AI Magic for forest : अब बेकाबू नहीं होगी!

NCI

AI Magic for forest

 ट्यूनीशिया में जंगलों की आग एक गंभीर समस्या बनती जा रही है, जिसका मुख्य कारण जलवायु परिवर्तन और लगातार घटती वर्षा है। इस देश के कई बड़े हिस्से में घने जंगल फैले हुए हैं, लेकिन पिछले कुछ वर्षों में सूखे के कारण जंगल में आग लगने की घटनाएं काफी बढ़ गई हैं। इन आग की वजह से न केवल पर्यावरण को नुकसान हो रहा है बल्कि स्थानीय समुदायों की आजीविका पर भी गंभीर प्रभाव पड़ रहा है। ऐसे में एक नया समाधान तलाशने की जरूरत थी, और अब इस चुनौती से निपटने के लिए आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस (AI) का सहारा लिया जा रहा है। एक नई तकनीक विकसित की गई है, जो जंगल में आग लगने की संभावना का पूर्वानुमान लगाने में सक्षम है और आग लगने की स्थिति में तुरंत सतर्क कर सकती है।

ट्यूनीशिया के जंगलों में अब अत्याधुनिक कैमरों और सेंसर से लैस डिवाइस लगाए जा रहे हैं, जो लगातार पूरे क्षेत्र की निगरानी कर सकते हैं। इस तकनीक को विकसित करने वाली टीम का नेतृत्व नादिर साली कर रहे हैं। उन्होंने अपनी टीम के साथ मिलकर जंगलों में ऐसे कई डिवाइस स्थापित किए हैं, जो आग लगने के सक्रिय स्रोतों का पता लगाने और भविष्य में कहां आग लग सकती है, इसका अनुमान लगाने में मदद कर सकते हैं। इन सेंसरों को एआई तकनीक से जोड़ा गया है, जिससे यह स्वचालित रूप से किसी भी असामान्य गतिविधि को पकड़ सकते हैं और तुरंत अधिकारियों को सतर्क कर सकते हैं। हालांकि, फिलहाल यह सिस्टम टेस्टिंग फेज में है, इसलिए इस समय इसकी सूचना केवल संबंधित कंपनी को मिल रही है।

इस प्रणाली का एक अन्य लाभ यह भी है कि यह पूरे वर्ष जंगल की स्थिति का आकलन कर सकता है और संभावित खतरनाक इलाकों का एक विस्तृत नक्शा तैयार कर सकता है। इससे यह समझने में मदद मिलेगी कि कौन से इलाके सबसे ज्यादा आग के जोखिम में हैं और वहां किस तरह की एहतियाती कदम उठाने की जरूरत होगी। ट्यूनीशिया में पिछले एक दशक के दौरान जंगलों में आग लगने की घटनाओं में भारी वृद्धि हुई है। सामान्य से करीब 20 गुना अधिक इलाके आग की चपेट में आ चुके हैं। देश के लगभग एक-तिहाई हिस्से में अभी भी जंगल मौजूद हैं, जहां करीब 10 लाख लोग रहते हैं। लेकिन वर्तमान में इन जंगलों की सुरक्षा की जिम्मेदारी पूरी तरह से स्थानीय वन अधिकारियों और निवासियों पर टिकी हुई है, जिनके पास सीमित संसाधन होते हैं। ऐसे में एआई तकनीक के माध्यम से आग का पूर्वानुमान लगाना और उसके अनुसार तैयारियां करना बेहद जरूरी हो गया है।

ट्यूनीशिया में जंगलों का आर्थिक, सामाजिक और पर्यावरणीय महत्व बहुत अधिक है। जंगलों की सुरक्षा न केवल जैव विविधता (biodiversity) के संरक्षण के लिए जरूरी है, बल्कि यह वहां रहने वाले लोगों की आजीविका का भी एक महत्वपूर्ण हिस्सा है। कृषि मंत्रालय के अधिकारियों को उम्मीद है कि यह नई एआई तकनीक आग लगने की घटनाओं को रोकने और संभावित खतरों की समय पर पहचान करने में सफल होगी। इस प्रणाली के तहत कैमरों से प्राप्त डेटा का विश्लेषण किया जाता है और उसके आधार पर निर्णय लिए जाते हैं। इस तकनीक का अगला चरण वन अधिकारियों को और अधिक सुविधा प्रदान करना है। इसमें एक मोबाइल ऐप विकसित किया जा रहा है, जिसके जरिए अधिकारी अपने मोबाइल या कंप्यूटर पर सीधे ताजा जानकारी प्राप्त कर सकेंगे।

