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ICC CEO Resigns |
आईसीसी (ICC) के सीईओ ज्यॉफ एलार्डाइस (Geoff Allardice) के इस्तीफे और पाकिस्तान में चैंपियंस ट्रॉफी 2025 की तैयारियों को लेकर बड़ा बवाल खड़ा हो गया है। पाकिस्तान के क्रिकेट प्रेमी और वहां के मीडिया हाउस लगातार इस पर बहस कर रहे हैं कि आखिर क्यों पाकिस्तान में यह टूर्नामेंट सफलतापूर्वक आयोजन के कगार पर नहीं दिख रहा। पाकिस्तान में स्टेडियम की तैयारियां अभी तक पूरी नहीं हुई हैं और डेडलाइन नजदीक आती जा रही है, जिससे संदेह बढ़ता जा रहा है कि क्या पाकिस्तान वास्तव में इस टूर्नामेंट की मेजबानी करने में सक्षम है या नहीं।
चैंपियंस ट्रॉफी को लेकर पाकिस्तान में अब तक केवल चर्चाएं ही हो रही हैं लेकिन स्टेडियमों की मरम्मत अधूरी पड़ी है। पाकिस्तानी मीडिया हाउसेज़ और यूट्यूबर्स इस विषय पर लगातार वीडियो बना रहे हैं और दावा कर रहे हैं कि 'बस थोड़ी देर में स्टेडियम तैयार हो जाएगा' लेकिन ज़मीनी सच्चाई कुछ और ही बयां कर रही है। गद्दाफी स्टेडियम और कराची नेशनल स्टेडियम जैसी जगहों पर अब भी बुनियादी ढांचे को सुधारने का काम चल रहा है। पाकिस्तानी समाचार पत्र 'डॉन' ने हाल ही में अपनी रिपोर्ट में लिखा कि यह 'एकदम असंभव' है कि तय समय सीमा से पहले पाकिस्तान इन स्टेडियमों को तैयार कर पाएगा।
पाकिस्तान की सरकार और क्रिकेट बोर्ड (PCB) भले ही कह रहे हैं कि सब कुछ सही तरीके से हो जाएगा, लेकिन इस पर सवाल उठने लगे हैं कि जब तक स्टेडियम पूरी तरह से तैयार नहीं हो जाते, तब तक किसी भी बड़े टूर्नामेंट को आयोजित करना कैसे संभव होगा? रिपोर्ट्स के अनुसार, कराची स्टेडियम में 5000 नई कुर्सियां लगाई जानी हैं और 350 एलईडी लाइट्स लगाई जानी बाकी हैं। इसी तरह, गद्दाफी स्टेडियम के आसपास की सड़कें अभी तक अधूरी हैं, जिन्हें रातोंरात बनाया जा रहा है।
चैंपियंस ट्रॉफी की तैयारियों को लेकर पाकिस्तान की सरकार भी कठघरे में खड़ी हो गई है। पाकिस्तानी यूट्यूबर्स और सोशल मीडिया इंफ्लुएंसर्स अब यह दावा कर रहे हैं कि भारत और बीसीसीआई (BCCI) ने मिलकर पाकिस्तान के खिलाफ साजिश रची है ताकि इस टूर्नामेंट को सफलतापूर्वक न होने दिया जाए। पाकिस्तान में ऐसी धारणा बनाई जा रही है कि बीसीसीआई अध्यक्ष जय शाह, जो कि केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह के बेटे हैं, नहीं चाहते कि पाकिस्तान में चैंपियंस ट्रॉफी हो और उन्होंने जानबूझकर इस टूर्नामेंट को रुकवाने के लिए दबाव डाला। हालांकि, इस प्रकार के आरोपों का कोई ठोस आधार नहीं है।
पाकिस्तान में क्रिकेट को लेकर एक और बड़ी समस्या यह है कि वहां का मीडिया और लोग हर मुद्दे को षड्यंत्र से जोड़कर देखते हैं। अगर पाकिस्तान में कुछ गलत हो रहा है तो उसका जिम्मेदार भारत, यहूदी लॉबी या पश्चिमी देश को ठहरा दिया जाता है। लेकिन असलियत यह है कि पाकिस्तान की अपनी आंतरिक समस्याएं इतनी ज्यादा हैं कि वह खुद ही किसी भी बड़े आयोजन को ठीक से नहीं संभाल सकता।
