Two Cheetah Cubs Found Dead: कूनो नेशनल पार्क में चीता शावकों की मौत से मचा हड़कंप

NCI


 

मध्य प्रदेश के श्योपुर जिले स्थित कूनो नेशनल पार्क में एक दुखद घटना सामने आई है। यहां अफ्रीकी मादा चीता निर्वा के दो शावक मृत पाए गए हैं, जिनके शव क्षत-विक्षत (mutilated) अवस्था में बरामद हुए हैं। इस घटना ने वन्यजीव संरक्षण (wildlife conservation) के प्रयासों पर गंभीर प्रश्नचिह्न खड़े कर दिए हैं। अधिकारियों के अनुसार, मृत शावकों के नमूने एकत्र कर जांच के लिए भेजे गए हैं, जिससे उनकी मौत के वास्तविक कारणों का पता लगाया जा सके। कूनो नेशनल पार्क में चीतों की संख्या में लगातार हो रही कमी चिंता का विषय बनी हुई है।


कूनो नेशनल पार्क में चीतों की पुनर्स्थापना (reintroduction) के उद्देश्य से नामीबिया और दक्षिण अफ्रीका से चीते लाए गए थे। हालांकि, पिछले कुछ महीनों में कई चीतों और उनके शावकों की मौत की घटनाएं सामने आई हैं। इससे पहले, मादा चीता ज्वाला के तीन शावकों की भी मौत हो चुकी है, जिनमें से दो की मौत भीषण गर्मी और डिहाइड्रेशन (dehydration) के कारण हुई थी। इन घटनाओं ने वन्यजीव विशेषज्ञों और संरक्षणवादियों (conservationists) को चिंतित कर दिया है।


वन विभाग के अधिकारियों का कहना है कि मृत शावकों की मौत के सही कारणों का पता लैब रिपोर्ट मिलने के बाद ही चल सकेगा। फिलहाल, निर्वा सहित सभी वयस्क चीते और कूनो पार्क के बाकी 12 शावक स्वस्थ हैं। कूनो नेशनल पार्क में चीतों की गिनती आखिरी बार 24 बताई गई थी। इन घटनाओं के बाद, वन विभाग ने चीतों की सुरक्षा और स्वास्थ्य की निगरानी (monitoring) के लिए विशेष कदम उठाने की बात कही है।


चीतों की मौत की बढ़ती घटनाओं ने वन्यजीव संरक्षण के प्रयासों पर सवाल खड़े कर दिए हैं। विशेषज्ञों का मानना है कि चीतों के लिए उपयुक्त आवास (habitat) और पर्यावरणीय परिस्थितियों (environmental conditions) की कमी उनकी मौत का एक प्रमुख कारण हो सकता है। इसके अलावा, स्थानीय वन्यजीवों के साथ संघर्ष (conflict) और बीमारियों (diseases) का प्रसार भी चीतों की मृत्यु दर (mortality rate) को बढ़ा सकता है। इन सभी पहलुओं पर गहन अध्ययन और निगरानी की आवश्यकता है।


कूनो नेशनल पार्क में चीतों की पुनर्स्थापना परियोजना (reintroduction project) भारत के वन्यजीव संरक्षण के इतिहास में एक महत्वपूर्ण कदम माना जा रहा है। हालांकि, लगातार हो रही चीतों की मौत की घटनाओं ने इस परियोजना की सफलता पर प्रश्नचिह्न लगा दिया है। वन्यजीव विशेषज्ञों का कहना है कि चीतों की सुरक्षा के लिए तत्काल और प्रभावी कदम उठाने की आवश्यकता है, ताकि उनकी संख्या में और कमी न हो।


वन विभाग के अधिकारियों ने बताया कि मृत शावकों के नमूने एकत्र कर जांच के लिए भेजे गए हैं और उनकी मौत का सही कारण लैब रिपोर्ट मिलने के बाद ही पता चलेगा। अधिकारी ने कहा, 'निर्वा सहित सभी वयस्क चीते और कूनो पार्क के बाकी 12 शावक स्वस्थ हैं। कूनो नेशनल पार्क में चीतों की गिनती आखिरी बार 24 बताई गई थी।' 


कूनो नेशनल पार्क में चीतों की मौत की घटनाओं ने वन्यजीव संरक्षण के प्रयासों को झटका दिया है। विशेषज्ञों का कहना है कि चीतों की सुरक्षा के लिए तत्काल और प्रभावी कदम उठाने की आवश्यकता है, ताकि उनकी संख्या में और कमी न हो। इसके लिए चीतों के आवास, भोजन और स्वास्थ्य की निगरानी पर विशेष ध्यान देने की आवश्यकता है। इसके अलावा, स्थानीय समुदायों को भी चीतों के संरक्षण के प्रयासों में शामिल करना महत्वपूर्ण है, ताकि मानव-वन्यजीव संघर्ष (human-wildlife conflict) को कम किया जा सके।


कूनो नेशनल पार्क में चीतों की पुनर्स्थापना परियोजना भारत के वन्यजीव संरक्षण के इतिहास में एक महत्वपूर्ण कदम माना जा रहा है। हालांकि, लगातार हो रही चीतों की मौत की घटनाओं ने इस परियोजना की सफलता पर प्रश्नचिह्न लगा दिया है। वन्यजीव विशेषज्ञों का कहना है कि चीतों की सुरक्षा के लिए तत्काल और प्रभावी कदम उठाने की आवश्यकता है, ताकि उनकी संख्या में और कमी न हो।


वन विभाग के अधिकारियों ने बताया कि मृत शावकों के नमूने एकत्र कर जांच के लिए भेजे गए हैं और उनकी मौत का सही कारण लैब रिपोर्ट मिलने के बाद ही पता चलेगा। अधिकारी ने कहा, 'निर्वा सहित सभी वयस्क चीते और कूनो पार्क के बाकी 12 शावक स्वस्थ हैं। कूनो नेशनल पार्क में चीतों की गिनती आखिरी बार 24 बताई गई थी।' 


कूनो नेशनल पार्क में चीतों की मौत की घटनाओं ने वन्यजीव संरक्षण के प्रयासों को झटका दिया है। विशेषज्ञों का कहना है कि चीतों की सुरक्षा के लिए तत्काल और प्रभावी कदम उठाने की आवश्यकता है, ताकि उनकी संख्या में और कमी न हो। इसके लिए चीतों के आवास, भोजन और स्वास्थ्य की निगरानी पर विशेष ध्यान देने की आवश्यकता है। इसके अलावा, स्थानीय समुदायों को भी चीतों के संरक्षण के प्रयासों में शामिल करना महत्वपूर्ण है, ताकि मानव-वन्यजीव संघर्ष (human-wildlife conflict) को कम किया जा सके।

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