Flying Taxis Are Here : क्या आम आदमी इसे कभी अफोर्ड कर पाएगा?

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Flying Taxis

 उड़ने वाली टैक्सी या एयर कैब का सपना लंबे समय से लोगों के मन में है, और कई कंपनियां और स्टार्टअप इसे साकार करने के लिए काम कर रहे हैं। दुनिया भर में इस तरह के प्रोजेक्ट पर काम किया जा रहा है, और 2012 से कई व्यापार मेलों में इनके मॉडल प्रदर्शित किए जा रहे हैं। कुछ कंपनियों को तो यात्रियों को ले जाने के लिए प्रमाण पत्र भी मिलने वाले हैं, जिससे यह सवाल उठता है कि क्या एयर कैब जल्द ही हकीकत बन जाएंगी या यह केवल अमीर लोगों के लिए एक लग्जरी सेवा बनकर ही सीमित रह जाएंगी। अभी के लिए, यह तकनीक केवल उन्हीं लोगों के लिए होगी जो इसकी भारी कीमत चुकाने में सक्षम हैं।

पेरिस, जो ओलंपिक खेलों के दौरान दुनिया का पहला शहर बनने वाला था जहां एयर कैब को अनुमति दी जाती, उसने आखिरी समय में इस पर रोक लगा दी। केवल वोलोकॉप्टर (Volocopter) को डेमो उड़ानों के लिए अनुमति दी गई। हालांकि निर्माता इन एयर कैब्स को टिकाऊ (sustainable) और किफायती परिवहन समाधान के रूप में प्रस्तुत करते हैं, लेकिन वास्तव में ये न तो पर्यावरण के लिए अच्छे हैं और न ही आम आदमी की जेब के लिए।

अगर हम इस विचार का गहराई से विश्लेषण करें, तो यह स्पष्ट हो जाता है कि किसी व्यक्ति को हवा में उठाने के लिए एक इलेक्ट्रिक कार को चलाने की तुलना में कहीं अधिक ऊर्जा की आवश्यकता होती है। इसके विपरीत, रेल नेटवर्क का विस्तार करना एक बेहतर समाधान हो सकता है। एयर कैब्स को वर्तमान सार्वजनिक परिवहन प्रणाली जैसे कि मेट्रो, ट्राम या बसों की तुलना में कहीं अधिक ऊर्जा की आवश्यकता होती है और यह अधिक मात्रा में ग्रीनहाउस गैसों का उत्सर्जन भी करती हैं। खासकर जब ये टेक-ऑफ और लैंडिंग करती हैं, तब इनका ऊर्जा खपत स्तर काफी अधिक होता है।

तकनीकी दृष्टि से देखा जाए तो, इन एयर कैब्स में लिथियम आयन बैटरियां (lithium-ion batteries) उपयोग की जाती हैं, जो कि इलेक्ट्रिक कारों में भी प्रयुक्त होती हैं। हालांकि, ये टैक्सियां खुद किसी तरह का कार्बन उत्सर्जन नहीं करतीं, लेकिन बिजली बनाने की प्रक्रिया में कार्बन उत्सर्जन जरूर होता है। सबसे बड़ी चुनौती इनकी बैटरी तकनीक को लेकर है, क्योंकि मौजूदा बैटरी तकनीक इस विचार को पूरी तरह सफल नहीं बना पाई है।

इसके अलावा, पावर ग्रिड (power grid) की समस्याएं भी इस क्षेत्र में बड़ी चुनौती बनी हुई हैं। कुछ देशों में एयर कैब्स को यातायात के रूप में अपनाने पर चर्चा हो रही है, लेकिन परमाणु ऊर्जा संयंत्रों (nuclear power plants) को फिर से खोलने या वैकल्पिक ऊर्जा स्रोतों को अपनाने को लेकर भी असमंजस बना हुआ है।

वर्तमान में, पैसेंजर ड्रोन (passenger drones) को सीमित स्तर पर प्रमाणित किया गया है और इसकी कीमत लगभग 3 लाख यूरो के आसपास बताई जा रही है। चीनी कंपनी EHang द्वारा निर्मित मॉडल दुनिया का पहला ऐसा एयर कैब है, जिसे इस तरह से डिज़ाइन किया गया है कि यह बिना पायलट के, पूरी तरह से स्वचालित (autonomous) तरीके से काम कर सके। हालांकि, इस तकनीक को लेकर अब भी कई सवाल हैं, जिनकी वजह से आम जनता इसमें रुचि नहीं दिखा रही है।

आज भी दुनिया के बहुत कम शहरों में बिना ड्राइवर वाली मेट्रो (driverless metro) संचालित की जाती हैं। ऐसे में, एक स्वचालित उड़ने वाली टैक्सी को समाज द्वारा आसानी से स्वीकार कर लिया जाएगा, यह कहना मुश्किल है। एशियाई देशों में इस तरह की तकनीक को जल्दी अपनाने की प्रवृत्ति देखी गई है, लेकिन पश्चिमी देशों में इसे लेकर संदेह बना हुआ है।

एयर टैक्सी की कीमतों में भारी गिरावट संभव है, लेकिन तब भी यह आम लोगों के लिए सुलभ होगी या नहीं, यह सवाल बना रहेगा। बाजार विशेषज्ञों का मानना है कि अगर उड़ान का खर्च 4 यूरो प्रति किलोमीटर तक आ जाए, तो यह व्यापक स्तर पर अपनाई जा सकती है। हालांकि, यह भी ध्यान देने योग्य है कि भले ही इसकी कीमत मौजूदा टैक्सियों के बराबर आ जाए, फिर भी यह परिवहन का ऐसा तरीका नहीं बन सकेगा जो आम जनता के लिए उपयोगी हो।

इस तकनीक का सबसे उपयुक्त उपयोग कहां हो सकता है, यह भी एक महत्वपूर्ण विषय है। सऊदी एयरलाइन (Saudi Airline) जेद्दा और मक्का के बीच तीर्थयात्रियों के परिवहन के लिए 100 इलेक्ट्रिक लिलियम जेट (Lilium Jet) खरीदने की योजना बना रही है। इसके अलावा, इसे सार्वजनिक परिवहन का हिस्सा बनाने या एयरपोर्ट शटल (airport shuttle) के रूप में इस्तेमाल करने पर भी विचार किया जा रहा है। इसके अन्य संभावित उपयोगों में काम पर आने-जाने के लिए या आपातकालीन बचाव मिशनों (rescue missions) के लिए इनका उपयोग किया जा सकता है।

हालांकि, सरकारें इस प्रकार के अनुसंधान को वित्तीय सहायता प्रदान कर रही हैं, लेकिन निजी कंपनियां इसमें ज्यादा रुचि नहीं ले रही हैं। यही कारण है कि लिलियम जैसी स्टार्टअप कंपनियां दिवालिया (bankrupt) होने की कगार पर हैं और नए निवेशकों की तलाश कर रही हैं।

कुल मिलाकर, उड़ने वाली टैक्सियों का सपना अभी भी पूरी तरह से साकार नहीं हुआ है और यह कई चुनौतियों का सामना कर रहा है। हालांकि, यह तकनीक भविष्य में विकसित हो सकती है और परिवहन के क्षेत्र में एक नई क्रांति ला सकती है। लेकिन फिलहाल, यह केवल एक महंगी और सीमित उपयोग वाली सेवा बनकर रह गई है, जो मुख्य रूप से अमीर लोगों के लिए ही उपलब्ध हो सकती है। आम जनता के लिए यह कितनी फायदेमंद होगी, यह तो समय ही बताएगा।

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