आयोजन था। इस यात्रा का उद्देश्य केवल धार्मिक नहीं, बल्कि समाज को जागरूक करने और सनातन हिंदू संस्कृति को प्रचारित करने का था। नौ दिन तक चली इस यात्रा ने हिंदू एकता और सांस्कृतिक समर्पण का उदाहरण प्रस्तुत किया। यात्रा के दौरान हजारों लोग शामिल हुए, जिनमें महिलाएं, पुरुष, युवा, और बुजुर्ग सभी उत्साह के साथ भाग ले रहे थे।
इस पदयात्रा का अंतिम पड़ाव ओरछा का प्रसिद्ध रामराजा मंदिर था। यात्रा की शुरुआत तिगैला से हुई और धीरे-धीरे उत्साही भक्तों का समूह रामराजा सरकार के मंदिर तक पहुंचा। यात्रा में शामिल लोग अनुशासनपूर्वक चल रहे थे। झांकियों के साथ-साथ डीजे पर भक्तजन भक्ति गीतों पर नाचते-गाते आगे बढ़ रहे थे। जय श्रीराम के नारों से गूंजते हुए इस यात्रा ने हर स्थान पर भक्ति और उल्लास का माहौल बना दिया। झांझ और मंजीरे की धुन ने यात्रा को और भी आनंदमय बना दिया।
पंडित धीरेंद्र कृष्ण शास्त्री ने इस यात्रा के समापन पर रामराजा मंदिर में पूजा-अर्चना की और धर्म ध्वजा फहराई। उन्होंने इस यात्रा की सफलता के लिए रामराजा सरकार की कृपा को धन्यवाद दिया। उन्होंने कहा कि यह यात्रा केवल धार्मिक आयोजन नहीं थी, बल्कि समाज को जागरूक करने और सनातन संस्कृति को जीवंत रखने का प्रयास थी। उन्होंने लोगों से अपील की कि जो लोग इस आयोजन में शामिल नहीं हो सके, वे इसे लाइव देखकर अनुभव करें और इस पहल का हिस्सा बनें।
यात्रा के दौरान सुरक्षा और व्यवस्था का भी विशेष ध्यान रखा गया। पुलिस अधीक्षक राय सिंह नरवरिया ने बताया कि पर्याप्त संख्या में पुलिस बल तैनात किया गया था ताकि किसी को किसी प्रकार की असुविधा न हो। पार्किंग, भोजन और विश्राम की व्यवस्था को भी सुचारू रूप से संचालित किया गया। यह सुनिश्चित किया गया कि यात्रा के हर पड़ाव पर भक्तों को किसी प्रकार की परेशानी का सामना न करना पड़े।
इस आयोजन के दौरान एक और विशेष क्षण वह था जब पंडित धीरेंद्र शास्त्री ने शहीद स्मारक पहुंचकर चंद्रशेखर आजाद की प्रतिमा पर माल्यार्पण किया। इस अवसर पर यात्रा में शामिल सभी भक्तों ने एकजुट होकर "जय श्री राम" के नारे लगाए। इस यात्रा ने यह संदेश दिया कि धार्मिक और सांस्कृतिक आयोजनों में राष्ट्रीय स्मरण और स्वतंत्रता सेनानियों के प्रति आदरभाव को शामिल करना कितना महत्वपूर्ण है। यह केवल धर्म तक सीमित नहीं, बल्कि राष्ट्रीय चेतना और समाज के उत्थान का प्रतीक भी था।
यात्रा के दौरान भक्तगण अनुशासनबद्ध और संगठित ढंग से आगे बढ़ते रहे। हर पड़ाव पर भक्तों की भीड़ ने यात्रा का स्वागत किया और भक्ति भाव से ओत-प्रोत माहौल बनाया। इस यात्रा ने न केवल ओरछा और उसके आसपास के क्षेत्रों में, बल्कि पूरे समाज में सनातन हिंदू एकता का संदेश दिया।
इस आयोजन का समापन हनुमान चालीसा पाठ के साथ हुआ। रामराजा मंदिर परिसर में भक्तों का अपार जनसमूह एकत्रित था। हर कोई भक्ति और श्रद्धा से ओतप्रोत होकर हनुमान जी की स्तुति में लीन था। यात्रा के समापन पर पंडित धीरेंद्र कृष्ण शास्त्री ने इसे समाज में एकता और जागरूकता फैलाने का एक सफल प्रयास बताया। उन्होंने कहा कि यह यात्रा एक प्रेरणा है कि हम सभी अपनी संस्कृति और परंपराओं को जीवंत रखें और इन्हें आने वाली पीढ़ियों तक पहुंचाएं।
सनातन हिंदू एकता पदयात्रा ने यह दिखाया कि जब समाज में जागरूकता और एकता का भाव होता है, तो बड़े से बड़ा कार्य भी सफल हो सकता है। यह आयोजन भक्ति, श्रद्धा, और संगठन का उत्कृष्ट उदाहरण था। इस यात्रा ने हजारों लोगों को एकजुट किया और उन्हें यह प्रेरणा दी कि वे अपने धर्म और संस्कृति के प्रति समर्पित रहें।