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DeepSeek |
हाल ही में आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस (AI) की दुनिया में एक बड़ा विवाद सामने आया है। यह विवाद डीप सीक (DeepSeek) नामक एक चीनी एआई कंपनी से जुड़ा है, जिस पर आरोप है कि उसने ओपन एआई (OpenAI) के डेटा का अनधिकृत (unauthorized) तरीके से उपयोग करके अपना AI मॉडल विकसित किया है। माइक्रोसॉफ्ट (Microsoft) और ओपन एआई ने इस मामले की जांच शुरू कर दी है, क्योंकि यह मामला न केवल बौद्धिक संपदा (intellectual property) की चोरी से जुड़ा है, बल्कि इससे डेटा सुरक्षा और एआई उद्योग के भविष्य पर भी सवाल खड़े हो गए हैं।
डीप सीक एक उभरती हुई एआई कंपनी है, जिसने हाल ही में अपने AI मॉडल को लॉन्च किया था। यह मॉडल देखते ही देखते काफी लोकप्रिय हो गया, क्योंकि यह बेहद कम कीमत पर चैट जीपीटी (ChatGPT) जैसा अनुभव दे रहा था। यह सफलता इतनी बड़ी थी कि कुछ ही दिनों में डीप सीक को नए यूजर्स के लिए अपने रजिस्ट्रेशन बंद करने पड़े, क्योंकि उनकी सर्वर क्षमता (server capacity) इतनी बड़ी संख्या में आने वाले ट्रैफिक को संभाल नहीं पा रही थी। लेकिन जैसे-जैसे इसकी लोकप्रियता बढ़ी, माइक्रोसॉफ्ट और ओपन एआई की नजर इस पर गई और उन्होंने इसके डेटा स्रोतों को लेकर गंभीर संदेह जताए।
ब्लूमबर्ग (Bloomberg) की रिपोर्ट के अनुसार, माइक्रोसॉफ्ट की सिक्योरिटी टीम ने डीप सीक से जुड़े कुछ संदिग्ध (suspicious) साइबर गतिविधियों का पता लगाया था। इसमें यह संभावना जताई गई कि डीप सीक ने ओपन एआई के एपीआई (API - Application Programming Interface) का अनधिकृत रूप से उपयोग किया हो सकता है। एपीआई एक ऐसा सिस्टम होता है जो दो अलग-अलग सॉफ्टवेयर को आपस में जोड़ता है और डेटा के आदान-प्रदान की अनुमति देता है। आमतौर पर, कंपनियां किसी अन्य कंपनी के एपीआई को उपयोग करने के लिए लाइसेंस फीस चुकाती हैं, लेकिन ओपन एआई के टर्म्स और कंडीशंस के अनुसार, कोई भी कंपनी उनके एपीआई का उपयोग करके एक समान एआई टूल नहीं बना सकती। लेकिन डीप सीक ने संभवतः इस नियम का उल्लंघन (violation) किया है।
फाइनेंशियल टाइम्स (Financial Times) की रिपोर्ट के अनुसार, ओपन एआई के पास इस बात के पर्याप्त सबूत हैं कि डीप सीक ने "डिस्टलेशन" (distillation) नामक तकनीक का उपयोग किया। इस तकनीक के तहत, छोटे AI मॉडल को बड़े और अधिक परिष्कृत (sophisticated) मॉडल से ट्रेन किया जाता है। इसका मतलब यह हुआ कि डीप सीक ने ओपन एआई के चैट जीपीटी मॉडल के आउटपुट का इस्तेमाल करके अपने मॉडल को बेहतर बनाया, जिससे वह कम लागत में भी उतनी ही प्रभावी सेवाएं दे सके।
डीप सीक की सफलता के पीछे एक बड़ा कारण इसकी लागत-कुशलता (cost efficiency) है। उदाहरण के लिए, चैट जीपीटी का सब्सक्रिप्शन $1 से शुरू होता है, जबकि डीप सीक मात्र कुछ सेंट में ही इसी प्रकार की सेवा दे रहा है। यह लागत में भारी अंतर ही इसकी तेजी से लोकप्रियता बढ़ने का मुख्य कारण बना। लेकिन अब जब यह विवाद खड़ा हो गया है, तो कई टेक कंपनियां और सरकारें इस पर कार्रवाई करने की तैयारी कर रही हैं।