क्रिकेट सिर्फ एक खेल है, लेकिन पाकिस्तान में इसे 'राष्ट्रीय प्रतिष्ठा' से जोड़ दिया जाता है। इसी का परिणाम है कि जब भी पाकिस्तान को क्रिकेट में कोई झटका लगता है, तो वहां की जनता इसे एक अंतरराष्ट्रीय षड्यंत्र मानकर हंगामा करने लगती है। पाकिस्तान में यह आम धारणा है कि 'हम एक परमाणु संपन्न देश हैं, इसलिए लोग हमें कम आंकते हैं।' लेकिन सवाल यह उठता है कि क्या न्यूक्लियर हथियार से क्रिकेट टूर्नामेंट सफल हो सकता है? क्या स्टेडियमों की दुर्दशा न्यूक्लियर बम से सुधारी जा सकती है? यह बात समझने की जरूरत है कि किसी भी खेल आयोजन के लिए सिर्फ राजनीतिक बयानबाजी या हथियारों की डींगें हांकना काफी नहीं होता, बल्कि बुनियादी ढांचे पर काम करना भी जरूरी होता है।
पाकिस्तान में क्रिकेट को लेकर चल रही इन बहसों के बीच एक और दिलचस्प खबर आई है। बांग्लादेश में महिलाओं के एक फुटबॉल मैच को धार्मिक कट्टरपंथियों के विरोध के कारण रद्द करना पड़ा। खबरों के मुताबिक, एक मदरसे के छात्रों ने फुटबॉल स्टेडियम को नुकसान पहुंचाया, क्योंकि उन्हें यह मंजूर नहीं था कि महिलाएं फुटबॉल खेलें। इस घटना ने यह दिखाया कि दक्षिण एशियाई देशों में अब भी कट्टरपंथी सोच कितनी हावी है और कैसे खेल आयोजनों को भी धार्मिक नजरिए से देखा जाता है।
इस्लामी कट्टरपंथ सिर्फ बांग्लादेश तक ही सीमित नहीं है। पाकिस्तान में भी ऐसी ही सोच देखने को मिलती है। वहां महिला क्रिकेटरों को अक्सर कट्टरपंथियों का विरोध झेलना पड़ता है। कई बार कट्टरपंथी संगठनों ने महिलाओं के क्रिकेट और फुटबॉल मैचों को रद्द करवाने की कोशिश की है। पाकिस्तान में खेलों को धर्म और राजनीति से जोड़कर देखने की प्रवृत्ति ने वहां की खेल संस्कृति को भी प्रभावित किया है।
अब सवाल यह उठता है कि क्या पाकिस्तान चैंपियंस ट्रॉफी के आयोजन के लिए तैयार है? क्या पाकिस्तान क्रिकेट बोर्ड (PCB) और सरकार इस आयोजन को सफलतापूर्वक करा पाएंगे? क्या पाकिस्तान के स्टेडियम समय पर तैयार हो जाएंगे? इन सभी सवालों के जवाब फिलहाल स्पष्ट नहीं हैं।
हाल ही में पाकिस्तान में एक अजीबोगरीब घटना सामने आई, जहां गद्दाफी स्टेडियम के बाहर 'रनिंग मैन' का एक स्टैचू लगाया गया। लेकिन लोग सवाल कर रहे हैं कि आखिर इस मूर्ति का आयोजन से क्या लेना-देना है? क्या पाकिस्तान को पहले अपने स्टेडियम तैयार करने पर ध्यान नहीं देना चाहिए था? क्या यह स्टैचू महज एक दिखावा है? पाकिस्तान का मीडिया इस स्टैचू को बड़ी उपलब्धि बता रहा है, लेकिन असलियत यह है कि स्टेडियम की हालत अब भी बदहाल बनी हुई है।
चैंपियंस ट्रॉफी को लेकर पाकिस्तान में अनिश्चितता का माहौल बना हुआ है। एक तरफ तो वहां की सरकार और क्रिकेट बोर्ड दावा कर रहे हैं कि टूर्नामेंट सफलतापूर्वक आयोजित होगा, वहीं दूसरी तरफ पाकिस्तान का मीडिया खुद इस बात को लेकर संशय में है कि स्टेडियम समय पर तैयार हो पाएंगे या नहीं। अब देखना यह है कि क्या पाकिस्तान में चैंपियंस ट्रॉफी वाकई में हो पाएगी या फिर यह टूर्नामेंट कहीं और शिफ्ट किया जाएगा। अगर पाकिस्तान इस टूर्नामेंट को सफलतापूर्वक आयोजित करने में नाकाम रहता है, तो यह उसकी प्रतिष्ठा के लिए एक और बड़ा झटका होगा।