Fake Meat, Real Taste! कैसे मशरूम से बन रहा मीट

NCI

Fake Meat, Real Taste!

 जर्मनी के लाइपजिष शहर में स्थित ग्रीन हब नामक स्टार्टअप ने एक अनोखे डिजिटल गार्डनर का विकास किया है, जो पौधों की निगरानी और देखभाल करने में सक्षम है। इस तकनीक का उद्देश्य दुनिया भर के लोगों को ताजा और पौष्टिक भोजन उपलब्ध कराना है। ग्रीन हब का यह डिजिटल गार्डनर एक प्रकार का सॉफ़्टवेयर है, जो पौधों की स्थिति पर नजर रखता है, उनकी सेहत का आकलन करता है और उन्हें सही मात्रा में पानी व पोषक तत्व प्रदान करता है। जलवायु परिवर्तन के कारण बदलते मौसम से निपटने के लिए यह तकनीक बेहद उपयोगी हो सकती है, क्योंकि इनडोर (indoor) खेती करने से सूखा और भारी बारिश जैसी समस्याओं का प्रभाव पौधों पर कम पड़ता है।

इसके साथ ही बर्लिन स्थित एक और स्टार्टअप, एसेंशिया फूड्स, मांस (meat) का एक नया और टिकाऊ विकल्प तैयार कर रहा है। यह विकल्प मशरूम (mushroom) से बनने वाले माइसीलियम (mycelium) से तैयार किया जाता है। यह नया प्रोटीन स्रोत उन लोगों के लिए बेहतर विकल्प हो सकता है, जो शाकाहारी (vegetarian) या पर्यावरण के अनुकूल भोजन की तलाश में हैं। एसेंशिया फूड्स के संस्थापक ब्रूनो को कोजा, जो अर्जेंटीना के निवासी हैं, बायोफिजिक्स (biophysics) में पीएचडी कर चुके हैं और एक पेशेवर शेफ भी हैं। उनका मानना है कि बाजार में मौजूद शाकाहारी मांस के विकल्प स्वाद और पोषण की दृष्टि से पर्याप्त नहीं हैं। मौजूदा प्लांट-बेस्ड (plant-based) मांस विकल्प प्रोटीन पाउडर से बनाए जाते हैं, जो स्वाद में अधिक आकर्षक नहीं होते और इन्हें अधिक मसालों की जरूरत होती है। इसलिए एसेंशिया फूड्स की टीम एक ऐसा मांस विकल्प तैयार कर रही है, जो न केवल स्वादिष्ट हो बल्कि प्राकृतिक रूप से प्रोटीन से भरपूर हो।

एसेंशिया फूड्स की खाद्य वैज्ञानिक क्लारा विभिन्न नए उत्पाद विकसित कर रही हैं, जिसमें शाकाहारी डोनर कबाब (doner kebab) और अन्य पारंपरिक मांस उत्पादों के विकल्प शामिल हैं। यह नया विकल्प विभिन्न प्रकार के खाद्य पदार्थों में उपयोग किया जा सकता है, जैसे कि सॉसेज (sausage), कीमा, कबाब स्ट्रिप्स और चिकन (chicken) के टुकड़े। इन उत्पादों की खासियत यह है कि इन्हें बहुत अधिक प्रोसेसिंग (processing) के बिना ही स्वादिष्ट और पौष्टिक बनाया जा सकता है।

ग्रीन हब का स्टार्टअप जलवायु परिवर्तन से प्रेरित होकर इंडोर फार्मिंग (indoor farming) को बढ़ावा दे रहा है। इसकी तकनीक पौधों की सेहत को नियंत्रित करने और उनके लिए अनुकूल वातावरण प्रदान करने में मददगार है। यह सॉफ्टवेयर आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस (AI) की सहायता से पौधों की रोशनी, पोषक तत्वों और आर्द्रता (humidity) का सही संतुलन बनाए रखने में मदद करता है। हालांकि, यह अभी किसी अनुभवी माली (gardener) जितना सक्षम नहीं है, लेकिन ग्रीन हब की टीम इसे और अधिक उन्नत बनाने के लिए लगातार प्रयास कर रही है। वे लगातार डेटा इकट्ठा कर रहे हैं ताकि एआई को और बेहतर बनाया जा सके।