अमेरिकी सरकार और डोनाल्ड ट्रंप प्रशासन ने इस मामले को गंभीरता से लिया है। हाल ही में अमेरिकी नेवी (US Navy) ने अपने सभी कर्मियों को डीप सीक के उपयोग से मना कर दिया है। इसके पीछे मुख्य कारण यह बताया गया कि डीप सीक से जुड़े सिक्योरिटी और नैतिक (ethical) चिंताएं हैं। अमेरिकी नेवी के साइबर सुरक्षा विभाग ने चेतावनी दी है कि डीप सीक के उपयोग से राष्ट्रीय सुरक्षा (national security) को खतरा हो सकता है।
ऑस्ट्रेलिया ने भी इस मामले को लेकर चिंता जताई है और अपने नागरिकों को डीप सीक के उपयोग को लेकर सावधानी बरतने की सलाह दी है। कई एक्सपर्ट्स का मानना है कि अगर डीप सीक वास्तव में ओपन एआई के डेटा का अनधिकृत तरीके से उपयोग कर रहा है, तो यह वैश्विक एआई उद्योग के लिए एक बड़ा झटका साबित हो सकता है।
इस पूरे विवाद के बीच, डीप सीक की ओर से कोई स्पष्ट प्रतिक्रिया नहीं आई है। हालांकि, उनके द्वारा प्रकाशित एक रिसर्च पेपर में उन्होंने दावा किया था कि वे "मिक्सचर ऑफ एक्सपर्ट्स आर्किटेक्चर" (Mixture of Experts Architecture) नामक मशीन लर्निंग तकनीक का उपयोग कर रहे हैं। इस तकनीक में कई छोटे AI मॉडल मिलकर काम करते हैं, जिससे वे कम संसाधनों (resources) में भी उच्च गुणवत्ता का आउटपुट दे सकते हैं।
लेकिन माइक्रोसॉफ्ट और ओपन एआई का कहना है कि यह दावा गलत हो सकता है और डीप सीक ने वास्तव में उनके मॉडल से ही डेटा एक्सट्रेक्ट (extract) किया है। माइक्रोसॉफ्ट ने इस मामले की गहन जांच शुरू कर दी है और यह देखना दिलचस्प होगा कि इसका क्या नतीजा निकलता है।
डोनाल्ड ट्रंप प्रशासन की नीतियों को देखते हुए यह संभावना जताई जा रही है कि अमेरिका डीप सीक पर पूर्ण रूप से प्रतिबंध (ban) लगा सकता है। ट्रंप ने पहले भी कहा था कि वे अमेरिका की राष्ट्रीय सुरक्षा के साथ कोई समझौता नहीं करेंगे और अगर कोई भी विदेशी कंपनी अमेरिका के हितों को नुकसान पहुंचा रही है, तो वे उस पर कड़े कदम उठाएंगे।
यह विवाद एआई उद्योग के लिए एक बड़ा टर्निंग पॉइंट (turning point) साबित हो सकता है। अगर डीप सीक पर लगे आरोप सही साबित होते हैं, तो यह एआई कंपनियों के बीच डेटा सुरक्षा को लेकर नए नियम और प्रतिबंध लाने का कारण बन सकता है। साथ ही, यह विवाद यह भी दिखाता है कि एआई तकनीक जितनी तेजी से आगे बढ़ रही है, उसके साथ ही नैतिकता (ethics) और सुरक्षा से जुड़े सवाल भी उतनी ही तेजी से खड़े हो रहे हैं।
आने वाले दिनों में यह देखना दिलचस्प होगा कि माइक्रोसॉफ्ट और ओपन एआई की जांच किस दिशा में जाती है और क्या डीप सीक के खिलाफ कोई कानूनी कार्रवाई की जाती है। अगर अमेरिका और अन्य देश डीप सीक पर बैन लगाते हैं, तो यह एआई उद्योग में एक ऐतिहासिक कदम होगा। वहीं, अगर डीप सीक अपने बचाव में मजबूत सबूत पेश कर देता है, तो यह ओपन एआई और माइक्रोसॉफ्ट के लिए एक बड़ी चुनौती बन सकता है।
इस पूरे मामले का असर केवल डीप सीक या ओपन एआई तक सीमित नहीं रहेगा, बल्कि यह पूरे एआई उद्योग के भविष्य को भी प्रभावित कर सकता है। यह विवाद दिखाता है कि एआई तकनीक के बढ़ते प्रभाव के साथ ही, इसकी सुरक्षा और नैतिकता को लेकर भी गंभीर चर्चाएं शुरू हो चुकी हैं। AI की दुनिया में यह विवाद आगे चलकर किस दिशा में जाता है, यह देखना काफी महत्वपूर्ण होगा।