जहां एक ओर जंगलों को आग से बचाने के लिए नई तकनीक विकसित की जा रही है, वहीं दूसरी ओर कुछ संगठन पहले से जले हुए जंगलों को फिर से हरा-भरा बनाने में जुटे हुए हैं। ‘ले अमी डी कैप्टर’ नाम का एक संगठन 2017 से इस दिशा में काम कर रहा है। यह संगठन ट्यूनीशिया के कैफ जगवान और जो दुबा नामक इलाकों में उन स्थानों पर पेड़ लगाने का प्रयास कर रहा है, जो बार-बार आग की चपेट में आ चुके हैं। इस प्रक्रिया के तहत ऐसे पौधे लगाए जा रहे हैं, जो सूखे और प्रतिकूल परिस्थितियों का सामना कर सकते हैं। इनमें कैरो (carob) के पेड़ शामिल हैं, जो कम पानी में भी जीवित रह सकते हैं और स्थानीय पर्यावरण के अनुकूल होते हैं। इन प्रयासों में शोधकर्ता अब्दुल हादी खालीदी भी महत्वपूर्ण भूमिका निभा रहे हैं। उनका मानना है कि प्रशासन को इस पहल का समर्थन करना चाहिए और जंगलों को फिर से हरा-भरा बनाने के लिए बड़े पैमाने पर पेड़ लगाने चाहिए।

हालांकि, वन विभाग फिलहाल अपनी प्राथमिकता एआई आधारित नई तकनीक पर केंद्रित कर रहा है। इस तकनीक की सबसे खास बात यह है कि यह न केवल आग लगने के बाद उसे बुझाने में मदद करेगी, बल्कि आग लगने की संभावना वाले इलाकों की पहचान पहले ही कर लेगी। यह सिस्टम मौसम से जुड़े आंकड़ों का विश्लेषण कर सकता है और हवा की गति, आर्द्रता (humidity), और इलाके की शुष्कता (dryness) के आधार पर यह बता सकता है कि कहां आग लगने की संभावना अधिक है। खासतौर पर तेज हवा वाले इलाकों में यह तकनीक और भी अधिक प्रभावी साबित हो सकती है, क्योंकि वहां आग तेजी से फैलती है। यह जानकारी मिलने के बाद वन विभाग उन स्थानों पर पहले से ही सावधानी बरत सकता है और आवश्यक कदम उठा सकता है।

वर्तमान में यह पायलट प्रोजेक्ट शुरुआती चरण में है, लेकिन अधिकारियों को उम्मीद है कि यह सफल रहा तो इसे बड़े पैमाने पर लागू किया जा सकेगा। अगर ऐसा हुआ तो जंगलों की सुरक्षा सुनिश्चित करने में यह एआई सेंसर बहुत बड़ी भूमिका निभा सकते हैं। इससे फॉरेस्ट रेंजर (forest ranger) का काम आसान हो जाएगा और वे तेजी से किसी भी संभावित खतरे पर प्रतिक्रिया दे सकेंगे।

ट्यूनीशिया में जंगलों की आग केवल पर्यावरण की समस्या नहीं है, बल्कि यह वहां रहने वाले लोगों के जीवनयापन पर भी सीधा असर डालती है। जंगलों के विनाश से न केवल वन्य जीवों को नुकसान होता है, बल्कि स्थानीय किसान और वन उत्पादों पर निर्भर समुदायों को भी अपनी आजीविका से हाथ धोना पड़ता है। इस नई तकनीक से उम्मीद की जा रही है कि जंगलों में आग लगने की घटनाओं में कमी आएगी और इस प्राकृतिक संपदा की सुरक्षा सुनिश्चित की जा सकेगी।

पर्यावरण संरक्षण के लिए एआई का उपयोग करना एक नई पहल है, और यदि यह प्रयोग सफल रहा तो भविष्य में अन्य देशों में भी इसी तरह की तकनीकों को अपनाया जा सकता है। जलवायु परिवर्तन के बढ़ते प्रभाव को देखते हुए ऐसे समाधान बेहद जरूरी हो गए हैं, जो प्राकृतिक आपदाओं को रोकने में सहायक हो सकें। ट्यूनीशिया का यह कदम इस दिशा में एक महत्वपूर्ण प्रयास है और यदि इसे सही ढंग से लागू किया गया तो यह जंगलों की सुरक्षा में एक क्रांतिकारी बदलाव ला सकता है।

#buttons=(Ok, Go it!) #days=(20)

Our website uses cookies to enhance your experience. Learn More
Ok, Go it!
To Top