हालांकि, इंडोर फार्मिंग की एक बड़ी समस्या ऊर्जा की खपत है। इस पद्धति में काफी बिजली की आवश्यकता होती है, जिससे यह केवल उन क्षेत्रों में फायदेमंद साबित हो सकता है जहां ऊर्जा सस्ती और आसानी से उपलब्ध हो। उदाहरण के लिए, स्कैंडिनेविया (Scandinavia), मध्य पूर्व और स्पेन जैसे देशों में इंडोर फार्मिंग को अपनाने की अधिक संभावनाएं हैं, क्योंकि इन क्षेत्रों में सौर ऊर्जा (solar energy) और अन्य नवीकरणीय ऊर्जा (renewable energy) के स्रोत अधिक उपलब्ध हैं।

ग्रीन हब की इस तकनीक में जर्मनी के दो प्रमुख शोध संस्थान (research institutes) रुचि दिखा रहे हैं। वे इस तकनीक की मदद से जलवायु परिवर्तन का पौधों पर पड़ने वाले प्रभावों का अध्ययन करना चाहते हैं। इसके अलावा, एक जर्मन सुपरमार्केट चेन एसेंशिया फूड्स के मांस विकल्पों में दिलचस्पी ले रही है। यह दर्शाता है कि भविष्य में ऐसे उत्पादों की मांग बढ़ सकती है और इस उद्योग में निवेश की संभावनाएं भी अधिक हैं।

एसेंशिया फूड्स अब अपने उत्पादन को बड़े पैमाने पर बढ़ाने की योजना बना रही है ताकि अधिक लोगों तक अपने उत्पाद पहुंचा सके। पारंपरिक मांस उत्पादन की तुलना में इस नए विकल्प का पर्यावरण पर कम प्रभाव पड़ता है, क्योंकि यह जल, भूमि और ऊर्जा की कम खपत करता है। साथ ही, इससे पशु संरक्षण (animal welfare) को भी बढ़ावा मिलेगा, क्योंकि यह मांस के प्राकृतिक विकल्प के रूप में काम करेगा।

ग्रीन हब और एसेंशिया फूड्स जैसे स्टार्टअप यह साबित कर रहे हैं कि भविष्य में खाद्य उत्पादन (food production) के क्षेत्र में बड़े बदलाव आने वाले हैं। जहां एक ओर डिजिटल गार्डनर जैसी तकनीक किसानों को नई संभावनाएं प्रदान कर रही है, वहीं दूसरी ओर वैकल्पिक मांस उत्पादन से पर्यावरण और पोषण दोनों का संतुलन बनाए रखा जा सकता है। ऐसे नवाचार (innovation) न केवल खाद्य सुरक्षा (food security) को बढ़ावा देंगे बल्कि जलवायु परिवर्तन से निपटने में भी सहायक होंगे।

इन दोनों स्टार्टअप्स के प्रयास यह दर्शाते हैं कि कैसे नई तकनीकें और वैज्ञानिक अनुसंधान (scientific research) हमारे भोजन के भविष्य को आकार देने में महत्वपूर्ण भूमिका निभा सकते हैं। यह स्पष्ट है कि आने वाले वर्षों में ऐसे खाद्य उत्पादों की मांग तेजी से बढ़ेगी, जो स्वास्थ्य, पर्यावरण और सामाजिक जिम्मेदारी को ध्यान में रखते हुए बनाए गए हैं। ग्रीन हब और एसेंशिया फूड्स जैसे स्टार्टअप इस दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम उठा रहे हैं और भविष्य में यह तकनीकें और भी अधिक विकसित होकर व्यापक रूप से अपनाई जा सकती हैं।

#buttons=(Ok, Go it!) #days=(20)

Our website uses cookies to enhance your experience. Learn More
Ok, Go it!
To Top